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Annakoot Festival : श्रीनाथजी को लगाया गया छप्पनभोग, निभाई गई अन्नकूट लूट की परंपरा

श्रीनाथजी मंदिर में अन्नकूट महोत्सव मनाया गया. इस दौरान वर्षों पुरानी भोग को लूटने की परंपरा (Annakoot Festival at Shrinathji Temple) निभाई गई. इस दौरान कई राज्यों से भक्त भी मंदिर में मौजूद रहे.

श्रीनाथजी मंदिर में अन्नकूट महोत्सव
श्रीनाथजी मंदिर में अन्नकूट महोत्सव
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Published : Nov 3, 2022, 3:42 PM IST

उदयपुर. पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की प्रधान पीठ नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में बुधवार को अन्नकूट महोत्सव (Annakoot Festival at Shrinathji Temple) मनाया गया. अन्नकूट के अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी व लालन को छप्पन भोग लगाया गया. इस दौरान 350 वर्ष पुरानी परंपरा भी देखने को मिली, जिसके अनुसार प्रभु को लगाए गए भोग को आदिवासी समुदाय के लोग लूट कर ले जाते हैं.

दीपावली पर ग्रहण के चलते बुधवार को अक्षय नवमी पर अन्नकूट महोत्सव मनाया गया. अन्नकूट के अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी व लालन को 100 क्विंटल चावल का भोग लगाया गया. इस चावल व अन्य भोग सामग्रियों को आदिवासी समाज के लोग लूट कर ले गए. रात करीब साढ़े ग्यारह बजे अन्नकूट लूट की परंपरा निभाई गई. इस परंपरा को देखने के लिए आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों और विभिन्न राज्यों से दर्शनार्थी आए थे.

श्रीनाथजी मंदिर में अन्नकूट महोत्सव

पढ़ें. दीवाली के अगले दिन श्रीनाथजी मंदिर में नहीं मनेगा अन्नकूट पर्व, वजह सूर्य ग्रहण

करीब 350 सालों से निभाई जा रही परंपरा : आदिवासी लोगों ने बताया कि इस चावल का उपयोग अपने सगे संबंधियों में (tradition of looting Bhog in Shrinathji Temple) बांटने तथा औषधि के रूप में किया जाता है. इस चावल को वे अपने घर में रखते हैं. उनकी मान्यता है कि इससे घर में धन-धान्य बना रहता है व किसी प्रकार के कष्ट नहीं आते.

उदयपुर. पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की प्रधान पीठ नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में बुधवार को अन्नकूट महोत्सव (Annakoot Festival at Shrinathji Temple) मनाया गया. अन्नकूट के अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी व लालन को छप्पन भोग लगाया गया. इस दौरान 350 वर्ष पुरानी परंपरा भी देखने को मिली, जिसके अनुसार प्रभु को लगाए गए भोग को आदिवासी समुदाय के लोग लूट कर ले जाते हैं.

दीपावली पर ग्रहण के चलते बुधवार को अक्षय नवमी पर अन्नकूट महोत्सव मनाया गया. अन्नकूट के अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी व लालन को 100 क्विंटल चावल का भोग लगाया गया. इस चावल व अन्य भोग सामग्रियों को आदिवासी समाज के लोग लूट कर ले गए. रात करीब साढ़े ग्यारह बजे अन्नकूट लूट की परंपरा निभाई गई. इस परंपरा को देखने के लिए आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों और विभिन्न राज्यों से दर्शनार्थी आए थे.

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करीब 350 सालों से निभाई जा रही परंपरा : आदिवासी लोगों ने बताया कि इस चावल का उपयोग अपने सगे संबंधियों में (tradition of looting Bhog in Shrinathji Temple) बांटने तथा औषधि के रूप में किया जाता है. इस चावल को वे अपने घर में रखते हैं. उनकी मान्यता है कि इससे घर में धन-धान्य बना रहता है व किसी प्रकार के कष्ट नहीं आते.

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