अमेरिका के सीडर-सिनाई मेडिकल सेंटर के एक शोध में शोधकर्ताओं ने दो तरह के ऐसे ह्यूमन ब्रेन सेल्स की खोज की है, जो हमें बातें याद रखने मदद करते हैं. नेचर न्यूरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित इस शोध में शोधकर्ताओं ने बताया है कि शोध में जिन ह्यूमन ब्रेन सेल्स के बारें में पता चला है, वे हमारे अनुभवों व यादों को अलग-अलग हिस्सों में विभाजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जिससे उन्हें भविष्य में याद रखा जा सके.
शोध के नतीजों में शोधकर्ताओं ने बताया है कि हम जब भी कुछ याद करने की कोशिश करते हैं, तो हमारे मस्तिष्क के कुछ सेल्स ज्यादा उत्तेजित तथा ज्यादा सक्रिय होने लगते हैं. इनमें से कुछ के कार्य कंप्यूटर जैसे होते हैं, जो हमारे दिमाग में यादों को उसी तरह सुरक्षित रखते हैं जैसे कंप्यूटर में अलग-अलग फ़ोल्डर में फ़ाइल को सेव किया जाता है. और जब मस्तिष्क में उक्त सेल्स उत्तेजित होने लगते हैं तो ना सिर्फ नई घटनाएं अलग अलग खंडों में सुरक्षित हो जाती हैं, बल्कि पूर्व में घटित हुई कुछ वैसी ही घटनाओं से जुड़ी सुरक्षित यादें ताजा हो जाती हैं.
गौरतलब है कि इस शोध में शोधकर्ताओं ने दवा प्रतिरोधी मिर्गी रोगियों पर अध्धयन किया था. इस शोध का एक उद्देश्य यह जानना था कि याददाश्त बनाए रखने में मस्तिष्क के न्यूरॉन्स किस प्रकार से काम करते हैं.
शोध के नतीजे
शोध के वरिष्ठ लेखक उली रुतिशौसर ने शोध के निष्कर्षों में बताया कि शोध में प्रतिभागी मरीजों के मस्तिष्क में सर्जरी द्वारा इलेक्ट्रोड स्थापित किए गए थे, जिससे उनमें मिर्गी के दौरे को चिन्हित करने में मदद मिल सके. इसके बाद मरीजों को फिल्म के कुछ दृश्य दिखाए गए तथा इस दौरान उनके मस्तिष्क में अलग-अलग न्यूरॉन की गतिविधियों को रिकॉर्ड किया गया. इसमें उनकी संज्ञानात्मक सीमा यानी मस्तिष्क के सोचने-समझने की सीमा का भी विस्तृत अध्धयन किया गया.
![ह्यूमन ब्रेन सेल्स, human brain cells, how brain helps in creating memories, human brain health, importance of brain cells, role of brain cells](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15066951_brain.jpg)
फिल्म देखने के दौरान प्रतिभागियों के मस्तिष्क में दो न्यूरॉन की विशिष्ट गतिविधियों तथा उनके अतिसक्रिय होने का पता चला, जिन्हें शोधकर्ताओं ने बाउंड्री सेल्स तथा इवेंट सेल्स का नाम दिया गया. शोध में इन दोनों सेल्स के ज्यादा सक्रिय होने की अवस्था में उनकी प्रतिक्रियाओं के बारे में भी विस्तार से अध्धयन किया गया. जिसमें पाया गया कि बाउंड्री और इवेंट सेल्स, दोनों की गतिविधियां जब एक विशेष अवस्था में चरम पर होती हैं, तब दोनों ही मस्तिष्क को सिग्नल भेजते हैं तो मस्तिष्क में नयी यादें बननी शुरू होती हैं. शोधकर्ताओं के अनुसार बाउंड्री सेल का कार्य बहुत कुछ ऐसा होता है जैसे आप अपने कंप्यूटर में एक नया फोल्डर बना कर उसमें संबंधित विषय से जुड़ी फ़ाइल सेव करते हैं.
याददाश्त संबंधी बीमारियों के इलाज में शोध की प्रासंगिकता
याददाश्त संबंधी बीमारियों के संबंध में इस शोध की प्रासंगिकता के बारे में उली रुतिशौसर ने बताया कि याददाश्त सम्बधी विकृतियों के इलाज के लिए जरूरी है कि पहले यादें बनाने वाली प्रक्रिया को समझा जाय. उन्होंने उम्मीद जताई है कि चूंकि यह शोध यादें बनाने की प्रक्रिया के बारे में बताता है तो निसन्देह याददाश्त में कमी या कमजोरी जैसी बीमारियों जैसे डिमेंशिया और अल्जाइमर आदि के इलाज में इसके निष्कर्ष काफी फायदेमंद हो सकते हैं और उनके इलाज में भी नये रास्ते खोल सकते हैं .
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