सिरोही. इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड (आईसीपीएफ) और राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (आरएससीपीसीआर) की ओर से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन ब्रम्हाकुमारी परिसर में किया गया. सेमिनार ‘प्रमोटिंग सेफ ऑनलाइन स्पेस फॉर चिल्ड्रेन’ विषय पर आयोजित हुआ. इसमें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर चर्चा की. आयोजन में 23 राज्यों के प्रतिनिधि मौजूद रहे.
कार्यक्रम का उद्घाटन आरएससीपीसीआर की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने किया. इस राष्ट्रीय सेमिनार में आईसीपीएफ के सीईओ और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह सहित 23 राज्यों के बाल अधिकार संरक्षण आयोगों के अध्यक्ष, सचिव व सदस्यों, विशेषज्ञों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लोगों ने भी हिस्सा लिया. सेमिनार में साइबर स्पेस में बच्चों की सुरक्षा और साइबर क्राइम जैसे विषयों पर व्यापक चर्चा की गई.
आरएससीपीसीआर की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न के लगातार बढ़ते मामलों पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए बताया कि अध्ययन में यह पाया गया है कि कोरोना के समय जब ऑनलाइन पढ़ाई होने लगी थी, उस समय बच्चों ने कई ऐसे वेबसाइट्स खोले, जो उन्हें नहीं खोलने चाहिए थे. हम बच्चों को इंटरनेट के उपयोग के खतरों के बारे में जागरूक करने में पीछे रह गए. सही काउंसलिंग नहीं होने से भी बच्चे इसमें फंस रहे थे. उन्होंने लोगों से बच्चों पर निगरानी रखने और इंटरनेट पर उपलब्ध एब्यूज मैटिरियल के इस्तेमाल को रोकने की अपील की.
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आईसीपीएफ के सीईओ और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह ने इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के बीच ऑनलाइन सेक्सुअल एब्यूज से बच्चों को बचाने के लिए महिला आयोग सहित सभी हितधारकों की साझा पहल पर जोर दिया. उन्हांने ऑनलाइन चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज से निपटने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका और उनकी क्षमता निर्माण की जरूरत का उल्लेख किया.
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आईसीपीएफ बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा और खासतौर से ऑनलाइन बाल यौन शोषण के खतरों से निपटने के लिए लम्बे समय से काम कर रहा है. इस मुद्दे पर जागरूकता पैदा करने के लिए वह खास तौर से बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच काम कर रहा है. साथ ही, बच्चों को ऑनलाइन यौन उत्पीड़न के खतरे से बचाने के लिए आईसीपीएफ देश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर भी काम कर रहा है.