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Special: कोरोना के कारण प्रिंटिंग और फ्लैक्स होर्डिंग व्यवसाय में भारी गिरावट, संकट में व्यवसायी

कोरोना ने हर व्यवसाय को ठप कर दिया है. ऐसे में कभी शादियों के सीजन में प्रिंटिंग और फ्लैक्स होर्डिंग व्यवसाय खूब अच्छा चलता था लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि होर्डिंग और प्रिटिंग के ऑर्डर में भारी गिरावट दर्ज की गई है. जिससे इन बिजनेस से जुड़े लोगों के सामने खर्चा निकालना भी मुश्किल हो गया है.

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Published : Nov 24, 2020, 1:56 PM IST

Sriganganagar news, hoarding business facing crisis
संकट में प्रिंटिंग और फ्लैक्स व्यवसायी

श्रीगंगानगर. विवाह शादियों के मौसम में प्रिंटिंग और फ्लैक्स होर्डिंग व्यवसाय काफी अच्छा चलता है लेकिन इस बार कोरोना महामारी ने फ्लेक्स होर्डिंग कारोबार की कमर तोड़ दी है. लॉकडाउन के बाद कारोबार घटकर आधे से भी कम रह गया है. ऐसे में इस व्यवसाय लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

संकट में श्रीगंगानगर के प्रिंटिंग और फ्लैक्स व्यवसायी

श्रीगंगानगर के मुख्य चौराहे पहले होर्डिंग और फ्लेक्स से भरे रहते थे. आज शहर की सबसे व्यस्ततम साइट ही सुनसान नजर आती है. एक समय ऐसा था जब होर्डिंग लगाने के लिए एडवरटाइजिंग एजेंसी को मोटी रकम देकर भी जगह नहीं मिलती थी लेकिन कोरोना संकट के बाद जिस प्रकार की मंदी छाई है, उससे ना केवल यह होर्डिंग साइट खाली नजर आती है बल्कि बाजार में होर्डिंग एवं फ्लेक्स लगवाने वाले भी नहीं रहे हैं.

मुख्य चौराहे पर होर्डिंग साइट खाली

शहर की काफी महंगी कही जाने वाली साइट गंगासिंह चौक,भगत सिंह चौक व सुखाड़िया सर्किल चौक साइट अभी खाली पड़ी है. मगर अब बाजार में होर्डिंग लगवाने वाले विज्ञापनदाता नहीं है. वहीं विज्ञापन एजेंसियों का कहना है कि लॉकडाउन में कागज, इंक, प्लास्टिक का दाम बढ़ा है. छपाई का काम कम हो गया है. यही नहीं बाजार में फ्लेक्स का काम बिल्कुल भी मंदा है.

Sriganganagar news, hoarding business facing crisis
प्रमुख मार्गों पर होर्डिंग साइट खाली

इसका कारण यह है कि कोरोना काल में ना तो कोई नई संस्थान खुले और ना ही पुरानी संस्थान किसी प्रकार का प्रचार प्रसार करवाना चाह रहे हैं. ऐसे में फ्लेक्स का काम बहुत ज्यादा मंदा है.

रेट में भारी कमी आई

इससे आय भी प्रभावित हुई है. कारोबार प्रभावित होने से कर्मचारियों का मानदेय, बिजली बिल, मशीन के इंस्ट्रूमेंट सहित तमाम अन्य खर्च निकालना मुश्किल हो गया है. जहां पहले साइटें 10 से 15 हजार रुपए में मिलती थी. अब उनका रेट ढाई से 5000 रुपए तक रह गया है.

कार्ड के ऑर्डर भी हुए कम

फ्लेक्स, होर्डिंग, प्रिंटिंग एंड एडवरटाइजिंग कारोबारी कहते हैं कि शादी विवाह के लग्न में कार्ड छपाई की डिमांड ज्यादा होती है लेकिन इस साल जैसे ही शादी विवाह का लगन शुरू हुआ, वैसे ही लॉक डाउन लग गया. कोरोना महामारी की वजह से तमाम शादियां टल गई. अनलॉक में शादियां हुई लेकिन कार्ड छपाई के कम आर्डर हुए. इसलिए अच्छा व्यवसाय नहीं हो सका.

Sriganganagar news, hoarding business facing crisis
कार्ड की छपाई में भारी कमी

20 से 25 प्रतिशत तक ही रहा कारोबार

फ्लेक्स, होर्डिंग कारोबारी का कहना है कि कोरोना में विद्यालय बंद होने के कारण भी कारोबार प्रभावित हुआ है. कारोबारियों का कहना है कि लॉकडाउन के पहले अच्छा कारोबार था. कोरोना की मार से 75 से 80% कारोबार प्रभावित हुआ है. अब मुश्किल से 20 से 25% ही कारोबार हो पा रहा है.

यह भी पढ़ें. Special: बीकानेर के ऊन उद्योग के लिए कोरोना काल बना संजीवनी, बढ़ी ऊन की डिमांड

शहरों से होर्डिंग साइट खाली नजर आने पर स्थानीय दुकानदार कहते रामानंद बताते हैं कि इस रोड पर जितने भी होर्डिंग लगाने के लिए नगर परिषद ने जगह चिन्हित की है वो पूरी तरह से भरे रहते थे. यही नहीं यहां हर 8 से 10 दिन में विज्ञापनदाता एंजेसी होर्डिंग बदल कर नया विज्ञापन लगा देती थी लेकिन जब से कोरोना के बाद से सबसे कीमती कही जाने वाली यह साइट खाली नजर आती है.

अगर कोई होर्डिंग, फ्लेक्स नजर भी आ रहे हैं तो वह या तो 6 महीने पुराने हैं या कोई सरकारी हैं. ऐसे में होर्डिंग व्यवसाय (Corona impact on hoarding business) पर बड़ा असर पड़ा है. अब बाजार में होर्डिंग फ्लेक्स लगवा कर अपना प्रचार करने वाली फर्म ना के बराबर है.

खर्च निकालना भी हुआ अब मुश्किल

इनकी मानें तो होर्डिंग एवं फ्लेक्स बनाने वाली मशीन का एक हेड 80 हजार रुपए तक आता है. ऐसे में दो से तीन हेड मशीन में लगने से खर्चा बहुत होता है. मगर फिलहाल यह खर्चा बाजार से निकलना मुश्किल है. इनकी माने तो मोदी जी की योजनाओं से सरकारी विज्ञापन में लाभ मिला था लेकिन फिलहाल बाजार में प्राइवेट काम न मिलने से बिल्कुल बाजार फीका है. हालांकि, वे कहते हैं कि सरकारी साइटों के ठेकेदारों ने रुपए जमा करवा रखे हैं मगर प्राइवेट विज्ञापन नहीं होने के कारण सरकार के विज्ञापनों से खर्चा निकलना मुश्किल है.

यह भी पढ़ें. Special : कच्ची उम्र में विवाह का दंश, बाल विवाह रोकने में राजस्थान सरकार नाकाम

विज्ञापन एजेंसी मालिकों के सामने अब घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. यही कारण है कि फ्लेक्स और होर्डिंग का काम करने वाले अब होर्डिंग व्यवसाय के साथ-साथ दूसरा कार्य भी शुरू कर दिया है. इस व्यवसाय के भरोसे अब घर चलाना मुश्किल हो गया है. ऐसे में उन्हें सरकार से उम्मीद है कि वो कोई राहत प्रदान करें.

श्रीगंगानगर. विवाह शादियों के मौसम में प्रिंटिंग और फ्लैक्स होर्डिंग व्यवसाय काफी अच्छा चलता है लेकिन इस बार कोरोना महामारी ने फ्लेक्स होर्डिंग कारोबार की कमर तोड़ दी है. लॉकडाउन के बाद कारोबार घटकर आधे से भी कम रह गया है. ऐसे में इस व्यवसाय लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

संकट में श्रीगंगानगर के प्रिंटिंग और फ्लैक्स व्यवसायी

श्रीगंगानगर के मुख्य चौराहे पहले होर्डिंग और फ्लेक्स से भरे रहते थे. आज शहर की सबसे व्यस्ततम साइट ही सुनसान नजर आती है. एक समय ऐसा था जब होर्डिंग लगाने के लिए एडवरटाइजिंग एजेंसी को मोटी रकम देकर भी जगह नहीं मिलती थी लेकिन कोरोना संकट के बाद जिस प्रकार की मंदी छाई है, उससे ना केवल यह होर्डिंग साइट खाली नजर आती है बल्कि बाजार में होर्डिंग एवं फ्लेक्स लगवाने वाले भी नहीं रहे हैं.

मुख्य चौराहे पर होर्डिंग साइट खाली

शहर की काफी महंगी कही जाने वाली साइट गंगासिंह चौक,भगत सिंह चौक व सुखाड़िया सर्किल चौक साइट अभी खाली पड़ी है. मगर अब बाजार में होर्डिंग लगवाने वाले विज्ञापनदाता नहीं है. वहीं विज्ञापन एजेंसियों का कहना है कि लॉकडाउन में कागज, इंक, प्लास्टिक का दाम बढ़ा है. छपाई का काम कम हो गया है. यही नहीं बाजार में फ्लेक्स का काम बिल्कुल भी मंदा है.

Sriganganagar news, hoarding business facing crisis
प्रमुख मार्गों पर होर्डिंग साइट खाली

इसका कारण यह है कि कोरोना काल में ना तो कोई नई संस्थान खुले और ना ही पुरानी संस्थान किसी प्रकार का प्रचार प्रसार करवाना चाह रहे हैं. ऐसे में फ्लेक्स का काम बहुत ज्यादा मंदा है.

रेट में भारी कमी आई

इससे आय भी प्रभावित हुई है. कारोबार प्रभावित होने से कर्मचारियों का मानदेय, बिजली बिल, मशीन के इंस्ट्रूमेंट सहित तमाम अन्य खर्च निकालना मुश्किल हो गया है. जहां पहले साइटें 10 से 15 हजार रुपए में मिलती थी. अब उनका रेट ढाई से 5000 रुपए तक रह गया है.

कार्ड के ऑर्डर भी हुए कम

फ्लेक्स, होर्डिंग, प्रिंटिंग एंड एडवरटाइजिंग कारोबारी कहते हैं कि शादी विवाह के लग्न में कार्ड छपाई की डिमांड ज्यादा होती है लेकिन इस साल जैसे ही शादी विवाह का लगन शुरू हुआ, वैसे ही लॉक डाउन लग गया. कोरोना महामारी की वजह से तमाम शादियां टल गई. अनलॉक में शादियां हुई लेकिन कार्ड छपाई के कम आर्डर हुए. इसलिए अच्छा व्यवसाय नहीं हो सका.

Sriganganagar news, hoarding business facing crisis
कार्ड की छपाई में भारी कमी

20 से 25 प्रतिशत तक ही रहा कारोबार

फ्लेक्स, होर्डिंग कारोबारी का कहना है कि कोरोना में विद्यालय बंद होने के कारण भी कारोबार प्रभावित हुआ है. कारोबारियों का कहना है कि लॉकडाउन के पहले अच्छा कारोबार था. कोरोना की मार से 75 से 80% कारोबार प्रभावित हुआ है. अब मुश्किल से 20 से 25% ही कारोबार हो पा रहा है.

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शहरों से होर्डिंग साइट खाली नजर आने पर स्थानीय दुकानदार कहते रामानंद बताते हैं कि इस रोड पर जितने भी होर्डिंग लगाने के लिए नगर परिषद ने जगह चिन्हित की है वो पूरी तरह से भरे रहते थे. यही नहीं यहां हर 8 से 10 दिन में विज्ञापनदाता एंजेसी होर्डिंग बदल कर नया विज्ञापन लगा देती थी लेकिन जब से कोरोना के बाद से सबसे कीमती कही जाने वाली यह साइट खाली नजर आती है.

अगर कोई होर्डिंग, फ्लेक्स नजर भी आ रहे हैं तो वह या तो 6 महीने पुराने हैं या कोई सरकारी हैं. ऐसे में होर्डिंग व्यवसाय (Corona impact on hoarding business) पर बड़ा असर पड़ा है. अब बाजार में होर्डिंग फ्लेक्स लगवा कर अपना प्रचार करने वाली फर्म ना के बराबर है.

खर्च निकालना भी हुआ अब मुश्किल

इनकी मानें तो होर्डिंग एवं फ्लेक्स बनाने वाली मशीन का एक हेड 80 हजार रुपए तक आता है. ऐसे में दो से तीन हेड मशीन में लगने से खर्चा बहुत होता है. मगर फिलहाल यह खर्चा बाजार से निकलना मुश्किल है. इनकी माने तो मोदी जी की योजनाओं से सरकारी विज्ञापन में लाभ मिला था लेकिन फिलहाल बाजार में प्राइवेट काम न मिलने से बिल्कुल बाजार फीका है. हालांकि, वे कहते हैं कि सरकारी साइटों के ठेकेदारों ने रुपए जमा करवा रखे हैं मगर प्राइवेट विज्ञापन नहीं होने के कारण सरकार के विज्ञापनों से खर्चा निकलना मुश्किल है.

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विज्ञापन एजेंसी मालिकों के सामने अब घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. यही कारण है कि फ्लेक्स और होर्डिंग का काम करने वाले अब होर्डिंग व्यवसाय के साथ-साथ दूसरा कार्य भी शुरू कर दिया है. इस व्यवसाय के भरोसे अब घर चलाना मुश्किल हो गया है. ऐसे में उन्हें सरकार से उम्मीद है कि वो कोई राहत प्रदान करें.

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