सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). जिले में जल-मल निकास प्रणाली के तहत घरों के गंदे पानी की निकासी के लिए डाली जा रही सीवरेज नागरिकों के लिए नासूर बन रही है. सीवरेज डालने में तकनीकी खामियों की अनदेखी किए जाने से लोग सीवरेज का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.
पेयजल पाइप के जरिए सीवरेज का पानी सीधा घरों में सप्लाई होना आम बात है. जामा मस्जिद वार्ड 41, 03 और 29 में बदबूदार पानी आने पर वार्डवासियों ने पीएचईडी अधिकारियों को शिकायत की. यहां तीनों वार्ड के करीब 70-80 लोग पिछले एक माह से सीवरेज का पानी पी रहे थे.
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पीएचईडी एक्सईएन अशोक कुमार जोधा और एईएन गिरीराज रेगर तकनीकी कर्मचारियों की टीम के साथ मौके पर पहुंचे. सीवरेज कंपनी के तकनीकी कर्मचारियों को मौके पर बुला कर चैंबरों की जांच की तो सीवरेज का पानी पेयजल पाइप लाइन में जाता हुआ मिला. सूचना मिलने पर नगरपालिका चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा मौके पर पहुंचे.
एक्सईएन जोधा ने बताया, कि सीवरेज लाइन की प्रॉपर्टी को पूरी तरह पैकिंग न करके लीकेज छोड़ दिया. जहां पेयजल पाइपलाइन है, वहां सीवरेज का पानी नल के जरिए लोगों के घरों में जाएगा. पाइपलाइन नहीं है. वहां लोगों के घरों की नींव में सीवेरेज का गंदा पानी जाएगा.
उन्होंने कहा, कि पाइप की प्रॉपर पैकिंग करवा दी जाए तो समस्या का 90 फीसदी समाधान हो सकता है. पिछले कई दिन से ऐसी ही शिकायत वार्ड 41 और 42 के वार्डवासी कर रहे थे. वार्ड के करीब 90 परिवारों में गुस्सा था, कि वे सप्ताह भर से भयंकर बदबूदार पानी पीने को मजबूर हैं. चेयरमैन कालवा के कहने पर चैंबरों की जांच करवाई तो यही फाल्ट निकला. इतना ही नहीं जुलाई माह में वार्ड 17 में सीवरेज पाइप टूटने से गंदा पानी पेयजल पाइप से घरों सप्लाई हुआ.
इस दौरान गुस्साए वार्डवासियों ने हंगामा किया तो एक सप्ताह बाद सीवरेज लाइन का फाल्ट पकड़ में आया. चेयरमैन कालवा ने सीवरेज कंपनी के साइट इंजीनियर शंभूराम को प्रभावित वार्डों के चेम्बरों के दुरुस्तीकरण के निर्देश दिए हैं. प्रभावित वार्ड के सुभाष कटारियां, सरोज, जयश्री, शंकर, संगीता सहित वार्डवासी मौजूद थे.
104 करोड़ रुपए की लागत से सीवरेज लाइन डालने का कार्य साल 2016 के अक्टूबर-नवंबर में शुरू हुआ. सीवरेज निर्माण कंपनी मॉटिकार्लो को 19 वार्डों में 90 किलोमीटर सीवरेज लाइन डालनी थी. इसमें 10 किलोमीटर कार्य अधूरा पड़ा है.
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वहीं, साल 2016 में शुरू हुआ कार्य अगस्त 2017 में पूरा होना था. कंपनी की ओर से समय सीमा बढ़ाने के लिए लिखित में देने पर पालिका ने अंतिम बार 31 मार्च 2019 तक सीवरेज का कार्य पूरा करने की डेडलाइन तय की थी. वहीं बाकी 10 फीसदी कार्य में चैंबर डालने, सड़क बनाने, लाइनों के ज्वॉइंट और कनेक्शन का कार्य डेडलाइन तय होने के 9 माह बाद भी होना बाकी है. शहरवासी अभी और नासूर बन चुके सीवरेज की पीड़ा भुगतेंगे. कहीं सड़क टूटी है तो कहीं गड्ढे, कहीं सड़कों पर चेम्बर लेवल से ऊंचे निकले हुए हैं. पूरे शहर में सीवरेज के कारण वाहनों से उड़ने वाली धूल ने लोगों को कमर दर्द और श्वांसरोग से ग्रस्त कर दिया है.