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टोंक : सरकार के खिलाफ लामबंद हुए निजी स्कूल संचालक... - 10 point demand letter to CM

टोंक में बुधवार को निजी स्कूल संचालकों ने जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल को सीएम के नाम 10 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा है. जिसमें उन्होंने फीस को लेकर राहत दिए जाने की गुहार लगाई है. साथ ही बिना किसी रोकटोक के चल रहे कोचिंग सेंटर पर कार्रवाई नहीं होने पर नाराजगी जताई है.

टोंक न्यूज, राजस्थान न्यूज, rajasthan news, tonk news
गहलोत सरकार के खिलाफ हुए निजी स्कूल संचालक
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Published : Nov 4, 2020, 8:47 PM IST

टोंक. जिले में शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूलों की फीस को लेकर निकाले गए आदेश के खिलाफ राजस्थान के निजी स्कूल लामबंद हो गए हैं. स्कूल संचालकों का कहना है कि फीस नहीं मिलने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है.

गहलोत सरकार के खिलाफ हुए निजी स्कूल संचालक

इसी मामले में बुधवार को टोंक जिले के निजी स्कूल संचालकों ने जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल को सीएम अशोक गहलोत के नाम 10 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा है. साथ ही उन्होंने फीस को लेकर राहत दिए जाने की गुहार लगाई है और उन्होंने बिना किसी रोकटोक के चल रहे कोचिंग सेंटर पर कार्रवाई नहीं होने पर नाराजगी जताई है.

वहीं निजी स्कूल संचालक एसोसिएशन से जुड़े गोवर्धन हीरोनि का कहना है कि कल से टोंक जिले के करीब 700 से ज्यादा निजी स्कूल अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. जिसके चलते इन स्कूलों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े करीब 40 हजार स्टाफ कर्मियों के लिए भी रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. इसके साथ ही स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य भी अधर में हो गया है.

ऐसे में निजी स्कूल संचालकों ने सरकार से उन्हें राहत दिए जाने की मांग की है. बता दें कि शिक्षा विभाग ने 28 अक्टूबर को जितना सिलेबस उतनी फीस वसूलने के आदेश जारी किए थे. इसके बाद से ही निजी स्कूल संचालक इस फैसले का विरोध कर रहे थे लेकिन लगातार हो रहे विरोध के बीच अब निजी स्कूल संचालकों ने अनिश्चित काल के लिए स्कूल बंद करने का ऐलान कर दिया है.

पढ़ें: लांबड़ा प्रकरण में RLP-BJP जिलाध्यक्ष आमने-सामने...अब आदुराम ने किया पलटवार

साथ ही दूसरी ओर टोंक जिले के मुख्यालय सहित जिलेभर में चल रहे कोचिंग संस्थान के बिना किसी रोकटोक संचालन होने पर निजी शिक्षण संस्था संचालकों ने रोष व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि एक ओर जहां निजी शिक्षण संस्थान पर राज्य सरकार फीस में कटौती समेत कई तरह की पाबंदिया लगा रही है. वहीं कोरोना काल में भी कोचिंग सेंटर पर छात्र-छात्राओं को बुलाया जा रहा है. साथ ही कोचिंग सेंटर में आने वाले निजी स्कूल के विद्यार्थियों को सरकारी स्कूलों में जाने के लिए दबाव बना रहे हैं जो अनुचित है.

टोंक. जिले में शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूलों की फीस को लेकर निकाले गए आदेश के खिलाफ राजस्थान के निजी स्कूल लामबंद हो गए हैं. स्कूल संचालकों का कहना है कि फीस नहीं मिलने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है.

गहलोत सरकार के खिलाफ हुए निजी स्कूल संचालक

इसी मामले में बुधवार को टोंक जिले के निजी स्कूल संचालकों ने जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल को सीएम अशोक गहलोत के नाम 10 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा है. साथ ही उन्होंने फीस को लेकर राहत दिए जाने की गुहार लगाई है और उन्होंने बिना किसी रोकटोक के चल रहे कोचिंग सेंटर पर कार्रवाई नहीं होने पर नाराजगी जताई है.

वहीं निजी स्कूल संचालक एसोसिएशन से जुड़े गोवर्धन हीरोनि का कहना है कि कल से टोंक जिले के करीब 700 से ज्यादा निजी स्कूल अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. जिसके चलते इन स्कूलों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े करीब 40 हजार स्टाफ कर्मियों के लिए भी रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. इसके साथ ही स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य भी अधर में हो गया है.

ऐसे में निजी स्कूल संचालकों ने सरकार से उन्हें राहत दिए जाने की मांग की है. बता दें कि शिक्षा विभाग ने 28 अक्टूबर को जितना सिलेबस उतनी फीस वसूलने के आदेश जारी किए थे. इसके बाद से ही निजी स्कूल संचालक इस फैसले का विरोध कर रहे थे लेकिन लगातार हो रहे विरोध के बीच अब निजी स्कूल संचालकों ने अनिश्चित काल के लिए स्कूल बंद करने का ऐलान कर दिया है.

पढ़ें: लांबड़ा प्रकरण में RLP-BJP जिलाध्यक्ष आमने-सामने...अब आदुराम ने किया पलटवार

साथ ही दूसरी ओर टोंक जिले के मुख्यालय सहित जिलेभर में चल रहे कोचिंग संस्थान के बिना किसी रोकटोक संचालन होने पर निजी शिक्षण संस्था संचालकों ने रोष व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि एक ओर जहां निजी शिक्षण संस्थान पर राज्य सरकार फीस में कटौती समेत कई तरह की पाबंदिया लगा रही है. वहीं कोरोना काल में भी कोचिंग सेंटर पर छात्र-छात्राओं को बुलाया जा रहा है. साथ ही कोचिंग सेंटर में आने वाले निजी स्कूल के विद्यार्थियों को सरकारी स्कूलों में जाने के लिए दबाव बना रहे हैं जो अनुचित है.

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