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बसंत पंचमी विशेष: सिरोही के इस मंदिर में कालिदास ने की थी तपस्या...मार्कंडेय ऋषि ने पाई थी 'मृत्यु' पर विजय

राजस्थान में केवल प्राचीन इमारत ही नहीं बल्कि यहां के दर्शनीय स्थल भी सभी के लिए खास मायने रखते हैं. सिरोही जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर अजारी गांव के पास मार्कंडेश्वरधाम स्थित मां सरस्वती का एक ऐसा ही मंदिर है, जिसके दर्शन के लिए काफी दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं और माता के दर्शन करते हैं. मार्कंडेश्वरधाम स्थित मां सरस्वती मंदिर विद्या के साधकों की आराधना स्थली है, तो वहीं इस प्रसिद्ध मंदिर से जुड़ी एक खास मान्यता...

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मां सरस्वती का चमत्कारी मंदिर
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Published : Jan 30, 2020, 8:33 PM IST

सिरोही. जिले को यूं तो देव नगरी के नाम से जाना जाता है. जिलेभर में कई धार्मिक और प्राचीन स्थल है. जिनकी अपने आप में खास मान्यता है, पर सिरोही जिले के जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर अजारी गांव है. जहां पर मारकंडेश्वर धाम में मां सरस्वती का मंदिर है. जहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और माता के दर्शन करते हैं.

मां सरस्वती का चमत्कारी मंदिर

इस मंदिर की सबसे बड़ी खास बात यह है कि यहां कई विद्वानों ने तपस्या की है. गुप्त काल में निर्मित यह मंदिर कई सदियों से बुद्धि और ज्ञान का बल चाहने वालों के लिए प्रमुख स्थान रहा है. बसंत पंचमी के दिन यहां पर विशेष आयोजन होते हैं. देशभर से श्रद्धालु विद्यादायिनी मां सरस्वती के दर्शने के लिए आजारी पहुंचते हैं.

यह भी पढे़ं- टिड्डी अटैक V/S स्कूली बच्चे...टिड्डियों को भगाकर ही माने

यहां मां को चढ़ता है पेन, कॉपी और पुस्तक का चढ़ावा...

जिले के अजारी गांव के मार्कंडेश्वर धाम का सरस्वती मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां पर बच्चों की वाणी, शिक्षा और बुद्धि के लिए मन्नतें मांगी जाती है. मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. मान्यतानुसार वहां कॉपी किताब और पेंसिल का प्रसाद चढ़ाया जाता है. विकार भी सही होने पर चांदी की जीभ चढ़ाते हैं.

कालिदास की है तपोभूमि...

इस धाम को लेकर यह मान्यता है कि यहां कालिदास जैसे साधक तपस्या कर चुके हैं. यह वही स्थान है, जहां बाल ऋषि मार्कंडेय ने यम से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर मृत्यु पर विजय पाई थी.

गूंगे-बहरे हो जाते हैं भले-चंगे...

मंदिर के पुजारी भरत रावल ने बताया कि यह मंदिर अपने आप में बहुत ही पौराणिक मंदिर है. जिन बच्चों को वाणी विकार हो या फिर वह बोलने पर हकलाते हैं या तुतलाते हैं, या ऐसे बच्चे जो पढ़ाई में कमजोर है. साथ ही वह बच्चे भी जो मंदबुद्धि हो, उनकी कमियों को दूर करने के लिए श्रद्धालु मां सरस्वती से मन्नत मांगते हैं. पुजारी के अनुसार मन्नत पूरी होने पर मां को चांदी की जीभ अर्पित की जाती है.

यह भी पढ़ें- स्पेशल: श्रद्धा के फूलों को तरसती रही बापू की यह प्रतिमा

सरस्वती माता की इस पावन स्थल पर यूं तो साल भर श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है, लेकिन बसंत पंचमी के अवसर पर इस धाम पर एक खास रौनक रहती है. यहां बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का मेला लगता है. साथ ही मंदिर में हवन यज्ञ के कार्यक्रम भी आयोजित की जाते हैं.

सिरोही. जिले को यूं तो देव नगरी के नाम से जाना जाता है. जिलेभर में कई धार्मिक और प्राचीन स्थल है. जिनकी अपने आप में खास मान्यता है, पर सिरोही जिले के जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर अजारी गांव है. जहां पर मारकंडेश्वर धाम में मां सरस्वती का मंदिर है. जहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और माता के दर्शन करते हैं.

मां सरस्वती का चमत्कारी मंदिर

इस मंदिर की सबसे बड़ी खास बात यह है कि यहां कई विद्वानों ने तपस्या की है. गुप्त काल में निर्मित यह मंदिर कई सदियों से बुद्धि और ज्ञान का बल चाहने वालों के लिए प्रमुख स्थान रहा है. बसंत पंचमी के दिन यहां पर विशेष आयोजन होते हैं. देशभर से श्रद्धालु विद्यादायिनी मां सरस्वती के दर्शने के लिए आजारी पहुंचते हैं.

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यहां मां को चढ़ता है पेन, कॉपी और पुस्तक का चढ़ावा...

जिले के अजारी गांव के मार्कंडेश्वर धाम का सरस्वती मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां पर बच्चों की वाणी, शिक्षा और बुद्धि के लिए मन्नतें मांगी जाती है. मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. मान्यतानुसार वहां कॉपी किताब और पेंसिल का प्रसाद चढ़ाया जाता है. विकार भी सही होने पर चांदी की जीभ चढ़ाते हैं.

कालिदास की है तपोभूमि...

इस धाम को लेकर यह मान्यता है कि यहां कालिदास जैसे साधक तपस्या कर चुके हैं. यह वही स्थान है, जहां बाल ऋषि मार्कंडेय ने यम से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर मृत्यु पर विजय पाई थी.

गूंगे-बहरे हो जाते हैं भले-चंगे...

मंदिर के पुजारी भरत रावल ने बताया कि यह मंदिर अपने आप में बहुत ही पौराणिक मंदिर है. जिन बच्चों को वाणी विकार हो या फिर वह बोलने पर हकलाते हैं या तुतलाते हैं, या ऐसे बच्चे जो पढ़ाई में कमजोर है. साथ ही वह बच्चे भी जो मंदबुद्धि हो, उनकी कमियों को दूर करने के लिए श्रद्धालु मां सरस्वती से मन्नत मांगते हैं. पुजारी के अनुसार मन्नत पूरी होने पर मां को चांदी की जीभ अर्पित की जाती है.

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सरस्वती माता की इस पावन स्थल पर यूं तो साल भर श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है, लेकिन बसंत पंचमी के अवसर पर इस धाम पर एक खास रौनक रहती है. यहां बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का मेला लगता है. साथ ही मंदिर में हवन यज्ञ के कार्यक्रम भी आयोजित की जाते हैं.

Intro:यंहा स्थित है मां सरस्वती का मंदिर महाकवि कालिदास ने की थी यहां तपस्या एंकर। सिरोही जिले को यू तो देव नगरी के नाम से जाना जाता है जिलेभर में कई धार्मिक और प्राचीन स्थल है । जिनकी अपने आप में खास मान्यता है पर सिरोही जिले के जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर अजारी गांव है जहां पर मारकंडेश्वर धाम में मां सरस्वती का मंदिर है जहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और माता के दर्शन करते हैं ।इस मंदिर की सबसे बड़ी खास बात यह है कि यहां कई विद्वानों ने तपस्या की है। गुप्त काल में निर्मित यह मंदिर कई सदियों से बुद्धि और ज्ञान का बल चाहने वालों के लिए केंद्र का स्थान रहा है ।साथ ही यह मंदिर प्रदेश में खास स्थान रखता है। बसंत पंचमी के दिन यहां पर विशेष आयोजन होता है और देशभर से श्रद्धालु विद्यादायिनी मां सरस्वती के दर्शनार्थ आजारी पहुंचते हैं।


Body: जिले के अजारी गांव स्थित मारकंडेश्वर धाम का सरस्वती मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर बच्चों की वाणी, शिक्षा और बुद्धि के लिए मन्नतें मांगी जाती है ।इतना ही नहीं यह मन्नते पूरी होती है तो वहां कॉपी किताब वह पेंसिल का प्रसाद चढ़ाया जाता है। विकार भी सही होने पर चांदी की जीभ चढ़ाते हैं ।दरअसल इस धाम को लेकर यह मान्यता है कि यहां कालिदास जैसे साधक तपस्या कर चुके हैं ।यह वही स्थान है जहां बाल ऋषि मार्कंडेय ने यम से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर मृत्यु पर विजय पाई थी। मंदिर के पुजारी भरत रावल ने बताया कि यह मंदिर अपने आप में बहुत ही पौराणिक मंदिर है जिन बच्चों को वाणी विकार या फिर वह बोलने पर हकलाते हैं या तुतलाते हैं या ऐसे बच्चे जो पढ़ाई में कमजोर है और ऐसे बच्चे भी जो मंदबुद्धि हो उनकी कमियों को दूर करने के लिए श्रद्धालु मां सरस्वती से मन्नत मांगते हैं ।उन्होंने बताया कि यह देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर पूरी होने पर चांदी की कॉपी बनाई जाती है।


Conclusion: सरस्वती माता की इस पावन स्थल पर यूं तो साल भर श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है लेकिन बसंत पंचमी के अवसर पर इस धाम पर एक खास रौनक रहती है । यहां बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का मेला लगता है साथ ही मंदिर में हवन यज्ञ के कार्यक्रम भी आयोजित की जाते हैं। बाइट। भरत भाई रावल , पुजारी
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