उदयपुर. शहर के मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी ने भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के साथ एक एमओयू साइन किया (MoU between MLSU and DAE) है. जिसके तहत 5 साल तक राजस्थान में परमाणु खनिजों की खोज करने का काम किया जाएगा. इसके अनुसार दोनों संस्थाएं मिलजुल कर परमाणु खनिजों के अन्वेषण और खोज से जुड़ी हुई भिन्न-भिन्न प्रकार के शोध कार्य संयुक्त रूप से करेंगे.
इस एमओयू के तहत विश्वविद्यालय के विज्ञान एवं पृथ्वी विज्ञान संकाय के परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान की परियोजनाओं को मूर्त रूप दे पाएंगे. दोनों संस्थाएं इस एमओयू के तहत आने वाले 5 वर्षों के लिए साथ कार्य करेंगे. प्रदेश में खासकर उदयपुर संभाग में खनिजों के भंडार हैं. इसलिए यहां की यूनिवर्सिटी को चुना गया है. परमाणु ऊर्जा विभाग ने गोवा, तमिलनाडु, गुजरात सहित देशभर के 20 यूनिवर्सिटी से एमओयू किया है. जिसमें राजस्थान से एकमात्र उदयपुर की सुखाड़िया यूनिवर्सिटी है.
एमओयू के तहत ऊर्जा विभाग के जयपुर स्थित क्षेत्रीय निदेशालय और यूनिवर्सिटी की संयुक्त टीम बनेगी, जो राजस्थान के खनिज प्रधान जिलों में यूरेनियम व रियल अर्थ एलिमेंट जैसे परमाणु खनिजों की खोज करेगी. समन्वयक डॉ रितेश पुरोहित ने बताया कि वर्ष 2020 में भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग ने परमाणु खनिज अन्वेषण व अनुसंधान के लिए 16 मार्च 2020 को पत्र भेजा था. तब से ही एमओयू किया जाना था. कोरोना के कारण इसमें देरी हो गई. एटोमिक मिनरल डिविजन के निदेशक डॉ दीपक कुमार सिन्हा ने कहा कि अब परमाणु खनिजों की खोज के लिए अकादमिक संस्थानों को जोड़ रहे हैं.