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श्रीगंगानगर: सीवरेज का पानी पीने को मजबूर वार्डवासी - गंदा पानी

श्रीगंगानगर के सूरतगढ़ में लोगों के घरों का गंदा पानी निकालने के लिए सीवरेज डाली जा रही है. जो लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है. जिसके चलते लोगों को सीवरेज का गंदा पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

श्रीगंगानगर की खबर, Dirty water
लोग सीवरेज का गंदा पानी पीने को मजबूर
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Published : Jan 11, 2020, 2:50 PM IST

सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). जिले में जल-मल निकास प्रणाली के तहत घरों के गंदे पानी की निकासी के लिए डाली जा रही सीवरेज नागरिकों के लिए नासूर बन रही है. सीवरेज डालने में तकनीकी खामियों की अनदेखी किए जाने से लोग सीवरेज का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.

लोग सीवरेज का गंदा पानी पीने को मजबूर

पेयजल पाइप के जरिए सीवरेज का पानी सीधा घरों में सप्लाई होना आम बात है. जामा मस्जिद वार्ड 41, 03 और 29 में बदबूदार पानी आने पर वार्डवासियों ने पीएचईडी अधिकारियों को शिकायत की. यहां तीनों वार्ड के करीब 70-80 लोग पिछले एक माह से सीवरेज का पानी पी रहे थे.

पढ़ें- साल के हर मैच में बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करूंगा: कुलदीप यादव

पीएचईडी एक्सईएन अशोक कुमार जोधा और एईएन गिरीराज रेगर तकनीकी कर्मचारियों की टीम के साथ मौके पर पहुंचे. सीवरेज कंपनी के तकनीकी कर्मचारियों को मौके पर बुला कर चैंबरों की जांच की तो सीवरेज का पानी पेयजल पाइप लाइन में जाता हुआ मिला. सूचना मिलने पर नगरपालिका चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा मौके पर पहुंचे.

एक्सईएन जोधा ने बताया, कि सीवरेज लाइन की प्रॉपर्टी को पूरी तरह पैकिंग न करके लीकेज छोड़ दिया. जहां पेयजल पाइपलाइन है, वहां सीवरेज का पानी नल के जरिए लोगों के घरों में जाएगा. पाइपलाइन नहीं है. वहां लोगों के घरों की नींव में सीवेरेज का गंदा पानी जाएगा.

उन्होंने कहा, कि पाइप की प्रॉपर पैकिंग करवा दी जाए तो समस्या का 90 फीसदी समाधान हो सकता है. पिछले कई दिन से ऐसी ही शिकायत वार्ड 41 और 42 के वार्डवासी कर रहे थे. वार्ड के करीब 90 परिवारों में गुस्सा था, कि वे सप्ताह भर से भयंकर बदबूदार पानी पीने को मजबूर हैं. चेयरमैन कालवा के कहने पर चैंबरों की जांच करवाई तो यही फाल्ट निकला. इतना ही नहीं जुलाई माह में वार्ड 17 में सीवरेज पाइप टूटने से गंदा पानी पेयजल पाइप से घरों सप्लाई हुआ.

इस दौरान गुस्साए वार्डवासियों ने हंगामा किया तो एक सप्ताह बाद सीवरेज लाइन का फाल्ट पकड़ में आया. चेयरमैन कालवा ने सीवरेज कंपनी के साइट इंजीनियर शंभूराम को प्रभावित वार्डों के चेम्बरों के दुरुस्तीकरण के निर्देश दिए हैं. प्रभावित वार्ड के सुभाष कटारियां, सरोज, जयश्री, शंकर, संगीता सहित वार्डवासी मौजूद थे.

104 करोड़ रुपए की लागत से सीवरेज लाइन डालने का कार्य साल 2016 के अक्टूबर-नवंबर में शुरू हुआ. सीवरेज निर्माण कंपनी मॉटिकार्लो को 19 वार्डों में 90 किलोमीटर सीवरेज लाइन डालनी थी. इसमें 10 किलोमीटर कार्य अधूरा पड़ा है.

पढ़ें- श्रीगंगानगर: नवजात की मौत का आंकड़ा सबसे कम, लेकिन संसाधन और स्टाफ की कमी से जूझ रहे अस्पताल

वहीं, साल 2016 में शुरू हुआ कार्य अगस्त 2017 में पूरा होना था. कंपनी की ओर से समय सीमा बढ़ाने के लिए लिखित में देने पर पालिका ने अंतिम बार 31 मार्च 2019 तक सीवरेज का कार्य पूरा करने की डेडलाइन तय की थी. वहीं बाकी 10 फीसदी कार्य में चैंबर डालने, सड़क बनाने, लाइनों के ज्वॉइंट और कनेक्शन का कार्य डेडलाइन तय होने के 9 माह बाद भी होना बाकी है. शहरवासी अभी और नासूर बन चुके सीवरेज की पीड़ा भुगतेंगे. कहीं सड़क टूटी है तो कहीं गड्ढे, कहीं सड़कों पर चेम्बर लेवल से ऊंचे निकले हुए हैं. पूरे शहर में सीवरेज के कारण वाहनों से उड़ने वाली धूल ने लोगों को कमर दर्द और श्वांसरोग से ग्रस्त कर दिया है.

सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). जिले में जल-मल निकास प्रणाली के तहत घरों के गंदे पानी की निकासी के लिए डाली जा रही सीवरेज नागरिकों के लिए नासूर बन रही है. सीवरेज डालने में तकनीकी खामियों की अनदेखी किए जाने से लोग सीवरेज का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.

लोग सीवरेज का गंदा पानी पीने को मजबूर

पेयजल पाइप के जरिए सीवरेज का पानी सीधा घरों में सप्लाई होना आम बात है. जामा मस्जिद वार्ड 41, 03 और 29 में बदबूदार पानी आने पर वार्डवासियों ने पीएचईडी अधिकारियों को शिकायत की. यहां तीनों वार्ड के करीब 70-80 लोग पिछले एक माह से सीवरेज का पानी पी रहे थे.

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पीएचईडी एक्सईएन अशोक कुमार जोधा और एईएन गिरीराज रेगर तकनीकी कर्मचारियों की टीम के साथ मौके पर पहुंचे. सीवरेज कंपनी के तकनीकी कर्मचारियों को मौके पर बुला कर चैंबरों की जांच की तो सीवरेज का पानी पेयजल पाइप लाइन में जाता हुआ मिला. सूचना मिलने पर नगरपालिका चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा मौके पर पहुंचे.

एक्सईएन जोधा ने बताया, कि सीवरेज लाइन की प्रॉपर्टी को पूरी तरह पैकिंग न करके लीकेज छोड़ दिया. जहां पेयजल पाइपलाइन है, वहां सीवरेज का पानी नल के जरिए लोगों के घरों में जाएगा. पाइपलाइन नहीं है. वहां लोगों के घरों की नींव में सीवेरेज का गंदा पानी जाएगा.

उन्होंने कहा, कि पाइप की प्रॉपर पैकिंग करवा दी जाए तो समस्या का 90 फीसदी समाधान हो सकता है. पिछले कई दिन से ऐसी ही शिकायत वार्ड 41 और 42 के वार्डवासी कर रहे थे. वार्ड के करीब 90 परिवारों में गुस्सा था, कि वे सप्ताह भर से भयंकर बदबूदार पानी पीने को मजबूर हैं. चेयरमैन कालवा के कहने पर चैंबरों की जांच करवाई तो यही फाल्ट निकला. इतना ही नहीं जुलाई माह में वार्ड 17 में सीवरेज पाइप टूटने से गंदा पानी पेयजल पाइप से घरों सप्लाई हुआ.

इस दौरान गुस्साए वार्डवासियों ने हंगामा किया तो एक सप्ताह बाद सीवरेज लाइन का फाल्ट पकड़ में आया. चेयरमैन कालवा ने सीवरेज कंपनी के साइट इंजीनियर शंभूराम को प्रभावित वार्डों के चेम्बरों के दुरुस्तीकरण के निर्देश दिए हैं. प्रभावित वार्ड के सुभाष कटारियां, सरोज, जयश्री, शंकर, संगीता सहित वार्डवासी मौजूद थे.

104 करोड़ रुपए की लागत से सीवरेज लाइन डालने का कार्य साल 2016 के अक्टूबर-नवंबर में शुरू हुआ. सीवरेज निर्माण कंपनी मॉटिकार्लो को 19 वार्डों में 90 किलोमीटर सीवरेज लाइन डालनी थी. इसमें 10 किलोमीटर कार्य अधूरा पड़ा है.

पढ़ें- श्रीगंगानगर: नवजात की मौत का आंकड़ा सबसे कम, लेकिन संसाधन और स्टाफ की कमी से जूझ रहे अस्पताल

वहीं, साल 2016 में शुरू हुआ कार्य अगस्त 2017 में पूरा होना था. कंपनी की ओर से समय सीमा बढ़ाने के लिए लिखित में देने पर पालिका ने अंतिम बार 31 मार्च 2019 तक सीवरेज का कार्य पूरा करने की डेडलाइन तय की थी. वहीं बाकी 10 फीसदी कार्य में चैंबर डालने, सड़क बनाने, लाइनों के ज्वॉइंट और कनेक्शन का कार्य डेडलाइन तय होने के 9 माह बाद भी होना बाकी है. शहरवासी अभी और नासूर बन चुके सीवरेज की पीड़ा भुगतेंगे. कहीं सड़क टूटी है तो कहीं गड्ढे, कहीं सड़कों पर चेम्बर लेवल से ऊंचे निकले हुए हैं. पूरे शहर में सीवरेज के कारण वाहनों से उड़ने वाली धूल ने लोगों को कमर दर्द और श्वांसरोग से ग्रस्त कर दिया है.

Intro:सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर) जल मल निकास प्रणाली के तहत घरों के गंदे पानी की निकासी के लिए डाली जा रही सीवरेज नागरिकों के लिए नासूर बन रही है। सीवरेज डालने में तकनीकी खामियों की अनदेखी किए जाने से लोग सीवरेज का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।


Body:पेयजल पाइप के जरिए सीवरेज का पानी सीधा घरों में सप्लाई होना आम बात है। जामा मस्जिद वार्ड 41, 03 व 29 में बदबूदार पानी आने पर वार्डवासियों ने पीएचईडी अधिकारियों को शिकायत की। यहां तीनों वार्ड के करीब 70-80 लोग पिछले एक माह से सीवरेज का पानी पी रहे थे। पीएचईडी एक्सईएन अशोककुमार जोधा व एईएन गिरीराज रेगर तकनीकी कर्मचारियों की टीम के साथ मौके पर पहुंचे। सीवरेज कंपनी के तकनीकी कर्मचारियों को मौके पर बुला चैंबरों की जांच की तो सीवरेज का पानी पेयजल पाइप लाइन में जाते मिला। सूचना मिलने पर नगरपालिका चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा मौके पर पहुंचे। एक्सईएन जोधा ने बताया कि सीवरेज लाइन की प्रोपर्टी को पूरी तरह पैकिंग न करके लीकेज छोड़ दिया। जहां पेयजल पाइप लाइन है वहां सीवरेज का पानी नल के जरिए लोगों के घरों में जाएगा। पाइप लाइन नहीं वहां लोगों के घरों की नींव में सीवेरेज का गंदा पानी जाएगा। पाइप की प्रोपर पैकिंग करवा दी जाए तो समस्या का 90 फीसदी समाधान हो सकता है। पिछले कई दिन से ऐसी ही शिकायत वार्ड 41 व 42 के वार्डवासी कर रहे थे। वार्ड के करीब 90 परिवारों में गुस्सा था कि वे सप्ताहभर से भयंकर बदबूदार पानी पीने को मजबूर हैं। चेयरमैन कालवा के कहने पर चैंबरों की जांच करवाई तो यही फाल्ट निकला। इतना ही नहीं जुलाई माह में वार्ड 17 में सीवरेज पाइप टूटने से गंदा पानी पेयजल पाइप से घरों सप्लाई हुआ। गुस्साए वार्डवासियों ने हंगामा किया तो एक सप्ताह बाद सीवरेज लाइन का फाल्ट पकड़ में आया। चेयरमैन कालवा ने सीवरेज कंपनी के साइट इंजीनियर शंभूराम को प्रभावित वार्डों के चेम्बरो के दुरुस्तीकरण के निर्देश दिए हैं। प्रभावित वार्ड के सुभाष कटारियां, सरोज, जयश्री, शंकर, संगीता आदि सहित वार्डवासी मौजूद थे। नासूर बन चुकी सीवरेज की अभी और पीड़ा भुगतेंगे नागरिक, स्वस्थ लोग बने कमर दर्द व श्वांसरोगी, चर्मरोग के शिकार हो रहे है।

Conclusion:104 करोड़ रुपए की लागत से सीवरेज लाइन डालने का कार्य वर्ष 2016 के अक्टूबर-नवंबर में सीवरेज लाइन डालने के लिए शुरू हुआ। सीवरेज निर्माण कंपनी मॉटिकार्लो को 19 वार्डों में 90 किलोमीटर सीवरेज लाइन डालनी जानी थी, इसमें 10 किलोमीटर कार्य अधूरा पड़ा है। वर्ष 2016 में शुरू हुआ कार्य अगस्त 2017 में पूरा होना था। कंपनी द्वारा समय सीमा बढ़ाने का लिखित में देने पर पालिका ने अंतिम बार 31 मार्च 2019 तक सीवरेज का कार्य पूरा करने की डेडलाइन तय की थी। वहीं, बाकी रहे 10 फीसदी कार्य में चैंबर डालने, सड़क बनाने लाइनों के ज्वॉइंट व कनेक्शन का कार्य डेडलाइन तय होने के 9 माह बाद भी होना बाकी है। शहरवासी अभी और नासूर बन चुके सीवरेज की पीड़ा भुगतेंगे। कहीं सड़क टूटी है तो कहीं गड्ढे तो कहीं सड़कों पर चेम्बर लेवल से ऊंचे निकले हुए हैं। पूरे शहर में सीवरेज के कारण वाहनों से उड़ने वाली धूल ने लोगों को कमर दर्द व श्वांसरोग से ग्रस्त कर दिया है।
बाईट- 1 अशोक कुमार जोधा, एक्सईएन जलदाय विभाग,
बाईट- 2 सुभाष कटारियां, वार्डवासी
बाईट- 3 शंकर, वार्डवासी
बाईट- 4 सरोज, वार्डवासी
विजय स्वामी सूरतगढ़
मों. 9001606958
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