उदयपुर. प्रदेश की राजनीतिक सियासत में भाजपा के कद्दावर नेता गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बना दिया गया है. लंबे अरसे तक मेवाड़ के उदयपुर शहर से विधायक का चुनाव जीते आ रहे. गुलाबचंद कटारिया भाजपा को मेवाड़ में स्थापित करने वाले नेताओं में से एक माने जाते हैं. वर्ष 2003 से कटारिया उदयपुर शहर विधानसभा क्षेत्र लगातार चुनाव में जीत हासिल करते आ रहे हैं. इसलिए कटारिया के गवर्नर बनाए जाने के बाद अब उदयपुर शहर से भाजपा का उम्मीदवार कौन होगा इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है. लेकिन भाजपा में फिलहाल दर्जनभर दावेदार सीट पर दावेदारी जता रहे हैं.
प्रमुख दावेदार उदयपुर शहर विधानसभा सीट से
उदयपुर शहर विधानसभा सीट के लिए संभावित उम्मीदवारों की सूची में सबसे पहला नाम भाजपा के शहर जिला अध्यक्ष रविंद्र श्रीमाली का आता है. श्रीमाली गुलाबचंद कटारिया के बेहद नजदीकी नेताओं में से एक हैं. उदयपुर में उपमहापौर पारस सिंघवी और भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष अलका मूंदड़ा भी विधायक के लिए चुनाव लड़ने के सपने देख रहे हैं.
हालांकि दोनों ही नेताओं की गुलाबचंद कटारिया की गुड लिस्ट में नहीं होने की बातें भी कही जाती रही हैं. कई दावेदारों के बीच विधायकी का ख्वाब देख रहे रजनी डांगी और प्रमोद सामर भी अपने स्तर पर नए समीकरणों को तलाशते हुए दावेदारी के लिए अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
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महाराणा प्रताप के वंशज लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को लेकर भी चर्चाएं चल रही हैं. राज्यपाल बनाए जाने को लेकर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की पत्नी अनीता कटारिया की एक प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल बनाए जाने की मुझे कोई जानकारी नहीं थी लेकिन 1-2 फोन आने के बाद मुझे इसके बारे में पता चला. उन्होंने कहा कि जो भी पार्टी का निर्णय होगा उसमें हम सभी शामिल हैं.
गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल बनने के बाद मेवाड़ संभाग के राजनीतिक समीकरण भी बदलते नजर आ रहे हैं. संभाग की कई विधानसभा सीटों पर इस बार असर पड़ता हुआ नजर आएगा. उदयपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से गुलाबचंद कटारिया 8 बार से विधायक रह चुके हैं.
क्या कटारिया के इस्तीफे के बाद होगा उपचुनाव
क्या गुलाबचंद कटारिया इस्तीफा देने के बाद उदयपुर में फिर उपचुनाव होगा. राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के प्रावधानों के अंतर्गत 6 महीने में उपचुनाव कराया जाता है. लेकिन इसी कानून की धारा 151ए में यह प्रावधान है कि यदि उस सांसद या विधायक का कार्यकाल जिसकी सीट खाली हुई. 1 वर्ष से कम रह गया हो तो इस स्थिति में उपचुनाव नहीं होगा. राजस्थान विधानसभा का कार्यकाल 14 जनवरी 2024 को पूरा हो जाएगा. क्योंकि राजस्थान विधान सभा की पहली बैठक 15 जनवरी 2019 को आयोजित हुई थी. यानी अब विधानसभा चुनाव होने में 1 वर्ष से भी कम वक्त बचा है. इसी कारण इस सीट पर उपचुनाव नहीं होगा.
उदयपुर विधानसभा सीट से कटारिया 2003 से लगातार कटारिया विधायक हैं. इससे पहले 1998 में भी कटारिया ने विधानसभा चुनाव जीता था. मगर तब वे उदयपुर की बजाय बड़ी सादड़ी सीट से चुनाव लड़े थे. मगर इसके बाद से लगातार वे उदयपुर से चुनाव जीत रहे हैं.
8 बार विधायक और एक बार सांसद रहे
गुलाबचंद कटारिया भाजपा में सबसे वरिष्ठ विधायकों में एक माने जाते हैं. कटारिया लगातार विधायक बनते आ रहे हैं. कटारिया 8 बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं. कटारिया का जन्म उदयपुर में 13 अक्टूबर 1944 को हुआ था उनके परिवार में पांच पुत्रियां और पत्नी हैं.
1977 में पहली बार चुने गए थे विधायक
गुलाबचंद कटारिया 1977 में पहली बार विधायक चुने गए थे और उसके बाद 1980 से 1985, 1993 से 1998, 1998 से 2003, 2008 से 2013, 2013 से 2018 और 2018 से अभी तक विधायक हैं. इसके अलावा कटारिया 1989 से 1993 तक उदयपुर से लोकसभा के सांसद भी रह चुके हैं.