सिरोही. राजस्थान के सिरोही राजघराने के पूर्व नरेश पद्मश्री रघुवीर सिंह ने दावा किया है कि उनका ताल्लुक भी श्री राम के वंश से है. यहीं नहीं उन्होंने तो यहां तक कहा है कि उनके पास 100 वंशजों की सूची भी है. गौरतलब है की सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर से जुड़े मुद्दे को लेकर रोजाना सुनवाई हो रही है और सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राम के वंशज के बारे में राम मंदिर के पक्षकार वकील से पूछा था. उसके बाद से जयपुर और उदयपुर राजघराने ने खुद को राम का वंशज बताया था. अब इस कड़ी में सिरोही के पूर्व महाराजा ने भी राम के वंशज होने का दावा किया है.
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राजस्थान श्रीराम के वंशजों की कर्मभूमि है: देवड़ा
जयपुर और उदयपुर राजघरानों की ओर से उनके वंशज होने का दावे के बाद, अब सिरोही राजघराने ने श्रीराम के वंशज होने का दावा किया है. सिरोही के पूर्व नरेश रघुवीर सिंह बताते है कि उनके पास 100 वंशजों की पूरी सूची है और अगर जरूरत पड़ी या कोर्ट ने उन्हें बुलाया तो वे उन तथ्यों के साथ पेश होंगे. पूर्व नरेश बताते है कि राजस्थान श्रीराम के वंशजों की कर्मभूमि है. पूर्व महाराजा व इतिहासकार के जानकार रघुवीरसिंह देवड़ा का दावा है कि लक्ष्मण के पड़ पौत्र मालव हुआ करते थे. जिन्होंने मूलस्थान यानी, आज मुल्तान है उसे राजधानी बनाया और हम लोग उन्हीं के वंशज हैं. मालव और सिकंदर के बीच युद्ध के बाद की गणना की जाए तो हम 100वीं पीढ़ी या वंशज हैं.
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सुप्रीम कोर्ट उन्हें बुलाती है तो वे सबूतों के साथ पेश होंगे
उनके मुताबिक पहले मालव हुए और बाद में चौहान और अब देवड़ा. उनका यह भी दावा है कि इन 100 पीढ़ियों और वंशजों की सूची उनके पास है. यदि सुप्रीम कोर्ट उन्हें बुलाती है तो वे सबूतों के साथ पेश होंगे और यह बताएंगे कि वे श्रीराम के वंशज हैं.
जयपुर कुश और उदयपुर के पूर्व महाराज महेंद्रसिंह लव के वंशज
पूर्व महाराज देवड़ा ने बताया मालव वंश सिकंदर के समय तक मूलस्थान राजधानी तक वे रहे. 323 ईसा पूर्व में मालव व सिकंदर के बीच युद्ध हुआ. 1206 में सिरोही स्टेट की स्थापना हुई थी. सबसे पहले माणिंगराय हुए थे और वहां से हमारी 38वीं पीढ़ी हूं. मेरे पड़ दादा महाराजा केसरसिंह 35वीं पीढ़ी. 1206 से मालव वंश की 75वीं और 323 ईसा पूर्व से गणना करें तो लक्ष्मण के पड़पौत्र की 100वीं पीढ़ी. पूर्व महाराज रघुवीर सिंह ने जयपुर और उदयपुर राजघराने के भी श्रीराम के वंशज होने की पुष्टि करते हुए बताया कि जयपुर कुश और उदयपुर के पूर्व महाराज महेंद्रसिंह लव के वंशज हैं. इसके प्रमाण भी हैं. बता दें कि सिरोही के पूर्व महाराज रघुवीर सिंह का इतिहास के जानकारों में भी नाम आता है. साथ ही देवड़ा पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं.