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श्रीगंगानगर में डेरा सच्चा सौदा के साधकों पर टिकी भाजपा-कांग्रेस की नजर

श्रीगंगानगर में डेरा सच्चा सौदा का 71वां स्थापना दिवस मनाया गया. इस दौरान हजारों की संख्या में साधकों की भीड़ जुटी.

श्रीगंगानगर में डेरा सच्चा सौदा का 71वां स्थापना दिवस मनाया गया
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Published : Apr 19, 2019, 7:18 PM IST

श्रीगंगानगर. श्रीगंगानगर लोकसभा सुरक्षित सीट पर होने जा रहे चुनाव में डेरा सच्चा सौदा के साधकों की ताकत को भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां अपनी ओर करने की कवायद में जुटी हुई है. डेरा सच्चा सौदा के 71वें स्थापना दिवस पर जिले के रविदास नगर में बने नामचर्चा घर में श्रद्धालुओं की हजारों में भीड़ उमड़ी. इसके बाद अब भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की नजर सच्चा सौदा समर्थक वोटरों पर है.

श्रीगंगानगर में डेरा सच्चा सौदा के साधकों पर टिकी भाजपा-कांग्रेस की नजर

डेरा सच्चा सौदा सिरसा के डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के जेल जाने के बाद लगने लगा था की उनके समर्थकों के बिखरने से डेरे का प्रभाव खत्म हो जाएगा. लेकिन डेरे के प्रति जुड़ी लाखों समर्थकों की भावना यह बताने के लिए काफी है की डेरा सच्चा सौदा में इनका विश्वास अब भी वहीं है. यही कारण है कि डेरे की ताकत को राजनीतिक पार्टियां कम करके नहीं आंकती हैं. बल्कि इन्हें अपने वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती हैं. डेरे के स्थापना दिवस पर उमड़ी भीड़ ये बताने के लिए भी काफी है की डेरे के समर्थक अब भी डेरे के फरमान पर चलते हैं.

स्थापना दिवस के अवसर पर भारी तादाद में उमड़ी भीड़ ने डेरे के अनुयायियों की एकता का परिचय देते हुए राजनीतिक पार्टियों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए मजबूर कर दिया है. इस भारी-भीड़ का समर्थन हासिल करने के लिए भाजपा और कांग्रेस पार्टियों के बड़े नेता डेरे में अपनी हाजिरी लगाना शुरू कर दिए हैं. भाजपा की ओर से जहां प्रदेश महामंत्री और लोकसभा चुनाव के सह संचालक हरभगवान सिंह बराड़ के साथ अनेक भाजपा पार्षद नामचर्चा घर में हुए समागम में पहुंचे.

वहीं कांग्रेस की ओर से नगर परिषद के पूर्व सभापति जगदीश जांदू और बीकानेर देहात कांग्रेस के जिलाध्यक्ष महेंद्र गहलोत के साथ अनेक कांग्रेसी नेता भी डेरे में हाजिरी लगाने के बहाने समर्थकों की नब्ज टटोलने में लगे हैं. उधर डेरे के समर्थक भी कहीं न कहीं मान रहे है की बाबा गुरमीत राम रहीम के जेल जाने के बाद सभी को यह लगने लगा था की डेरे की शक्ति कमजोर हो गई है. लेकिन डेरे की एकजुटता अब यह बताती है की डेरा समर्थक आज भी एकजुट हैं. यही कारण है की अब राजनितिक पार्टियां डेरे के वोट बैंक का फायदा लेने के लिए डेरे में चक्कर लगाने शुरू कर दी हैं.

डेरे की राजनीतिक विंग का मानना है कि आगामी चुनाव में उनकी भूमिका निर्णायक रहेगी. क्योंकि हरियाणा और पंजाब की तरह राजस्थान के दस जिलों में उनका प्रबल प्रभाव है. वहीं पांच जिलों में डेरे के समर्थक चुनावी स्थितियों को बदलने की क्षमता रखते हैं. लोकसभा चुनाव में अपने अनुयायियों के लिए राजनीतिक सलाह देने के मुद्दे पर राजनीतिक विंग का मानना है कि वह पहले इस लोकसभा क्षेत्र के साथ संगत की राय लेंगे. फिर डेरे की राष्ट्रीय विंग के पास यह संदेश पहुंचाएंगे. उसके बाद ही यह तय होगा की डेरा किस को अपना समर्थन देगा, इस बात पर निर्णय करेंगे. लेकिन यह तय है कि जो भी डेरे के हित की बात करेगा उन्हीं का साथ दिया जाएगा. ऐसे में राजनितिक पार्टियां डेरे के चक्कर लगाकर अपने एजेंडे भी डेरे तक पंहुचा रही हैं.

बहरहाल आठ विधानसभा क्षेत्रों में फैले श्रीगंगानगर लोकसभा क्षेत्र के लगभग साढ़े 19 लाख वोटरों में से करीब डेढ़ लाख के आसपास वोटर डेरा के समर्थक हैं. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इस भारी वोट बैंक को अपनी ओर करने में जुटी हैं. ऐसे में देखना यह होगा की भाजपा के निहालचंद और कांग्रेस के भरतराम मेघवाल डेरा सच्चा सौदा के वोट बैंक का समर्थन अपनी और कैसे कर पाते हैं.

श्रीगंगानगर. श्रीगंगानगर लोकसभा सुरक्षित सीट पर होने जा रहे चुनाव में डेरा सच्चा सौदा के साधकों की ताकत को भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां अपनी ओर करने की कवायद में जुटी हुई है. डेरा सच्चा सौदा के 71वें स्थापना दिवस पर जिले के रविदास नगर में बने नामचर्चा घर में श्रद्धालुओं की हजारों में भीड़ उमड़ी. इसके बाद अब भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की नजर सच्चा सौदा समर्थक वोटरों पर है.

श्रीगंगानगर में डेरा सच्चा सौदा के साधकों पर टिकी भाजपा-कांग्रेस की नजर

डेरा सच्चा सौदा सिरसा के डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के जेल जाने के बाद लगने लगा था की उनके समर्थकों के बिखरने से डेरे का प्रभाव खत्म हो जाएगा. लेकिन डेरे के प्रति जुड़ी लाखों समर्थकों की भावना यह बताने के लिए काफी है की डेरा सच्चा सौदा में इनका विश्वास अब भी वहीं है. यही कारण है कि डेरे की ताकत को राजनीतिक पार्टियां कम करके नहीं आंकती हैं. बल्कि इन्हें अपने वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती हैं. डेरे के स्थापना दिवस पर उमड़ी भीड़ ये बताने के लिए भी काफी है की डेरे के समर्थक अब भी डेरे के फरमान पर चलते हैं.

स्थापना दिवस के अवसर पर भारी तादाद में उमड़ी भीड़ ने डेरे के अनुयायियों की एकता का परिचय देते हुए राजनीतिक पार्टियों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए मजबूर कर दिया है. इस भारी-भीड़ का समर्थन हासिल करने के लिए भाजपा और कांग्रेस पार्टियों के बड़े नेता डेरे में अपनी हाजिरी लगाना शुरू कर दिए हैं. भाजपा की ओर से जहां प्रदेश महामंत्री और लोकसभा चुनाव के सह संचालक हरभगवान सिंह बराड़ के साथ अनेक भाजपा पार्षद नामचर्चा घर में हुए समागम में पहुंचे.

वहीं कांग्रेस की ओर से नगर परिषद के पूर्व सभापति जगदीश जांदू और बीकानेर देहात कांग्रेस के जिलाध्यक्ष महेंद्र गहलोत के साथ अनेक कांग्रेसी नेता भी डेरे में हाजिरी लगाने के बहाने समर्थकों की नब्ज टटोलने में लगे हैं. उधर डेरे के समर्थक भी कहीं न कहीं मान रहे है की बाबा गुरमीत राम रहीम के जेल जाने के बाद सभी को यह लगने लगा था की डेरे की शक्ति कमजोर हो गई है. लेकिन डेरे की एकजुटता अब यह बताती है की डेरा समर्थक आज भी एकजुट हैं. यही कारण है की अब राजनितिक पार्टियां डेरे के वोट बैंक का फायदा लेने के लिए डेरे में चक्कर लगाने शुरू कर दी हैं.

डेरे की राजनीतिक विंग का मानना है कि आगामी चुनाव में उनकी भूमिका निर्णायक रहेगी. क्योंकि हरियाणा और पंजाब की तरह राजस्थान के दस जिलों में उनका प्रबल प्रभाव है. वहीं पांच जिलों में डेरे के समर्थक चुनावी स्थितियों को बदलने की क्षमता रखते हैं. लोकसभा चुनाव में अपने अनुयायियों के लिए राजनीतिक सलाह देने के मुद्दे पर राजनीतिक विंग का मानना है कि वह पहले इस लोकसभा क्षेत्र के साथ संगत की राय लेंगे. फिर डेरे की राष्ट्रीय विंग के पास यह संदेश पहुंचाएंगे. उसके बाद ही यह तय होगा की डेरा किस को अपना समर्थन देगा, इस बात पर निर्णय करेंगे. लेकिन यह तय है कि जो भी डेरे के हित की बात करेगा उन्हीं का साथ दिया जाएगा. ऐसे में राजनितिक पार्टियां डेरे के चक्कर लगाकर अपने एजेंडे भी डेरे तक पंहुचा रही हैं.

बहरहाल आठ विधानसभा क्षेत्रों में फैले श्रीगंगानगर लोकसभा क्षेत्र के लगभग साढ़े 19 लाख वोटरों में से करीब डेढ़ लाख के आसपास वोटर डेरा के समर्थक हैं. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इस भारी वोट बैंक को अपनी ओर करने में जुटी हैं. ऐसे में देखना यह होगा की भाजपा के निहालचंद और कांग्रेस के भरतराम मेघवाल डेरा सच्चा सौदा के वोट बैंक का समर्थन अपनी और कैसे कर पाते हैं.

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Arvind


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