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जयपुर, उदयपुर के बाद अब सिरोही के पूर्व राजघराने का दावा...खुद को बताया श्रीराम का वंशज, कहा- हमारे पास 100 वंशजों की सूची - श्रीराम के वंशज

जयपुर और उदयपुर राजघराने के बाद अब सिरोही के पूर्व राजघराने ने भी श्रीराम के वंशज होने का दावा किया है. पूर्व महाराजा रघुवीर सिंह देवड़ा ने बताया है कि वो लक्ष्मण के पड़पौत्र मालव के 100वें वंशज हैं. साथ ही उन्होंने कहा है कि हमारे पास 100 वंशजों की सूची भी है.

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Published : Aug 29, 2019, 9:19 PM IST

सिरोही. राजस्थान के सिरोही राजघराने के पूर्व नरेश पद्मश्री रघुवीर सिंह ने दावा किया है कि उनका ताल्लुक भी श्री राम के वंश से है. यहीं नहीं उन्होंने तो यहां तक कहा है कि उनके पास 100 वंशजों की सूची भी है. गौरतलब है की सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर से जुड़े मुद्दे को लेकर रोजाना सुनवाई हो रही है और सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राम के वंशज के बारे में राम मंदिर के पक्षकार वकील से पूछा था. उसके बाद से जयपुर और उदयपुर राजघराने ने खुद को राम का वंशज बताया था. अब इस कड़ी में सिरोही के पूर्व महाराजा ने भी राम के वंशज होने का दावा किया है.

पढ़ें- दीया कुमारी के बाद अब परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने खुद को बताया भगवान राम का वंशज

राजस्थान श्रीराम के वंशजों की कर्मभूमि है: देवड़ा
जयपुर और उदयपुर राजघरानों की ओर से उनके वंशज होने का दावे के बाद, अब सिरोही राजघराने ने श्रीराम के वंशज होने का दावा किया है. सिरोही के पूर्व नरेश रघुवीर सिंह बताते है कि उनके पास 100 वंशजों की पूरी सूची है और अगर जरूरत पड़ी या कोर्ट ने उन्हें बुलाया तो वे उन तथ्यों के साथ पेश होंगे. पूर्व नरेश बताते है कि राजस्थान श्रीराम के वंशजों की कर्मभूमि है. पूर्व महाराजा व इतिहासकार के जानकार रघुवीरसिंह देवड़ा का दावा है कि लक्ष्मण के पड़ पौत्र मालव हुआ करते थे. जिन्होंने मूलस्थान यानी, आज मुल्तान है उसे राजधानी बनाया और हम लोग उन्हीं के वंशज हैं. मालव और सिकंदर के बीच युद्ध के बाद की गणना की जाए तो हम 100वीं पीढ़ी या वंशज हैं.

अब सिरोही के पूर्व राजघराने ने किया राम के वंशज होने का दावा, देखिए रिपोर्ट

पढ़ें- अयोध्या में हमें ना हक चाहिए ना हुकूमत, सिर्फ राम मंदिर चाहिए : अरविंद सिंह मेवाड़

सुप्रीम कोर्ट उन्हें बुलाती है तो वे सबूतों के साथ पेश होंगे
उनके मुताबिक पहले मालव हुए और बाद में चौहान और अब देवड़ा. उनका यह भी दावा है कि इन 100 पीढ़ियों और वंशजों की सूची उनके पास है. यदि सुप्रीम कोर्ट उन्हें बुलाती है तो वे सबूतों के साथ पेश होंगे और यह बताएंगे कि वे श्रीराम के वंशज हैं.

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जयपुर कुश और उदयपुर के पूर्व महाराज महेंद्रसिंह लव के वंशज
पूर्व महाराज देवड़ा ने बताया मालव वंश सिकंदर के समय तक मूलस्थान राजधानी तक वे रहे. 323 ईसा पूर्व में मालव व सिकंदर के बीच युद्ध हुआ. 1206 में सिरोही स्टेट की स्थापना हुई थी. सबसे पहले माणिंगराय हुए थे और वहां से हमारी 38वीं पीढ़ी हूं. मेरे पड़ दादा महाराजा केसरसिंह 35वीं पीढ़ी. 1206 से मालव वंश की 75वीं और 323 ईसा पूर्व से गणना करें तो लक्ष्मण के पड़पौत्र की 100वीं पीढ़ी. पूर्व महाराज रघुवीर सिंह ने जयपुर और उदयपुर राजघराने के भी श्रीराम के वंशज होने की पुष्टि करते हुए बताया कि जयपुर कुश और उदयपुर के पूर्व महाराज महेंद्रसिंह लव के वंशज हैं. इसके प्रमाण भी हैं. बता दें कि सिरोही के पूर्व महाराज रघुवीर सिंह का इतिहास के जानकारों में भी नाम आता है. साथ ही देवड़ा पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं.

सिरोही. राजस्थान के सिरोही राजघराने के पूर्व नरेश पद्मश्री रघुवीर सिंह ने दावा किया है कि उनका ताल्लुक भी श्री राम के वंश से है. यहीं नहीं उन्होंने तो यहां तक कहा है कि उनके पास 100 वंशजों की सूची भी है. गौरतलब है की सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर से जुड़े मुद्दे को लेकर रोजाना सुनवाई हो रही है और सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राम के वंशज के बारे में राम मंदिर के पक्षकार वकील से पूछा था. उसके बाद से जयपुर और उदयपुर राजघराने ने खुद को राम का वंशज बताया था. अब इस कड़ी में सिरोही के पूर्व महाराजा ने भी राम के वंशज होने का दावा किया है.

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राजस्थान श्रीराम के वंशजों की कर्मभूमि है: देवड़ा
जयपुर और उदयपुर राजघरानों की ओर से उनके वंशज होने का दावे के बाद, अब सिरोही राजघराने ने श्रीराम के वंशज होने का दावा किया है. सिरोही के पूर्व नरेश रघुवीर सिंह बताते है कि उनके पास 100 वंशजों की पूरी सूची है और अगर जरूरत पड़ी या कोर्ट ने उन्हें बुलाया तो वे उन तथ्यों के साथ पेश होंगे. पूर्व नरेश बताते है कि राजस्थान श्रीराम के वंशजों की कर्मभूमि है. पूर्व महाराजा व इतिहासकार के जानकार रघुवीरसिंह देवड़ा का दावा है कि लक्ष्मण के पड़ पौत्र मालव हुआ करते थे. जिन्होंने मूलस्थान यानी, आज मुल्तान है उसे राजधानी बनाया और हम लोग उन्हीं के वंशज हैं. मालव और सिकंदर के बीच युद्ध के बाद की गणना की जाए तो हम 100वीं पीढ़ी या वंशज हैं.

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सुप्रीम कोर्ट उन्हें बुलाती है तो वे सबूतों के साथ पेश होंगे
उनके मुताबिक पहले मालव हुए और बाद में चौहान और अब देवड़ा. उनका यह भी दावा है कि इन 100 पीढ़ियों और वंशजों की सूची उनके पास है. यदि सुप्रीम कोर्ट उन्हें बुलाती है तो वे सबूतों के साथ पेश होंगे और यह बताएंगे कि वे श्रीराम के वंशज हैं.

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जयपुर कुश और उदयपुर के पूर्व महाराज महेंद्रसिंह लव के वंशज
पूर्व महाराज देवड़ा ने बताया मालव वंश सिकंदर के समय तक मूलस्थान राजधानी तक वे रहे. 323 ईसा पूर्व में मालव व सिकंदर के बीच युद्ध हुआ. 1206 में सिरोही स्टेट की स्थापना हुई थी. सबसे पहले माणिंगराय हुए थे और वहां से हमारी 38वीं पीढ़ी हूं. मेरे पड़ दादा महाराजा केसरसिंह 35वीं पीढ़ी. 1206 से मालव वंश की 75वीं और 323 ईसा पूर्व से गणना करें तो लक्ष्मण के पड़पौत्र की 100वीं पीढ़ी. पूर्व महाराज रघुवीर सिंह ने जयपुर और उदयपुर राजघराने के भी श्रीराम के वंशज होने की पुष्टि करते हुए बताया कि जयपुर कुश और उदयपुर के पूर्व महाराज महेंद्रसिंह लव के वंशज हैं. इसके प्रमाण भी हैं. बता दें कि सिरोही के पूर्व महाराज रघुवीर सिंह का इतिहास के जानकारों में भी नाम आता है. साथ ही देवड़ा पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं.

Intro:अब सिरोही राजघराने ने किया श्रीराम के वंशज होने का दावा

कहा- हमारे पास 100 वंशजों की सूची
 

सिराेही। सुप्रीम कोर्ट की ओर से श्रीराम के वंशज होने या नहीं होने के सवाल के बाद जहां जयपुर और उदयपुर राजघरानों की ओर से उनके वंशज होने का दावा किया गया था, वहीं अब सिरोही का तीसरा राजघराना श्रीराम के वंशज होने का दावा कर रहा है। यहां तक कि सिरोही के पूर्व महाराजा रघुवीरसिंह का कहना है कि उनके पास 100 वंशजों की पूरी सूची है और यदि सुप्रीम कोर्ट उन्हें बुलाती है तो वे सबूतों के साथ पेश होंगे। उनकी ओर से यह भी दावा है कि राजस्थान श्रीराम के वंशजों की कर्मभूमि है। दरअसल, 5 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर को लेकर नियमित सुनवाई शुरू हुई थी। 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की ओर से भगवान राम के वकील से यह पूछा गया कि अयोध्या या फिर दुनिया में कहीं भगवान राम का वंशज है या नहीं? इस पर वकील की ओर से यह जवाब दिया गया कि हमें इसकी जानकारी नही है, लेकिन, जयपुर और उदयपुर राजपरिवार के बाद सिरोही राजघराने की ओर से उनके वंशज होने का दावा किया जा रहा है। पूर्व महाराजा व इतिहासकार के जानकार रघुवीरसिंह देवड़ा का दावा है कि लक्ष्मण के पड़ पौत्र मालव हुआ करते थे, जिन्होंने मूलस्थान यानी, आज मुल्तान है उसे राजधानी बनाया और हम लोग उन्हीं के वंशज हैं। मालव व सिकंदर के बीच युद्ध के बाद की गणना की जाए तो हम 100वीं पीढ़ी या वंशज हैं। पहले मालव हुए और बाद में चौहान और अब देवड़ा। उनका यह भी दावा है कि इन 100 पीढिय़ों और वंशजों की सूची उनके पास है। यदि सुप्रीम कोर्ट उन्हें बुलाती है तो वे सबूतों के साथ पेश होंगे और यह बताएंगे कि वे श्रीराम के वंशज हैं।
 Body:पूर्व महाराजा रघुवीरसिंह ने दिए ये तीन सबूत

1. मालव वंशज: यह सत्य है कि मालव लक्ष्मण के पड़ पौत्र थे। मालव के बाद विक्रमादित्य व चंद्रगुप्त मौर्य का शासन आया, जो इन्हीं के वंशज थे।

2. जब गुप्त साम्राज्य भी समाप्त हो गया तो आबूरोड स्थित वशिष्ठ आश्रम में कुछ लोग यहां पहुंचे। जहां चव्हार, परिहार, परमार व सोलंकी चारों को अलग-अलग राज्य सौंपे गए।

3. पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के बाद 1200 में सिरोही स्टेट की स्थापना हुई। उत्पति मालव वंश से हुई, जो बाद में 1228 में चौहान हुए और अब देवड़ा।
 
सिरोही स्टेट की स्थापना के बाद 75वां राजा बना
 
पूर्व महाराज देवड़ा ने बताया मालव वंश की बात करें तो सिकंदर के समय तक मूलस्थान राजधानी तक वे रहे। 323 ईसा पूूर्व में मालव व सिकंदर के बीच युद्ध हुआ। 1206 में सिरोही स्टेट की स्थापना हुई थी। सबसे पहले माणिंगराय हुए थे और वहां से हमारी 38वीं पीढ़ी हूंं। मेरे पड़ दादा महाराजा केसरसिंह 35वीं पीढ़ी। 1206 से मालव वंश की 75वीं और 323 ईसा पूर्व से गणना करें तो लक्ष्मण के पड़पौत्र की 100वीं पीढ़ी। पूर्व महाराज रघुवीर सिंह ने जयपुर और उदयपुर राजघराने के भी श्रीराम के वंशज होने की पुष्टि करते हुए बताया कि जयपुर कुश और उदयपुर के पूर्व महाराज महेंद्रसिंह लव के वंशज हैं। इसके प्रमाण भी हैं।Conclusion:पद्मश्री से सम्मानित हैं सिराेही के पूर्व महाराजा
 
सिरोही के पूर्व महाराज का इतिहास के जानकारों में भी नाम आता है। देवड़ा देश के चौथे सर्वोच्च पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं।


बाईट – सिरोही के पूर्व महाराजा
रघुवीरसिंह देवड़ा

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