चंडीगढ़/श्रीगंगानगर : भारतीय वायु सेना का मिग 21 लड़ाकू विमान देर रात दुर्घटनाग्रस्त हो गया. जानकारी के मुताबिक मिग 21 ने राजस्थान के सूरतगढ़ मिलिट्री स्टेशन से उड़ान भरी थी और मोगा के लंगियाना खुर्द गांव के पास ये हादसा हुआ.
जानकारी के मुताबिक फाइटर एयरक्राफ्ट ने देर रात 11 बजे सूरतगढ़ मिलिट्री स्टेशन से उड़ान भरी थी. दुर्घटना के समय विमान नियमित प्रशिक्षण उड़ान पर था. भारतीय वायु सेना ने ट्वीट कर जानकारी दी कि पायलट अभिनव चौधरी हादसे में शहीद हो गए. IAF ने दुखद नुकसान पर शोक व्यक्त किया और कहा कि शोक संतप्त परिवार के साथ मजबूती से खड़ा है. इसके साथ-साथ भारतीय वायुसेना ने हादसे के जांच के आदेश भी दिए हैं.
बता दें पंजाब के मोगा में देर रात एक बजे के करीब फाइटर जेट मिग 21 क्रैश हो गया. जानकारी के मुताबिक, ट्रेनिंग के चलते पायलट अभिनव ने मिग 21 से उड़ान राजस्थान के सूरतगढ़ के लिए भरी थी, जिसके बाद ये विमान क्रैश हो गया. इंडियन एयरफोर्स के अफसरों का कहना है कि मोगा के कस्बा बाघापुराना के गांव लंगियाना खुर्द के पास देर रात एक बजे फाइटर जेट मिग 21 क्रैश हो गया. मौके पर प्रशासन और सेना के आला अफसर पहुंच गए थे.
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बता दें 5 जनवरी को भी राजस्थान के श्रीगंगानगर स्थित सूरतगढ़ में मिग-21 बाइसन एयरक्राफ्ट क्रैश हो गया था. सेना के अनुसार MIG-21 बायसन एयरक्राफ्ट में तकनीकी खराबी आने के चलते रात 8:15 पर क्रैश हो गया था. यह क्रैश सूरतगढ़ के एयरबेस के आसपास हुआ था, हालांकि इसमें पायलट सुरक्षित था.
मिग-21 में है सुपरसोनिक स्पीड
मिग-21 लड़ाकू विमान मिग कई घातक एयरक्राफ्ट शॉर्ट रेंज और मीडियम रेंज एयरक्राफ्ट मिसाइलों से हमला करने में सक्षम है. इस लड़ाकू विमान की स्पीड 2229 किलोमीटर प्रति घंटा की है, जो उस समय सबसे तेज उड़ान भरने वाला लड़ाकू विमान था.
कारगिल युद्ध में भी मिग-21 ने अहम भूमिका निभाई थी.
साल 1964 में मिग-21लड़ाकू विमान को पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के रूप में इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था. शुरुआत में ये जेट रूस में बने थे और फिर भारत ने इस विमान को असेम्बल करने का अधिकार और तकनीक भी हासिल कर ली थी. जिसके बाद हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को 1967 से लाइसेंस के तहत मिग-21 लड़ाकू विमान का प्रोडक्शन शुरू कर दिया था. रूस ने तो 1985 में इस विमान का निर्माण बंद कर दिया, लेकिन भारत इसके अपग्रेडेड वैरिएंट का इस्तेमाल करता रहा है.
पाकिस्तान के साथ हुए 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध में भी मिग-21 ने अहम भूमिका निभाई थी. मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान मिग-21 का एक अपग्रेडेड वर्जन है. जिससे अगले 3 से 4 साल तक इसका उपयोग किया जा सकता है. इस वर्जन का इस्तेमाल केवल भारतीय वायुसेना ही करती है. बाकी दूसरे देश इसके अलग-अलग वैरियंट का प्रयोग करते हैं. सितंबर, 2018 तक वायु सेना के पास तकरीबन 120 मिग-21 विमान थे.