श्रीगंगानगर. खुले में घूम रहे आवारा पशु लोगों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. जिला प्रशासन से लेकर सरकार तक कई बार आदेश जारी किए गए, बावजूद इसके आवारा पशुओं से किसान खासे परेशान हैं. हाड़ कंपा देने वाली इस ठंड में किसानों को दिन रात खेतों में खड़ी फसलों की रखवाली करनी पड़ रही है.
नगर परिषद के दावे खोखले...
खुले में घूम रहे आवारा पशु फसल को चट कर जाते हैं. जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है. किसानों के साथ सड़कों पर राहगीर भी आवारा पशुओं के आतंक से परेशान है. श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर आवारा पशुओं से आए दिन हादसे सामने आते हैं. शहर के मुख्य हाइवे पर भी इन आवारा पशुओं से होने वाली दुर्घटनाओं में लोगों की जान जा रही है. शहर को कैटल फ्री बनाने के नगर परिषद के दावे हर बार खोखले साबित हुए हैं.
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किसान की मेहनत हो रही बर्बाद...
शहर में हर जगह पर आवारा पशुओं का आतंक है. इन दिनों आवारा पशुओं की संख्या का आंकड़ा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. सीमावर्ती क्षेत्र के कई गांव में किसान वर्ग आवारा पशुओं से परेशान है. मौका मिलते ही पशु खेतों में घुस जाते हैं और फसलों में मुंह मार कर उन्हें खराब कर देते हैं. इन आवारा पशुओं में गाय, सांड के अलावा नीलगाय मुख्य रूप से शामिल है. किसान पिछले एक दशक से नीलगाय जैसे आवारा पशुओं के आंतक से परेशान हैं.
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गोशाला की मांग...
किसानों का कहना है कि आवारा पशु किसानों की फसल चौपट कर उनके खून पसीने पर पानी फेर रहे हैं, लेकिन इस ओर ना सरकार और ना ही प्रशासन ध्यान दे रहा है. किसानों ने बताया कि जो बड़े किसान है, वह खेतों के चारों ओर कटीले तारों की बैरिकेडिंग कर देते हैं. लेकिन, गरीब किसान अपने खेतों में कटीले तारों की बैरिकेडिंग नहीं करवा पाते. ऐसे में आवारा पशु फसलों को नष्ट कर उनके अरमानों पर पानी फेरने में लगे हुए हैं. किसानों की सरसों चना और गेहूं की फसल मार्च के महीने में पक्का कर तैयार होगी. लेकिन, खेतों में अभी से फसल बचाना मुश्किल हो रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को ग्राम पंचायत स्तर पर भूमि पर गोशाला स्थापित करनी चाहिए. जिससे किसानों की फसल आवारा पशुओं के कहर से बच सके. क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में इस प्रकार के आवारा पशुओं का रखरखाव होना जरूरी है.