टोंक. इसे कोरोना की दहशत कहें या मर रही मानवीय संवेदना. टोंक जिले के आवां गांव में एक दिव्यांग ने भरे बाजार में ट्राइसाइकिल पर ही दम तोड़ दिया. उसकी बेटी रोती-बिलखती रही, पर किसी ने सुध नहीं ली. एक घंटे तक दिव्यांग का शव बाजार में ट्राइसाइकिल पर ही पड़ा रहा.
टोंक जिले के आवां कस्बे में शनिवार दोपहर को दिव्यांग बाबू लाल माली ने बस स्टैंड पर अपनी ट्राइसाइकिल पर ही दम तोड़ दिया. इसका आभास जब पास खड़ी उसकी बेटी को हुआ, तो वह जोर-जोर से चिल्लाने लगी. कुछ राहगीर पास भी आए, लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की. तमाशबीन बन भीड़ उस मासूम को रोते-बिलखते देखती रही.
वहां मौजूद किसी शख्स ने इसकी सूचना जब सरपंच दिव्यांशु भारद्वाज को दी, तो वे मौके पर पहुंचे. सरपंच ने आवां अस्पताल की डॉ. निधी साहू को मौके पर बुला कर चेकअप कराया. जांच के बाद डॉ. निधी साहू ने दिव्यांग को मृत घोषित कर दिया. सरपंच भारद्वाज ने तहसीलदार से बात कर पीपीई किट मंगवाई और कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए पंचायत प्रशासन की मदद से शव का अंतिम संस्कार करवाया.
कुछ दिनों से खराब थी तबीयत
मृतक बाबूलाल की बेटी वैजयंती ने बताया कि कुछ दिनों से उसके पिता की तबीयत खराब थी. दोपहर करीब 1 बजे बाजार में दवाई लेने के लिए वह पिता को ट्राइसाइकिल पर लेकर गई थी. जैसे ही बस स्टैंड पहुंचे तो अचानक उसके पिता की ट्राइसाइकिल पर ही मौत हो गई.
मृतक का नहीं है बेटा, बेटी भी है मानसिक रूप से बीमार
बीमारी की वजह से करीब 10 साल पहले मृतक बाबूलाल की दोनों टांगें घुटने तक काट दी गईं थी. बाबूलाल के परिवार में बेटी के अलावा कोई और नहीं है. माता-पिता और पत्नी की पहले ही मौत हो चुकी है. वह भी मानसिक रूप से बीमार चल रही थी.