श्रीगंगानगर. उपभोक्ताओं को राशन वितरण करने वाले राशन डीलर की ही भूखे मरने की नौबत आ गई है. कोरोना काल में राशन डीलरों ने सरकारी आदेश के अनुसार राशन वितरण तो किया लेकिन अब भुगतान नहीं होने से उनकी माली हालत खराब हो गई है. राशन डीलरों का कहना है कि सरकार ने तो ये व्यवस्था कर दी कि गरीबों को घर में खाना मिले, हमें तो गुरुद्वारे में खाने की नौबत आ गई है.
क्या है समस्या ?
- कोरोना काल में वितरित गेहूं के कमीशन का नहीं हुआ भुगतान
- करीब एक करोड़ रुपयों का भुगतान बकाया
- मजदूरी पूरी नहीं मिलने की भी शिकायत
- 6 रुपए मजदूरी के बदले 3.50 रुपए मिल रही मजदूरी
- अप्रैल से चने के वितरण का भुगतान नहीं मिला
- आंगनबाड़ी केंद्रों को वितरित दाल और गेहूं का भी भुगतान बकाया
- कमीशन और मजदूरी नहीं मिलने से डीलरों की माली हालत खराब
- डिपो होल्डरो से सीडिंग भी निशुल्क करवाई जा रही
करीब 1 करोड़ का भुगतान बाकी
कोरोना काल में वितरित किए गेहूं के बदले कमीशन का भुगतान नहीं मिलने पर राशन डीलर काम बंद कर आंदोलन करने को मजबूर हो गए हैं. डिपो संचालकों का पिछ्ले कई महीनों का करीब एक करोड़ रुपयों का भुगतान बकाया है. पिछ्ले दिनों इन डिपो संचालकों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर कमीशन का जल्द भुगतान करने की मांग भी की थी लेकिन समस्या का कोई हल नहीं निकला है.
मजदूरी भी अधूरी मिल रही
डीपो संचालक सिर्फ भुगतान नहीं बल्कि मजदूरी पूरी नहीं मिलने से परेशान हैं. डिपों संचालको को 6 रुपए मजदूरी देने का प्रावधान है, जबकि क्रय-विक्रय सहकारी समिति की तरफ से साढ़े तीन रुपए के हिसाब से ही मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है. वहीं अप्रैल से चने के वितरण का भुगतान नहीं किया जा रहा है. डिपो संचालकों की ओर से जिला प्रशासन को भी अपनी मजबूरी बताई गई लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ.
माली हालत राशन डीलरों की खराब
कमीशन न मिलने की वजह से डीपो संचालकों को दुकान के खर्च वहन करना मुश्किल हो रहा है. संचालकों का आरोप है कि उन्हें आंगनबाड़ी केंद्रों को उपलब्ध करवाए जाने वाले गेहूं और दाल का भुगतान नहीं किया गया है. ऐसे में राशन डीलरों में आक्रोश भर गया है. संचालकों ने प्रशासन और संबंधित अधिकारी के सामने कई बार समस्या रखी लेकिन समाधान नहीं मिला. देश में जहां एक तरफ किसान आंदोलन कर रहे हैं. वहीं श्रीगंगानगर में राशन डीलर आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं. दूसरी तरफ डिपो संचालकों का भुगतान नहीं होने से अब दिसंबर महीने के गेहूं का वितरण प्रभावित होने की आशंका है.
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संचालकों का कहना है कि हमने कोरोना काल में जान पर खेल कर राशन वितरित किया. इसमें हमारे एक-दो लोग कोरोना संक्रमित होकर मर गए लेकिन सरकार मुआवजा तो दूर हमारा भुगतान भी नहीं कर रही है. संचालकों का कहना है कि कोरोना काल में गरीबों के लिए सरकार ने राशन उपलब्ध करवा दिया. हमारी माली हालत इतनी खराब है कि हमारे भूखे मरने की नौबत आ गई है. हमको गुरुद्वारे में खाकर गुजर-बसर करना पड़ेगा.
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राशन डिपो को गेहूं की सप्लाई करने वाली श्रीगंगानगर किसान क्रय-विक्रय सहकारी समिति के प्रतिनिधि हेमराज के अनुसार कोरोना काल में मुफ्त गेहूं का वितरण करवाया गया. इनकी माने तो एक करोड़ 90 लाख रुपए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की तरफ बकाया है. इसका भुगतान नहीं किया जा रहा है. समिति ने कर्ज उठाकर गेहूं उपलब्ध करवाया है. इसका ब्याज भी लग रहा है. विभाग को बकाया रुपए की भुगतान के लिए सूचना भेजी गई है. ऐसे में बकाया भुगतान विभाग से मिलते ही डीपो संचालकों को भुगतान किया जाएगा.
डिपो संचालकों की माने तो पहले आधार सीडिंग का कार्य शिक्षकों को दिया गया था. जिनको प्रत्येक राशन कार्ड पर 10 रुपए दिए जा रहे थे. जबकि डिपो होल्डरो से सीडिंग निशुल्क करवाई जा रही है. उधर, डिपो संचालको का भुगतान नहीं होने की बात पर डीएसओ राकेश सोनी कहते हैं कि मामला उनके सामने आया है, जल्दी भुगतान करवा दिया जाएगा.