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Special : समर्थन मूल्य खरीद में गड़बड़झाला ! यहां जनिये पूरी हकीकत - etv bharat special report

भारतीय खाद्य निगम किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद करने के लिए भले ही मापदंड तय कर रखे हैं, लेकिन यह मापदंड शायद किसानों से होने वाली खरीद पर ही लागू है. एक तरफ गेहूं खरीद करने के लिए एफसीआई किसानों को गिरदावरी से लेकर जमाबंदी तक की तमाम प्रकार की जटिल प्रक्रियाओं से गुजार रही है तो वहीं दूसरी तरफ एफसीआई अधिकारी बड़े व्यापारियों से मिलीभगत करके किसानों से खरीदे गए गेहूं को एफसीआई के गोदामों में भेज रहे हैं. देखिये श्रीगंगानगर से ये खास रिपोर्ट और समझिये क्या है स्थिति...

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समर्थन मूल्य खरीद में गड़बड़झाला
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Published : Apr 26, 2021, 11:28 AM IST

श्रीगंगानगर. समर्थन मूल्य खरीद में सामने आया कि गेहूं खरीद की इस कालाबाजारी में नियमों को न केवल ताक पर रखा जा रहा है, बल्कि सड़ा-गला गेहूं भी व्यापारी एफसीआई को बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. वहीं, ईटीवी भारत ने एफसीआई के समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद के इस गड़बड़ झाले में अहम सजगता दिखाते हुए भूमिका निभाई तो जिला प्रशासन हरकत में आकर मौके पर पहुंच कर गड़बड़झाले का खुलासा किया है.

श्रीगंगानगर में समर्थन मूल्य खरीद की स्थिति...

क्या है FCI की सरकारी खरीद में गड़बड़झाला...

एफसीआई नियमों के तहत किसान से समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद में एफसीआई के नियमों के तहत क्वालिटी का होना जरूरी है. अगर किसान का गेहूं एफसीआई की क्वालिटी में नहीं आता है तो भुगतान में किसान को दिक्कत तो होगी ही, समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद करना भी मुश्किल होगा. ऐसे में समर्थन मूल्य पर खरीद करने से पहले एफसीआई के क्वालिटी इंस्पेक्टर 6 बिंदुओं को ध्यान में रखकर खरीद करेंगें.

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समर्थन मूल्य खरीद में गड़बड़झाला...

समर्थन मूल्य पर खरीद के दौरान जांच नमूने में नियम...

  • गेंहूं में मिट्टी या अन्य के नाम पर : 0.75 %
  • दूसरा जींस मिला होने पर : 2 %
  • गेहूं का काला या कटा हुआ दाना होने पर : 2 %
  • गेहूं का एक साइड से कट्टा दाना होने पर : 4 %
  • गेहूं के छोटे और टूटे दाने होने पर : 6 %
  • गेहूं में नमी होने पर : 12 %

अगर इससे ज्यादा होगा तो समर्थन मूल्य की खरीद में कटौती की जाएगी.

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भारतीय खाद्य निगम...

ये भी समझिये...

किसान जहां सरकार को गेहूं बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद नंबर आने पर टोकन लेकर मंडी में गेहूं लाकर ढेर लगा देते हैं, किसान अपना माल बचने के लिए एफसीआई अधिकारियों से माथापच्ची करते हैं, वहीं मंडी के कई व्यापारी एफसीआई के अधिकारियों से सांठगांठ कर हजारों क्विंटल गेहूं सस्ते दामों पर खरीद कर सरकार को बेच रहे हैं. श्रीगंगानगर नई धान मंडी में ट्रेडर्स एसोसिएशन भवन के पीछे दो कवर शैडों के नीचे व पास के खुले पिंड पर हजारों क्विंटल गेहूं के ढेर लगा रखे हैं. यही गेहूं अब थोड़ा-थोड़ा कर एमएसपी पर खरीद करके सरकार को बेचा जा रहा है. नई धान मंडी में ट्रेडर्स एसोसिएशन भवन के पीछे दो शैडों के निचे एक दो फर्मों ने गेहूं के ढेर लगा लिए हैं तथा खरीद एजेंसी के अधिकारियों से सांठगांठ कर अब इसी ढेर में से अलग-अलग ढेरिया कर किसानों के नाम से नियमित रूप से गेहूं सरकार को समर्थन मूल्य पर बेचा जा रहा है. गेहूं के लगे इन ढेरों को लेकर एफसीआई अधिकारी व मंडी प्रशासन कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुआ तो ईटीवी भारत की टीम पड़ताल करते हुए जिला कलेक्टर जाकिर हुसैन से जवाब मांगने पहुंची. जिला कलेक्टर ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला रसद अधिकारी राकेश सोनी को जांच के लिए धान मंडी में मौके पर भेजा तो पूरे मामले का खुलासा हो गया.

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क्वालिटी इंस्पेक्टर भी नहीं करते जांच...

धान मंडी की 265 नंबर दुकान का यह माल बड़ी मात्रा में शेढ के नीचे किसानों से खरीद कर रखा गया है जो अब भारतीय खाद निगम को समर्थन मूल्य पर बेचने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. मजे की बात तो यह है कि एफसीआई के क्वालिटी इंस्पेक्टर भी समर्थन मूल्य पर खरीदे जा रहे इस गेहूं की क्वालिटी तक चेक नहीं करते हैं और खरीद कर गेहूं सरकारी गोदामों में माल भिजवा रहे हैं. कई व्यापारी खरीद एजेंसी के अधिकारियों से सांठगांठ कर यह कारोबार कर रहे हैं. इतनी बड़ी मात्रा में एक साथ गेहूं के ढेर लगाने के पीछे उद्देश्य यह है कि व्यापारी अपने आढ़ती किसान से सरकार को गेहूं बेचान प्रक्रिया की रसीद से बेचने की बात कहते हुए समर्थन मूल्य से कम दाम पर गेहूं खरीद लेते हैं तथा सरकार को गेहूं बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने से लेकर बेचने तक की जिम्मेवारी ले लेते हैं. साथ ही गेहूं का धर्म कांटे पर तूलवाकर एक स्थान पर डलवा लेते हैं. किसान से बाकायदा जमाबंदी, गिरदावरी व बैंक खाता आदि दस्तावेज भी ले लेते हैं. गेहूं के ढेर से किसान के नाम पर ही गेहूं सरकार को बेचा जाता है तथा अंतर की राशि व्यापारी किसान से ले लेता है. व्यापारी ढेर में खरीद के हिसाब से अलग-अलग ढेरिया बनाकर एफसीआई को बेचता है ताकि कोई दिक्कत नहीं आए.

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समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद...

सामने आई ये सच्चाई...

नई धान मंडी में 265 नंबर दुकान पर लगे इन गेहूं के ढेरों से व्यापारी एफसीआई अधिकारियों से सांठगांठ कर सरकारी खरीद करवा रहे हैं. एफसीआई द्वारा नियमों को ताक पर रखकर बगैर क्वालिटी कंट्रोल के गेहूं की खरीदे में बड़ी धांधलीबाजी सामने आई है. समर्थन मूल्य खरीद में जब हो रही इस धांधली का खुलासा ईटीवी ने किया तो जिला रसद अधिकारी टीम के साथ मौके पर पहुंच कर जांच की, जिसमें एफसीआई अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई है.

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व्यापारियों की खरीद कितनी सही है ?

फिलहाल, जिला कलेक्टर के निर्देश पर व्यापारियों के इस गेहूं को सरकारी खरीद नहीं करने के लिए पाबंद किया है, लेकिन सवाल इस बात का है कि समर्थन मूल्य की खरीद में जब किसानों के लिए एफसीआई बड़े-बड़े नियमों को बनाकर खरीद करती है. ऐसे में व्यापारियों की यह खरीद कितनी सही है. 265 नंबर दुकान के व्यापारी से जब ईटीवी भारत ने सवाल किया कि इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं की समर्थन मूल्य पर एक साथ खरीद में क्वालिटी कंट्रोल से लेकर तमाम मापदंडों को कैसे पूरा किया जाएगा, तो उन्होंने कहा कि क्वालिटी सभी किसानों की एक जैसी होती है. वहीं, खुले आसमान में भीगा गेहूं भी अब सड़ांध मार रहा है, जिसको एफसीआई अधिकारी गोदामों में पहुंचा चुके हैं. जिला रसद अधिकारी राकेश सोनी ने बताया कि एक साथ इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं इकट्ठा करके रखना और फिर एफसीआई को बेचना मामला गंभीर है.

श्रीगंगानगर. समर्थन मूल्य खरीद में सामने आया कि गेहूं खरीद की इस कालाबाजारी में नियमों को न केवल ताक पर रखा जा रहा है, बल्कि सड़ा-गला गेहूं भी व्यापारी एफसीआई को बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. वहीं, ईटीवी भारत ने एफसीआई के समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद के इस गड़बड़ झाले में अहम सजगता दिखाते हुए भूमिका निभाई तो जिला प्रशासन हरकत में आकर मौके पर पहुंच कर गड़बड़झाले का खुलासा किया है.

श्रीगंगानगर में समर्थन मूल्य खरीद की स्थिति...

क्या है FCI की सरकारी खरीद में गड़बड़झाला...

एफसीआई नियमों के तहत किसान से समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद में एफसीआई के नियमों के तहत क्वालिटी का होना जरूरी है. अगर किसान का गेहूं एफसीआई की क्वालिटी में नहीं आता है तो भुगतान में किसान को दिक्कत तो होगी ही, समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद करना भी मुश्किल होगा. ऐसे में समर्थन मूल्य पर खरीद करने से पहले एफसीआई के क्वालिटी इंस्पेक्टर 6 बिंदुओं को ध्यान में रखकर खरीद करेंगें.

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समर्थन मूल्य खरीद में गड़बड़झाला...

समर्थन मूल्य पर खरीद के दौरान जांच नमूने में नियम...

  • गेंहूं में मिट्टी या अन्य के नाम पर : 0.75 %
  • दूसरा जींस मिला होने पर : 2 %
  • गेहूं का काला या कटा हुआ दाना होने पर : 2 %
  • गेहूं का एक साइड से कट्टा दाना होने पर : 4 %
  • गेहूं के छोटे और टूटे दाने होने पर : 6 %
  • गेहूं में नमी होने पर : 12 %

अगर इससे ज्यादा होगा तो समर्थन मूल्य की खरीद में कटौती की जाएगी.

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भारतीय खाद्य निगम...

ये भी समझिये...

किसान जहां सरकार को गेहूं बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद नंबर आने पर टोकन लेकर मंडी में गेहूं लाकर ढेर लगा देते हैं, किसान अपना माल बचने के लिए एफसीआई अधिकारियों से माथापच्ची करते हैं, वहीं मंडी के कई व्यापारी एफसीआई के अधिकारियों से सांठगांठ कर हजारों क्विंटल गेहूं सस्ते दामों पर खरीद कर सरकार को बेच रहे हैं. श्रीगंगानगर नई धान मंडी में ट्रेडर्स एसोसिएशन भवन के पीछे दो कवर शैडों के नीचे व पास के खुले पिंड पर हजारों क्विंटल गेहूं के ढेर लगा रखे हैं. यही गेहूं अब थोड़ा-थोड़ा कर एमएसपी पर खरीद करके सरकार को बेचा जा रहा है. नई धान मंडी में ट्रेडर्स एसोसिएशन भवन के पीछे दो शैडों के निचे एक दो फर्मों ने गेहूं के ढेर लगा लिए हैं तथा खरीद एजेंसी के अधिकारियों से सांठगांठ कर अब इसी ढेर में से अलग-अलग ढेरिया कर किसानों के नाम से नियमित रूप से गेहूं सरकार को समर्थन मूल्य पर बेचा जा रहा है. गेहूं के लगे इन ढेरों को लेकर एफसीआई अधिकारी व मंडी प्रशासन कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुआ तो ईटीवी भारत की टीम पड़ताल करते हुए जिला कलेक्टर जाकिर हुसैन से जवाब मांगने पहुंची. जिला कलेक्टर ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला रसद अधिकारी राकेश सोनी को जांच के लिए धान मंडी में मौके पर भेजा तो पूरे मामले का खुलासा हो गया.

पढ़ें : Special : पानी सप्लाई के लिए 'GPS सिस्टम', जानें क्यों और कैसे हो रहा पूरा काम

क्वालिटी इंस्पेक्टर भी नहीं करते जांच...

धान मंडी की 265 नंबर दुकान का यह माल बड़ी मात्रा में शेढ के नीचे किसानों से खरीद कर रखा गया है जो अब भारतीय खाद निगम को समर्थन मूल्य पर बेचने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. मजे की बात तो यह है कि एफसीआई के क्वालिटी इंस्पेक्टर भी समर्थन मूल्य पर खरीदे जा रहे इस गेहूं की क्वालिटी तक चेक नहीं करते हैं और खरीद कर गेहूं सरकारी गोदामों में माल भिजवा रहे हैं. कई व्यापारी खरीद एजेंसी के अधिकारियों से सांठगांठ कर यह कारोबार कर रहे हैं. इतनी बड़ी मात्रा में एक साथ गेहूं के ढेर लगाने के पीछे उद्देश्य यह है कि व्यापारी अपने आढ़ती किसान से सरकार को गेहूं बेचान प्रक्रिया की रसीद से बेचने की बात कहते हुए समर्थन मूल्य से कम दाम पर गेहूं खरीद लेते हैं तथा सरकार को गेहूं बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने से लेकर बेचने तक की जिम्मेवारी ले लेते हैं. साथ ही गेहूं का धर्म कांटे पर तूलवाकर एक स्थान पर डलवा लेते हैं. किसान से बाकायदा जमाबंदी, गिरदावरी व बैंक खाता आदि दस्तावेज भी ले लेते हैं. गेहूं के ढेर से किसान के नाम पर ही गेहूं सरकार को बेचा जाता है तथा अंतर की राशि व्यापारी किसान से ले लेता है. व्यापारी ढेर में खरीद के हिसाब से अलग-अलग ढेरिया बनाकर एफसीआई को बेचता है ताकि कोई दिक्कत नहीं आए.

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समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद...

सामने आई ये सच्चाई...

नई धान मंडी में 265 नंबर दुकान पर लगे इन गेहूं के ढेरों से व्यापारी एफसीआई अधिकारियों से सांठगांठ कर सरकारी खरीद करवा रहे हैं. एफसीआई द्वारा नियमों को ताक पर रखकर बगैर क्वालिटी कंट्रोल के गेहूं की खरीदे में बड़ी धांधलीबाजी सामने आई है. समर्थन मूल्य खरीद में जब हो रही इस धांधली का खुलासा ईटीवी ने किया तो जिला रसद अधिकारी टीम के साथ मौके पर पहुंच कर जांच की, जिसमें एफसीआई अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई है.

पढ़ें : Special: अलवर स्टील प्लांट में काम आने वाली गैस आज बनी लोगों के लिए जीवनदायिनी

व्यापारियों की खरीद कितनी सही है ?

फिलहाल, जिला कलेक्टर के निर्देश पर व्यापारियों के इस गेहूं को सरकारी खरीद नहीं करने के लिए पाबंद किया है, लेकिन सवाल इस बात का है कि समर्थन मूल्य की खरीद में जब किसानों के लिए एफसीआई बड़े-बड़े नियमों को बनाकर खरीद करती है. ऐसे में व्यापारियों की यह खरीद कितनी सही है. 265 नंबर दुकान के व्यापारी से जब ईटीवी भारत ने सवाल किया कि इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं की समर्थन मूल्य पर एक साथ खरीद में क्वालिटी कंट्रोल से लेकर तमाम मापदंडों को कैसे पूरा किया जाएगा, तो उन्होंने कहा कि क्वालिटी सभी किसानों की एक जैसी होती है. वहीं, खुले आसमान में भीगा गेहूं भी अब सड़ांध मार रहा है, जिसको एफसीआई अधिकारी गोदामों में पहुंचा चुके हैं. जिला रसद अधिकारी राकेश सोनी ने बताया कि एक साथ इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं इकट्ठा करके रखना और फिर एफसीआई को बेचना मामला गंभीर है.

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