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मेनार में होली पर दिखता है दिवाली सा नजारा, 400 साल से निभा रहे परंपरा...जानें क्या है खास - Udaipur latest news

होली अल्हड़ मस्ती का त्यौहार है. देश के विभिन्न हिस्सों में होली मनाने के कई रिवाज प्रचलित हैं. लेकिन उदयपुर के मेनार की होली (Udaipur menar special holi) सबसे अनूठी मानी जाती है. यहां होली के मौके पर दिवाली सा नजारा दिखाई देता है. मेनार में रंग और फूलों से नहीं, पटाखे और बारूद से होली खेली जाती है.

Udaipur menar special holi
मेनार में होली के अनूठे 'रंग'
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Published : Mar 18, 2022, 7:54 PM IST

Updated : Mar 18, 2022, 9:31 PM IST

उदयपुर. होली के मौके पर यूं तो देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रीति-रिवाज से लोग त्यौहार मनाते हैं. कहीं रंगों की होली तो कहीं फूलों की होली देखने को मिलती है. लेकिन उदयपुर से 40 किलोमीटर दूर स्थित मेनार में होली के दिन दिवाली सा नजारा (Udaipur menar special holi) दिखाई देता है. यहां की होली अपने आप में ही अनूठी है. मेनार में खेली जाने वाली होली रंग और फूलों की नहीं बल्कि पटाखे और गोला-बारूद की होती है.

मुगलों की सेना को शिकस्त देने के उत्साह में पिछले 400 साल से मेनार में गोला-बारूद की होली खेली जाती है. इस बार ये होली 19 मार्च यानी कि जमराबीज पर खेली जाएगी. इस दिन शाम ढलने के साथ ही मेनार गांव में मेनारिया समाज के लोग पटाखों, गोला-बारूद के साथ होली खेलते हैं. इतिहासकार बताते हैं कि पिछले 400 साल से इस परंपरा का निर्वहन बदस्तूर जारी है. दरअसल मुगलों की सेना को इस इलाके के रणबांकुरों ने अपने शौर्य और पराक्रम के बल पर शिकस्त दी थी. उसी खुशी में जमराबीज के दिन यहां की अनूठी होली मनाई जाती है.

मेनार में होली के अनूठे 'रंग'

पढ़ें. नवाबी नगरी टोंक में निकली बादशाह की सवारी, कुछ ऐसा दिखा नजारा

शाम ढलने के साथ शुरू होता है उत्सव
मेवाड़ के मेनार मे इसी दिन हर वर्ष शाम ढलने के साथ ही गांव के अलग-अलग रास्तों से रणबांकुरे की टोलियां सेना के टुकड़ियों के वेश में गांव के मुख्य चौक में पहुंचती हैं. यहां बंदूक और बारूद की चिंगारियां उस दिन की याद ताजा कराती है. जब इस गांव और आसपास के इलाकों में रणबांकुरे ने मुगल आक्रांता और को धूल चटा दी थी. 400 साल से चली आ रही इस परंपरा को अब बारूद की होली के नाम से भी पहचाना जाने लगा है.

Udaipur menar special holi
होली पर बच्चे भी दिखाते हैं करतब

दूर-दराज से भी चले आतें हैं गांव के लोग
जमराबीज की पूरी रात मेनार गांव के रहने वाले मेनारिया समाज के लोग जमकर मस्ती करते हैं. शौर्य और पराक्रम के प्रति इस त्यौहार का आनंद लेते हैं. ऐसे में परंपरा का निर्वहन करने के लिए मेनारिया समाज का हर व्यक्ति अपने गांव लौट आता है. ऐसे में बच्चे बूढ़े और जवान सभी पारंपरिक वेशभूषा में सजधज कर शाम से ही मेनार गांव के बीच चौक में जमा होने लगते हैं. जैसे-जैसे अंधेरा बढ़ने लगता है. तलवारों से गैर नृत्य खेलकर समां बांधते हैं.

Udaipur menar special holi
होली पर तलवारबाजी नृत्य

पढ़ें. राजस्थान में होली पर नजर आई सतरंगी छटा...पुष्कर में थिरके पर्यटक तो सांवलिया के दर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

यह कहते हैं इतिहासकार
इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि उदयपुर के मेनार गांव में जमराबीज पर अनूठी होली खेली जाती है. ऐसे में यहां खेली जाने वाली होली की अपनी एक परंपरा और इतिहास है. जब महाराणा प्रताप ने मुगलों से संघर्ष के लिए हल्दीघाटी युद्ध की शुरुआत की थी. ऐसे में प्रताप ने मेवाड़ के हर व्यक्ति को उस चेतना से जोड़ते हुए स्वाभिमान का जो पाठ पढ़ाया था. इसी के बाद में अमर सिंह के नेतृत्व में मुगल थानों पर विभिन्न हमले किए जा रहे थे.

Udaipur menar special holi
मेनार की होली

उन्होंने बताया कि इसी प्रसंग के अंदर मेनार के पास एक मुगलों की छावनी हुआ करती थी. ऐसे में मुगलों की छावनी का जो अत्याचार था. इससे मुक्ति पाने के लिए मेनार के ही ग्राम वासियों ने मुगलों के अत्याचार का मुंहतोड़ जवाब देने की योजना बनाई. मेनार के लोगों ने एकजुट होकर मुगलों का मुंहतोड़ जवाब दिया. लोगों ने मुगलों की छावनी पर भीषण आक्रमण करते हुए वहां की सेना को शिकस्त दी. इसके बाद में जो जीत हासिल हुई थी. उसी की याद यहां हर साल मेनार की अनूठी होली खेली जाती है.

उदयपुर. होली के मौके पर यूं तो देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रीति-रिवाज से लोग त्यौहार मनाते हैं. कहीं रंगों की होली तो कहीं फूलों की होली देखने को मिलती है. लेकिन उदयपुर से 40 किलोमीटर दूर स्थित मेनार में होली के दिन दिवाली सा नजारा (Udaipur menar special holi) दिखाई देता है. यहां की होली अपने आप में ही अनूठी है. मेनार में खेली जाने वाली होली रंग और फूलों की नहीं बल्कि पटाखे और गोला-बारूद की होती है.

मुगलों की सेना को शिकस्त देने के उत्साह में पिछले 400 साल से मेनार में गोला-बारूद की होली खेली जाती है. इस बार ये होली 19 मार्च यानी कि जमराबीज पर खेली जाएगी. इस दिन शाम ढलने के साथ ही मेनार गांव में मेनारिया समाज के लोग पटाखों, गोला-बारूद के साथ होली खेलते हैं. इतिहासकार बताते हैं कि पिछले 400 साल से इस परंपरा का निर्वहन बदस्तूर जारी है. दरअसल मुगलों की सेना को इस इलाके के रणबांकुरों ने अपने शौर्य और पराक्रम के बल पर शिकस्त दी थी. उसी खुशी में जमराबीज के दिन यहां की अनूठी होली मनाई जाती है.

मेनार में होली के अनूठे 'रंग'

पढ़ें. नवाबी नगरी टोंक में निकली बादशाह की सवारी, कुछ ऐसा दिखा नजारा

शाम ढलने के साथ शुरू होता है उत्सव
मेवाड़ के मेनार मे इसी दिन हर वर्ष शाम ढलने के साथ ही गांव के अलग-अलग रास्तों से रणबांकुरे की टोलियां सेना के टुकड़ियों के वेश में गांव के मुख्य चौक में पहुंचती हैं. यहां बंदूक और बारूद की चिंगारियां उस दिन की याद ताजा कराती है. जब इस गांव और आसपास के इलाकों में रणबांकुरे ने मुगल आक्रांता और को धूल चटा दी थी. 400 साल से चली आ रही इस परंपरा को अब बारूद की होली के नाम से भी पहचाना जाने लगा है.

Udaipur menar special holi
होली पर बच्चे भी दिखाते हैं करतब

दूर-दराज से भी चले आतें हैं गांव के लोग
जमराबीज की पूरी रात मेनार गांव के रहने वाले मेनारिया समाज के लोग जमकर मस्ती करते हैं. शौर्य और पराक्रम के प्रति इस त्यौहार का आनंद लेते हैं. ऐसे में परंपरा का निर्वहन करने के लिए मेनारिया समाज का हर व्यक्ति अपने गांव लौट आता है. ऐसे में बच्चे बूढ़े और जवान सभी पारंपरिक वेशभूषा में सजधज कर शाम से ही मेनार गांव के बीच चौक में जमा होने लगते हैं. जैसे-जैसे अंधेरा बढ़ने लगता है. तलवारों से गैर नृत्य खेलकर समां बांधते हैं.

Udaipur menar special holi
होली पर तलवारबाजी नृत्य

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यह कहते हैं इतिहासकार
इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि उदयपुर के मेनार गांव में जमराबीज पर अनूठी होली खेली जाती है. ऐसे में यहां खेली जाने वाली होली की अपनी एक परंपरा और इतिहास है. जब महाराणा प्रताप ने मुगलों से संघर्ष के लिए हल्दीघाटी युद्ध की शुरुआत की थी. ऐसे में प्रताप ने मेवाड़ के हर व्यक्ति को उस चेतना से जोड़ते हुए स्वाभिमान का जो पाठ पढ़ाया था. इसी के बाद में अमर सिंह के नेतृत्व में मुगल थानों पर विभिन्न हमले किए जा रहे थे.

Udaipur menar special holi
मेनार की होली

उन्होंने बताया कि इसी प्रसंग के अंदर मेनार के पास एक मुगलों की छावनी हुआ करती थी. ऐसे में मुगलों की छावनी का जो अत्याचार था. इससे मुक्ति पाने के लिए मेनार के ही ग्राम वासियों ने मुगलों के अत्याचार का मुंहतोड़ जवाब देने की योजना बनाई. मेनार के लोगों ने एकजुट होकर मुगलों का मुंहतोड़ जवाब दिया. लोगों ने मुगलों की छावनी पर भीषण आक्रमण करते हुए वहां की सेना को शिकस्त दी. इसके बाद में जो जीत हासिल हुई थी. उसी की याद यहां हर साल मेनार की अनूठी होली खेली जाती है.

Last Updated : Mar 18, 2022, 9:31 PM IST
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