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यहां चने की खेती में बेहतर पैदावार करने के लिए ट्रायल शुरू...

श्रीगंगानगर में कृषि अनुसंधान केंद्र एक नई तकनीक शुरू करने जा रहे हैं. ऐसे में चने पर नए ट्रायल से अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने आने वाले 5 साल में रिसर्च करके अधिक उत्पादन की नई किस्म तैयार कर किसानों को बुवाई के लिए देने की योजना बनाई है. जो समय पर परिणाम देगा.

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चने में बेहतर पैदावार के लिए शुरू हुआ नया ट्रायल
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Published : Dec 23, 2019, 1:17 PM IST

श्रीगंगानगर. कृषि अनुसंधान केंद्र अपनी नई-नई और बेहतर परिणाम देने वाली किस्में इजाद करने के कारण राजस्थान में ही नहीं देश भर में विख्यात है. अनुसंधान केंद्र में नई-नई किस्मों पर लगातार चल रहे अनुसंधान से देश भर के किसानों को फायदा मिलता रहा है. इसी क्रम में अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक एक बार फिर चने पर नया ट्रायल शुरू कर रहे हैं.

चने पर नए ट्रायल से अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने आने वाले 5 साल में रिसर्च करके अधिक उत्पादन की नई किस्म तैयार कर किसानों को बुवाई के लिए देने की योजना बनाई है. कृषि अनुसंधान केंद्र में चना बीज पर शुरू हुआ ट्रायल आने वाले समय में परिणाम देगा.

चने में बेहतर पैदावार के लिए शुरू हुआ नया ट्रायल

केंद्र में इससे पहले जो ट्रायल हुए हैं, उनका देश के अलग-अलग हिस्सों में बेहतर परिणाम मिला है. इसी के चलते अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने चने पर नया ट्रायल शुरू किया है. ताकि देश भर के किसानों को जलवायु के हिसाब से उन्नत किस्म का बीज तैयार कर अधिक पैदावार करने के लिए उपलब्ध करवाया जा सके.

पढ़ेंः कोटा: 14वीं स्व. हनुमान सिंह हैंडबॉल प्रतियोगिता सम्पन्न, इंडियन एयरफोर्स ने जीती Championship

चने के एक्सपेरिमेंट के लिए तैयार की जा रही कृषि अनुसंधान केंद्र की 3 बीघा भूमि में एग्रोनॉमिक एक्सपर्ट लगाने के लिए बिजाई की जा रही है. जो नई वैरायटी पाइप लाइन में है, वह आगे किसानों को मिलेगी, जिससे किसानों को उन्नत किस्म के बीज दिए जाएंगे. इसके लिए अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक एडवांस ट्रायल के रूप में कार्य कर रहे हैं. चना वैज्ञानिक डॉ. दशरथ सागर ने बताया कि केंद्र में अभी जो नई वैरायटी है, उसमें अवध किस्म की चना वैरायटी है. जो उत्तर प्रदेश के अयोध्या, फैजाबाद मुरादाबाद जगहों में बेहतर उत्पादन दे रही है.

पढ़ेंः योजनाओं की जानकारी देने लाखों रुपए खर्च कर लगाई प्रदर्शनी, अधिकारी ही नदारद

वहीं पूर्वा नाम की चना वैरायटी भारत के उत्तरी पूर्वी राज्य के लिए अनुमोदित की गई है, जिसका बेहतर परिणाम है. यह किस्म भी श्रीगंगानगर कृषि अनुसंधान केंद्र से निकाली गई है. वहीं अनुसंधान केंद्र में चना की एक और नई किस्म निकाली थी, जो राजस्थान सरकार द्वारा निकाली गई है. यह किस्म इस क्षेत्र के लिए काफी कामयाब है, जो पूरे राजस्थान में हर जगह कृषि अनुसंधान केंद्र गंगानगर का परचम लहरा रही है.

श्रीगंगानगर. कृषि अनुसंधान केंद्र अपनी नई-नई और बेहतर परिणाम देने वाली किस्में इजाद करने के कारण राजस्थान में ही नहीं देश भर में विख्यात है. अनुसंधान केंद्र में नई-नई किस्मों पर लगातार चल रहे अनुसंधान से देश भर के किसानों को फायदा मिलता रहा है. इसी क्रम में अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक एक बार फिर चने पर नया ट्रायल शुरू कर रहे हैं.

चने पर नए ट्रायल से अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने आने वाले 5 साल में रिसर्च करके अधिक उत्पादन की नई किस्म तैयार कर किसानों को बुवाई के लिए देने की योजना बनाई है. कृषि अनुसंधान केंद्र में चना बीज पर शुरू हुआ ट्रायल आने वाले समय में परिणाम देगा.

चने में बेहतर पैदावार के लिए शुरू हुआ नया ट्रायल

केंद्र में इससे पहले जो ट्रायल हुए हैं, उनका देश के अलग-अलग हिस्सों में बेहतर परिणाम मिला है. इसी के चलते अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने चने पर नया ट्रायल शुरू किया है. ताकि देश भर के किसानों को जलवायु के हिसाब से उन्नत किस्म का बीज तैयार कर अधिक पैदावार करने के लिए उपलब्ध करवाया जा सके.

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चने के एक्सपेरिमेंट के लिए तैयार की जा रही कृषि अनुसंधान केंद्र की 3 बीघा भूमि में एग्रोनॉमिक एक्सपर्ट लगाने के लिए बिजाई की जा रही है. जो नई वैरायटी पाइप लाइन में है, वह आगे किसानों को मिलेगी, जिससे किसानों को उन्नत किस्म के बीज दिए जाएंगे. इसके लिए अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक एडवांस ट्रायल के रूप में कार्य कर रहे हैं. चना वैज्ञानिक डॉ. दशरथ सागर ने बताया कि केंद्र में अभी जो नई वैरायटी है, उसमें अवध किस्म की चना वैरायटी है. जो उत्तर प्रदेश के अयोध्या, फैजाबाद मुरादाबाद जगहों में बेहतर उत्पादन दे रही है.

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वहीं पूर्वा नाम की चना वैरायटी भारत के उत्तरी पूर्वी राज्य के लिए अनुमोदित की गई है, जिसका बेहतर परिणाम है. यह किस्म भी श्रीगंगानगर कृषि अनुसंधान केंद्र से निकाली गई है. वहीं अनुसंधान केंद्र में चना की एक और नई किस्म निकाली थी, जो राजस्थान सरकार द्वारा निकाली गई है. यह किस्म इस क्षेत्र के लिए काफी कामयाब है, जो पूरे राजस्थान में हर जगह कृषि अनुसंधान केंद्र गंगानगर का परचम लहरा रही है.

Intro:श्रीगंगानगर : कृषि अनुसंधान केंद्र अपनी नई-नई और बेहतर परिणाम देने वाली किस्में इजाद करने के कारण राजस्थान में ही नहीं देश भर में विख्यात है।अनुसंधान केंद्र में नई-नई किस्मों पर लगातार चल रहे अनुसंधान से देशभर के किसानों को फायदा मिलता रहा है। इसी क्रम में अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक एक बार फिर चने पर नया ट्रायल शुरू किया है। चने पर नए ट्रायल से अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने आने वाले 5 साल में रिसर्च करके अधिक उत्पादन की नई किस्म तैयार कर किसानों को बुवाई के लिए देने की योजना बनाई है। कृषि अनुसंधान केंद्र में चना बीज पर शुरू हुआ ट्रायल आने वाले समय में परिणाम देगा। केंद्र में इससे पहले जो ट्रायल हुए हैं उनका देश के अलग-अलग हिस्सों में बेहतर परिणाम मिला है। इसी के चलते अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने चने पर नया ट्रायल शुरू किया है ताकि देशभर के किसानों को जलवायु के हिसाब से उन्नत किस्म का बीज तैयार कर अधिक पैदावार करने के लिए उपलब्ध करवाया जा सके।


Body:चने के एक्सपेरिमेंट के लिए तैयार की जा रही कृषि अनुसंधान केंद्र की 3 बीघा भूमि में एग्रोनॉमिक एक्सपर्ट लगाने के लिए बिजाई की जा रही है।जो नई वैरायटी पाइप लाइन में है वह आगे किसानों को मिलेगी जिससे किसानों को उन्नत किस्म के बीज दिए जाएंगे।इसके लिए अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक एडवांस ट्रायल के रूप में कार्य कर रहे हैं। चना वैज्ञानिक डॉ दशरथ सागर ने बताया कि केंद्र में अभी जो नई वैरायटी है उसमें अवध किस्म की चना वैरायटी है।जो उतरप्रदेश के अयोध्या,फैजाबाद मुरादाबाद जगहों में बेहतर उत्पादन दे रही है।वही पूर्वा नाम की चना वैरायटी भारत के उत्तरी पूर्वी राज्य के लिए अनुमोदित की गई है। जिसका बेहतर परिणाम है। यह किस्म भी श्रीगंगानगर कृषि अनुसंधान केंद्र से निकाली गई है। वहीं अनुसंधान केंद्र में चना की एक और नई किस्म निकाली थी जो राजस्थान सरकार द्वारा निकाली गई है।ये किस्म इस क्षेत्र के लिए काफी कामयाब है जो पूरे राजस्थान में हर जगह कृषि अनुसंधान केंद्र गंगानगर का परचम लहरा रही है।

बाईट : डॉक्टर दशरथ सागर,चना वेज्ञानिक।


Conclusion:चना बीज के नई किस्म पर अनुसन्धान से मिलेगा फायदा।
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