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मनोचिकित्सक की अभिभावकों को खास सलाह, बच्चों के मोबाइल और कंप्यूटर पर रखें पैनी नजर

आधुनिक समय में मोबाइल फोन हर आम और खास की जरूरत बन चुका. यहां तक कि बच्चों को भी दिलाना मजबूरी बनता जा रहा है. ऐसे में अपने बच्चों को मोबाइल दिलाने के साथ यह भी ध्यान रखें कि वह उस पर किन चीजों को देखना पसंद करते हैं. उदयपुर में 9 साल की मासूम के साथ दरिंदगी का एक प्रमुख कारण 21 वर्षीय आरोपी द्वारा मोबाइल फोन पर अश्लील फिल्म देखना भी माना जा रहा है.

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मनोचिकित्सक की अभिभावकों को खास सलाह
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Published : Apr 26, 2023, 7:52 PM IST

बच्चों के मोबाइल और कंप्यूटर पर रखें पैनी नजर

उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर के मावली में 9 साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में कई खुलासे हो रहे हैं. मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या को अंजाम देने वाला युवक 21 वर्षीय था. इतना ही नहीं पुलिस द्वारा पेश किए गए चालान में सामने आया कि आरोपी ने बार-बार अपने मोबाइल में अश्लील फिल्म देखी. आरोपी ने मासूम बच्ची की जिस दिन हत्या और दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया था. उस दिन भी उसने करीब 30 बार अश्लील फिल्म देखी थी. ऐसे में अपने बच्चों के मोबाइल पर किस तरह ध्यान रखा जाए कि वह इस तरह की गतिविधि में संलिप्त न हो. इसे लेकर मनोचिकित्सक से ईटीवी भारत ने बातचीत की है.

ये भी पढ़ेंः Udaipur Girl Murder Case : शव के साथ दरिंदगी करने वाला नेक्रोफिलिया से ग्रसित, मनोचिकित्सक ने कही ये बात

बच्चों का रखें विशेष ध्यानः सहायक आचार्य मनोरोग विभाग डॉ दिलीप सिंह वर्मा ने बताया कि बच्चों पर माता-पिता को विशेष ध्यान रखना चाहिए. मोबाइल देने के दौरान इसपर भी नजर रखनी चाहिए कि किन चीजों पर ज्यादा समय व्यतीत कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में जब बच्चे किसी चीज को लेकर जिद करने लग जाते हैं, तो माता-पिता मोबाइल देकर उन्हें बिठा देते हैं. इस दौरान अभिभावक यह देखना भूल जाते हैं कि बच्चा मोबाइल में क्या कुछ देख रहा है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से आजकल कई तरह के ऐड भी सामने आते हैं. जिन पर क्लिक करने के बाद कई अन्य गतिविधियों में बच्चा चला जाता है. ऐसे में बच्चों के मोबाइल और कंप्यूटर पर विशेष तौर से ध्यान रखा जाना चाहिए. बच्चे किन-किन चीजों को अपने मोबाइल में उपयोग कर रहे हैं.

अश्लील फिल्म के आदी होने से बचाएंः डॉक्टर ने बताया कि बार-बार बच्चे अपने मोबाइल में अश्लील फिल्म देखने लग जाते हैं. ऐसे में उनमें कई गलत गतिविधियां करने और अश्लील चीजों की तरफ ध्यान आकर्षित होता है. इसलिए बच्चों के स्वभाव में भी परिवर्तन देखने को मिलता है. चिड़चिड़ापन होना और किसी बात को नजरअंदाज करने जैसी बातें भी सामने आती है. ऐसी स्थिति में बच्चों को मनोचिकित्सक, साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाकर दिखाना चाहिए.

बच्चों के मोबाइल और कंप्यूटर पर रखें पैनी नजर

उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर के मावली में 9 साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में कई खुलासे हो रहे हैं. मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या को अंजाम देने वाला युवक 21 वर्षीय था. इतना ही नहीं पुलिस द्वारा पेश किए गए चालान में सामने आया कि आरोपी ने बार-बार अपने मोबाइल में अश्लील फिल्म देखी. आरोपी ने मासूम बच्ची की जिस दिन हत्या और दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया था. उस दिन भी उसने करीब 30 बार अश्लील फिल्म देखी थी. ऐसे में अपने बच्चों के मोबाइल पर किस तरह ध्यान रखा जाए कि वह इस तरह की गतिविधि में संलिप्त न हो. इसे लेकर मनोचिकित्सक से ईटीवी भारत ने बातचीत की है.

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बच्चों का रखें विशेष ध्यानः सहायक आचार्य मनोरोग विभाग डॉ दिलीप सिंह वर्मा ने बताया कि बच्चों पर माता-पिता को विशेष ध्यान रखना चाहिए. मोबाइल देने के दौरान इसपर भी नजर रखनी चाहिए कि किन चीजों पर ज्यादा समय व्यतीत कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में जब बच्चे किसी चीज को लेकर जिद करने लग जाते हैं, तो माता-पिता मोबाइल देकर उन्हें बिठा देते हैं. इस दौरान अभिभावक यह देखना भूल जाते हैं कि बच्चा मोबाइल में क्या कुछ देख रहा है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से आजकल कई तरह के ऐड भी सामने आते हैं. जिन पर क्लिक करने के बाद कई अन्य गतिविधियों में बच्चा चला जाता है. ऐसे में बच्चों के मोबाइल और कंप्यूटर पर विशेष तौर से ध्यान रखा जाना चाहिए. बच्चे किन-किन चीजों को अपने मोबाइल में उपयोग कर रहे हैं.

अश्लील फिल्म के आदी होने से बचाएंः डॉक्टर ने बताया कि बार-बार बच्चे अपने मोबाइल में अश्लील फिल्म देखने लग जाते हैं. ऐसे में उनमें कई गलत गतिविधियां करने और अश्लील चीजों की तरफ ध्यान आकर्षित होता है. इसलिए बच्चों के स्वभाव में भी परिवर्तन देखने को मिलता है. चिड़चिड़ापन होना और किसी बात को नजरअंदाज करने जैसी बातें भी सामने आती है. ऐसी स्थिति में बच्चों को मनोचिकित्सक, साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाकर दिखाना चाहिए.

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