श्रीगंगानगर. पंजाब के हरिके बैराज से पानी की जो तस्वीरें सामने आईं वह काफी भयावह और डराने वाली हैं. लेकिन श्रीगंगानगर जिले के जलदाय विभाग के अधिकारी इस पानी को पीने योग्य बताकर सभी सवालों पर विराम लगा देते हैं. दूसरी तरफ आईजीएनपी में काले पानी का पंजाब में हरिके बैराज से छोड़ा गया औद्योगिक अपशिष्ट व केमिकल युक्त पानी हनुमानगढ़ जिले में प्रवेश कर गया है तो वहीं यह पानी अनूपगढ़, घड़साना होते हुए बीकानेर व अन्य जिलों में भी प्रवेश कर चुका है.
पंजाब पर करोड़ों रुपये का जुर्माना लगा चुकी है NGT...
इंदिरा गांधी नहर परियोजना के पानी को पश्चिमी राजस्थान के 10 जिलों के करीब 2 करोड़ लोग पीते हैं. यह हालत तब है जब एनजीटी पंजाब पर करोड़ों रुपये का जुर्माना लगा चुकी है. आईजीएनपी (इंदिरा गांधी नहर परियोजना) में पानी आने के बाद गंग कैनाल के अफसरों को भी सतर्क किया गया है, लेकिन जलदाय विभाग के अधिकारी इस पानी को जांचने के बाद इसे पीने योग्य बता कर दूषित व मनुष्य जीवन के लिए घातक पानी पर उठे सवालों पर विराम लगा देते हैं.
जलदाय विभाग के मुखिया वीरेंद्र बलाना से जब ईटीवी भारत ने पंजाब से आ रहे औद्योगिक अपशिष्ट व दूषित पानी के खतरे के बारे मे जाना तो उन्होने इस पानी को पीने योग्य बताकर किसी प्रकार का रसायनिक तत्व पानी में नहीं होना बताया. जलदाय विभाग के अधीक्षण अभियंता वीरेंद्र बलाना ने बताया कि पंजाब से आ रहे काला पानी रोकने को लेकर जलदाय विभाग काफी सतर्कता बरत रहा है. जैसे ही नहरबंदी के बाद मुख्य नहर में पानी आने की घोषणा हुई, विभाग पूरी तरह सतर्क हुआ. विभाग ने पानी आने से पहले ही नहर के उन स्थानों पर जहां से पानी आना था, उस जगह पर अधिकारियों ने कैंप किया और सैंपल लिए गए.
जलदाय विभाग ने क्या कहा...
मौके पर कलर, पीएच और डीओ की जांच की गई, साथ ही पानी में आने वाले हेवी मेटल्स की जांच की गई है. पानी में रसायनिक तत्वों की जांच जिला मुख्यालय पर स्थित लेबोरेटरी में और हैवी मेटल की जांच जयपुर लेबोरेटरी से प्राप्त हुई है. जिसमें यह पाया गया है कि पानी पीने योग्य है. औद्योगिक अपशिष्ट डालने के सवाल पर जलदाय विभाग के मुखिया ने कहा कि जलदाय विभाग राजस्थान में टेस्टिंग और सैंपल के उपरांत ही जलापूर्ति करता है. विभाग के पास सशक्त माध्यम है, जिससे हैवी मेटल्स की जांच के बाद पूर्णतया सिद्ध हो जाता है कि पानी कैसा है, जिसकी जांच भी करवाई जा चुकी है.
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मनुष्य की बॉडी के लिए रसायनिक तत्व खतरनाक...
हालांकि, उन्होंने कहा कि पंजाब में पानी के अंदर अपशिष्ट मिलाए जाने की सूचना के बाद जलदाय विभाग पहले से ही सतर्क हो गया था. विभाग द्वारा सभी कर्मचारियों की ड्यूटी निर्धारित की गई थी. उन्होंने कहा कि पानी के कलर में या काला पानी दूषित होने की भिन्नता नजर आती तो विभाग ऐसे पानी को स्टोरेज करने पर रोक लगाता. जब उनसे पूछा गया कि पानी में जो औद्योगिक अपशिष्ट व मलमूत्र डाला जाता है, उसमें कौन सा खतरनाक तत्व है. मनुष्य की बॉडी के लिए रसायनिक तत्व कितने खतरनाक होते हैं. जिस पर जलदाय विभाग के मुखिया ने बताया कि पानी में आने वाले हैवी मेटल मनुष्य बॉडी के लिए काफी घातक होते हैं, लेकिन पंजाब से आ रहे पानी में अभी तक लिए गए सैंपल की जांच में किसी प्रकार के हैवी मेटल्स डिटेक्ट नहीं हुए हैं.
जब उनसे पूछा गया कि क्या यह पानी सप्लाई के लिए स्टोरेज किया जाएगा. इस पर उन्होंने कहा कि पानी पीने योग्य हैं. पानी की आपूर्ति करने से पहले भी जांच की गई है. पानी उपयोगी पाए जाने पर ही उसकी सप्लाई की जाती है, अन्यथा उसे रिट्रीट किया जाता है.