उदयपुर. झीलों की नगरी और दुनिया के सबसे हसीन शहरों में शुमार उदयपुर में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र विश्व विख्यात शिल्पग्राम महोत्सव आगाज हुआ. 21 दिसंबर से 30 दिसंबर तक चलने वाले इस शिल्पग्राम महोत्सव का आगाज राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया. देशभर की लोक संस्कृति को एक धागे में पिरोने वाले इस वृहद लोकोत्सव में जहां लोक गीत-संगीत-नृत्य का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है, वहीं तमाम राज्यों के हस्तशिल्प उत्पाद बनाने वाले यहां लगे करीब 400 स्टॉल्स पर अपने उत्पादों को बिक्री भी हो रही है.
राज्यपाल ने ढोल बजाकर किया महोत्सव का आगाज़: शिल्पग्राम महोत्सव का शुभारंभ गवर्नर कलराज मिश्र और अन्य अतिथि मुख्य मंच पर ढोल वादन के साथ किया. 'लोक झंकार' कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शुरू हुए. यह उत्सव 30 दिसंबर तक चलेगा. उद्घाटन समारोह में राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि लोक संस्कृति में ही जीवन की सुगंध समाई होती है. उन्होंने कहा कि संस्कृति कोई वस्तु नहीं, बल्कि जीवन जीने की ढंग होती है. हर देशवासी का कर्तव्य है कि वह अपनी संस्कृति को सहेजे और उसे अक्षुण्ण बनाए रखे. राज्यपाल ने राजस्थान के शौर्य और बलिदान को याद करते हुए महाराणा प्रताप, पन्नाधाय के साथ ही महलों और मंदिरों की भूमि बताते हुए कहा कि मरुधरा के तो कण-कण में कला और संस्कृति है. उन्होंने शिल्पग्राम उत्सव के आयोजन के लिए पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर और केंद्र की निदेशक किरण सोनी गुप्ता और उनकी टीम की प्रशंसा की और बधाई दी.
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देशभर के नामचीन लोक कलाकार पहुंचे: दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में देशभर से आए लोक कलाकार अपनी-अपनी आर्ट फार्म का प्रदर्शन करेंगे. इसमें जहां करीब 500 कलाकार अपनी लोक कला का मुक्ताकाशी मंच पर प्रदर्शन कर दर्शकों का मन मोहेंगे, वहीं करीब 400 स्टॉल्स पर हस्तशिल्प के उत्पादों की बिक्री होगी. प्रतियोगिता, शिविर और कार्यशाला: उत्सव के दौरान मांडणा और मेहंदी कला प्रतियोगिता के साथ ही फड़ कला शिविर तथा रेखा चित्र कार्यशाला का आयोजन भी होगा. इनमें प्रतिभागी जहां नई कला सीखने के साथ ही अपनी कला को और निखार सकेंगे.
'एक भारत श्रेष्ठ भारत' विजन के तहत हुई शानदार प्रस्तुति: पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' विजन के तहत आयोजित 'शिल्पग्राम उत्सव' के पहली सांस्कृतिक पेशकश 'लोक झंकार' ने संस्कृति के ऐसे खूबसूरत रंग बिखेरे कि मौजूद तमाम कला प्रेमियों के दिल झंकृत हो गए और वे झूमने लगे. इस झंकार को देश की प्रसिद्ध लोक नर्तकी और लोक नृत्य निर्देशक मैत्रेयी पहाड़ी को अपने अनुभव और फॉक पर उम्दा पकड़ का तड़का देकर सुपर फॉक डांसर्स से सुपीरियर पॉरफॉरमेंस करवा कर अलग ही ऊंचाइयां प्रदान की.
देश के कोने-कोने के लोक नृत्यों का अनूठा संगम: इस सुपर लोक झंकार के दौरान मणिपुरी म्यूजिकल पुंग ढोल चोलम, राजस्थानी चरी, छत्तीसगढ़ के ककसार, गोवा के देखनी, ओडिशा के गोटीपुआ, गुजरात के जेठवा, पश्चिम बंगाल के नटवा, महाराष्ट्र के सोंगी मुखोटा, झारखंड के पाइका, पश्चिम बंगाल के पुरलिया छाऊ, कर्नाटक के ढोलू कुनिथा, दमन के माची, गुजरात के राठवा, राजस्थानी कालबेलिया, पंजाब के भांगड़ा, गुजरात के सिद्धि धमाल नृत्यों की एक के बाद एक प्रस्तुति दी गई. राजस्थान के लंगा गायन ने दर्शकों को झूमने पर विवश कर दिया.