उदयपुर. राजस्थान की सीट ऐसी भी है जहां किसी एक जाती का वर्चस्व सबसे ज्यादा देखनो को मिला है. जिस तरह शेखावाटी की तीनों सीटों पर जाटों का वर्चस्व रहा है वैसे ही मेवाड़ की उदयपुर लोकसभा सीट पर मीणा जाति का वर्चस्व आजतक कायम है. पार्टी चाहे कोई भी हो उदयपुर से लोकसभा प्रत्याशी मीणा जाति से ही चुनती आई हैं.
इस बार भी राजनीतिक दलों ने अपनी परंपरा निभाते हुए फिर से मीणा प्रत्याशियों को चुनावी रण में उतारा है. उदयपुर सीट पर ऐसे क्या सियासी समीकरण हैं जिसके चलते तमाम राजनीतिक दल हमेशा मीणा प्रत्याशी ही चुनते हैं. आईए जानते हैं...
यूं तो राजनीतिक दल जातिवाद की बात नहीं करते और सभी को साथ लेकर राजनीति करने के दावे करते हैं लेकिन राजस्थान के उदयपुर लोकसभा सीट पर हाल कुछ और है. उदयपुर लोकसभा सीट पर पिछले लंबे समय से मीणा समुदाय का कब्जा है यह तीसरा मौका है जब दोनों ही पार्टियों ने मीणा जाति से ही प्रत्याशी को चुना है. बीजेपी ने जहां मौजूदा सांसद अर्जुन लाल मीणा तो वहीं कांग्रेस ने पूर्व सांसद रघुवीर मीणा इस सीट से प्रत्याशी घोषित किया है.
एसटी के लिए रिजर्व उदयपुर लोकसभा सीट की कुल मतदाता संख्या 29 लाख 52 हजार 470 है. जिसका 81% हिस्सा ग्रामीण और 18% हिस्सा शहरी है. जबकि कुल आबादी का 5.5 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जाति जबकि 59.8 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जनजाति का है. ऐसे में सबसे ज्यादा दबदबा अनुसूचित जनजाति का है. जिसके चलते दोनों राजनीतिक दल इसी समुदाय के व्यक्ति को अपनी पार्टी से लंबे समय से लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा रहे हैं.
उदयपुर लोकसभा के दायरे में आठ विधानसभाएं आती हैं जिनमें से पांच विधानसभा क्षेत्रों के विधायक भी मीणा जाति के ही हैं. उदयपुर ग्रामीण से फूल सिंह मीणा वर्तमान में विधायक हैं, सलूंबर से अर्जुन लाल मीणा, प्रतापगढ़ से रामलाल मीणा, धरियावाद से गौतम लाल मीणा विधायक है जबकि डूंगरपुर से निर्दलीय विधायक भी मीणा समुदाय से ही है .
लोकसभा के दायरे में आने वाले अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी बहुसंख्यक में मीणा समुदाय के वोटर ही हैं. मीणा समाज का मजबूत जनाधार होने के चलते ही यहां विधानसभा चुनाव में भी मीणा प्रत्याशी ही जीतते हैं. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राजनीतिक दल हमेशा वहां स्थानीय जाति के आधार पर टिकट वितरण करती है. ऐसे में उदयपुर लोकसभा सीट पर मीणा समुदाय बहुसंख्यक है और इसी के चलते इस सीट पर लंबे समय से मीणा समुदाय के लोग ही प्रत्याशी के तौर पर आ रहे हैं.