श्रीगंगानगर. जिला अस्पताल में करीब 4 करोड़ की लागत से बनी कोरोना जांच लैब में मंगलवार से सैंपलिंग जांच शुरू हो गई. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना जांच लैब का भार जिनके कंधों पर रखा था, वे कंधे लैब शुरू होने के पहले ही दिन कमजोर हो गए. लैब में जांच शुरू होने के पहले ही दिन प्रभारी डॉ. सतीश लेघा बीमार हो गए. यह कोरोना का भय है या लैब प्रभारी की घबराहट.
डॉक्टर लेघा के नहीं आने पर लैब में सैंपलिंग जांच के लिए काफी मशक्कत तो करनी पड़ी. लेकिन अपनी सेवा के अंतिम दिनों में ड्यूटी कर रही डॉ. सुनीता सरदाना ने आगे आकर लैब में जांच की जिम्मेदारी संभाली. जिसके बाद लैब में सैंम्पल जांच की प्रक्रिया शुरु हुई. कोरोना जांच लैब मंगलवार को शुरू हुई तो पहले दिन 20 सैंपल लिए गए. जिनकी रिपोर्ट देर रात को नेगेटिव मिली है.
जिला अस्पताल पीएमओ डॉक्टर केएस कामरा के अनुसार पहले दिन ट्रायल के तौर पर 20 सैंपल को प्रोसेस कर टेस्ट किया गया. इसमें करीब 10 घंटे लगे. टेस्टिंग की सारी प्रक्रिया मेडिकल कॉलेज बीकानेर के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के मार्गदर्शन में पूरी की गई. वीडियो कॉल से मेडिकल कॉलेज के संपर्क में जिला अस्पताल के लैब की टीम रही. हालांकि इसी दौरान कुछ तकनीकी समस्या आई तो मेडिकल कॉलेज की टीम ने उसका समाधान कर दिया.
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पीएमओ डॉ. कामरा के अनुसार अब प्रारंभिक दिनों में रोजाना 20 सैंपल की टेस्टिंग की जाएगी. वहीं अब सवाल इस बात का भी है कि जिन माइक्रोबायोलॉजिस्ट के कंधों पर लैब संचालित करने की जिम्मेदारी थी. अगर वे ही बीमार रहने लगे, तो जांच रिपोर्ट में पारदर्शिता कैसे आएगी.
बता दें कि बीते रविवार को विधायक राजकुमार गौड़ और जिला कलेक्टर महावीर प्रसाद वर्मा ने राजकीय जिला चिकित्सालय में कोरोना जांच लैब का लोकार्पण किया था, क्योंकि जिले के कोरोना संबंधित सैंपल बीकानेर भेजने पड़ते थे. ऐसे में 2-4 दिन में रिपोर्ट मिलती थी. लेकिन, अब यही जांच श्रीगंगानगर के राजकीय जिला चिकित्सालय के विशेष कोरोना लैब में हो सकेगी, जिससे जांच रिपोर्ट मिलने में अधिक समय नहीं लगेगा. इस लैब पर सरकार द्वारा करीब 4 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है.