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'भौतिकवाद और आध्यात्मवाद एक-दूसरे के पूरक', ब्रह्माकुमारीज संस्थान में बोले गुजरात के राज्यपाल - गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत

सिरोही के आबूरोड स्थित ब्रह्माकुमारीज संस्थान में कला-संस्कृति प्रभाग के राष्ट्रीय सम्मेलन का गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने उद्घाटन किया. सम्मेलन में देशभर से कलाकार, नाट्यकर्मी, कवि, गायक और संगीतकार भाग लेने पहुंचे हैं.

Gujarat Governor
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 2, 2023, 5:04 PM IST

Updated : Sep 2, 2023, 8:25 PM IST

गुजरात के राज्यपाल ने ब्रह्माकुमारी संस्थान में राष्ट्रीय सम्मेलन को किया संबोधित

सिरोही. वैज्ञानिकों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन ने हमें चांद पर पहुंचा दिया. यह सब घटनाएं मानव के भौतिक विकास की परिचायक हैं. हमने बड़े-बड़े कारखाने, रेल पटरियां बनाईं, उद्योग स्थापित किए लेकिन जब आध्यात्मवाद की बात आती है, तो हम बहुत पीछे चल रहे हैं. भौतिकवाद और आध्यात्मवाद जब एक-दूसरे का सहायक बनता है, तो वह पूर्णता की ओर बढ़ता है. ब्रह्माकुमारीज इन दोनों चिंतन को लेकर आगे बढ़ रही है. एक महान साइंटिस्ट ने कहा था कि साइंस, विज्ञान और आध्यात्मवाद जब एक-दूसरे के पूरक बनते हैं, तो वह इस परमात्मा द्वारा बनाई गई सृष्टि का आनंद लेते हैं. यह बात गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कही.

आबूरोड के ब्रह्माकुमारीज संस्थान स्थित डायमंड हाल में आयोजित कला-संस्कृति प्रभाग के राष्ट्रीय सम्मेलन का राज्यपाल ने दीप प्रज्जवलन कर सम्मेलन का विधिवत उद्घाटन किया. इसमें देशभर से कला और संस्कृति प्रेमी भाग ले रहे हैं. ब्रह्माकुमारी में सकारात्मक परिवर्तन की कला से आनंदमय जीवन विषय पर संबोधित करते हुए राज्यपाल आचार्य ने कहा कि काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार ये मानव के शत्रु हैं. असली विजय अंदर की विजय है. हमारे चिंतन में, वेदों में बाहर की जीत को जीत नहीं माना जाता था. असली जीत हमारे अंदर की जीत है. अंदर के शत्रुओं को जीतने वाला ही विजेता है.

पढ़ें: राज्यपाल ने वनों की सुरक्षा और संरक्षण में जन भागीदारी को बताया जरूरी, बोले-अब सजग रहने की जरूरत

पहले युद्ध मन की भूमि में लड़े जाते हैं: राज्यपाल ने कहा कि यूएनओ के विधान में एक बात लिखी है, जो युद्ध मैदान में लड़े जाते हैं, वह युद्ध पहले मानव मन की भूमि में लड़े जाते हैं. कोई सकारात्मक सोच को लेकर किसी से लड़कर दिखाए. कोई पहले मन को दूषित करेगा, क्रोध की आग, ईर्ष्या में जलाएगा, तब ही दूसरों को दुख दे सकता है. राजयोग से ही मन पूरा नियंत्रण में आएगा. जीवन को सकारात्मकता की दिशा में बढ़ाएंगे तो पवित्रता आएगी, आनंद आएगा. यह चिंतन साधु-संत और ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा लोगों को दिया जा रहा है.

पढ़ें: ब्रह्माकुमारी संस्था की राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक खत्म, इस थीम पर तय हुआ एजेंडा

अध्यात्म हमारे ऋषियों का चिंतन था: राज्यपाल ने कहा कि आज मनुष्य उस पत्थर की तरह हो गया है जो दूसरों की हत्या होने पर भी आंसू नहीं बहाता है. इसका कारण है हम भौतिक रूप से बहुत आगे बढ़े, लेकिन आध्यात्मिक रूप से पिछड़ते चले गए हैं. हमारा मेडिटेशन, ध्यान योग, वेद, दर्शन शास्त्र, रामायण, गीता यह हमारे ऋषियों का चिंतन था. आज नई पीढ़ियां इसे देख भी नहीं पाती हैं. आज ब्रह्माकुमारीज जैसे केंद्र इनके प्रसार में लगे हैं. इनके समस्त विश्व में परम विस्तार की आवश्यकता है.

पढ़ें: राष्ट्रपति का सिरोही दौरा: ब्रह्माकुमारी संस्थान के कार्यक्रम में बोलीं- अशांति के इस दौर में विश्व भारत की ओर देख रहा है

यहां से मैंने सीखा सकारात्मक परिवर्तन लाना: मुंबई से आईं प्रसिद्ध फिल्म एक्ट्रेस मधु शाह ने कहा कि आस्था चैनल पर ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी को सुना और धीरे-धीरे मेरी सोच बदलने लगी. उनकी क्लास से जाना कि हमें डेली लाइफ में कैसे थॉट्स करना है. दीदी को सुनकर मैं ब्रह्माकुमारीज से जुड़ी. राजयोग का कमाल है कि यहां सभी के चेहरे चमकते हुए हैं. मैंने यहां से सीखा है कि हमें अपने कर्म से लोगों को अपने होने का अहसास कराना है. खुद में सकारात्मक परिवर्तन लाना है.

कला-संस्कृति प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्षा राजयोगिनी चंद्रिका दीदी ने उपरोक्त विषय पर कहा कि वास्तव में हम सभी आत्माएं हैं। परम कलाकार परमपिता शिव परमात्मा 87 साल से विश्व परिवर्तन का कार्य करा रहे हैं। यहां 13 लाख से अधिक युवा, बड़े, बच्चे-बुजुर्ग इस कार्य में सहयोगी बने हुए हैं.

गुजरात के राज्यपाल ने ब्रह्माकुमारी संस्थान में राष्ट्रीय सम्मेलन को किया संबोधित

सिरोही. वैज्ञानिकों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन ने हमें चांद पर पहुंचा दिया. यह सब घटनाएं मानव के भौतिक विकास की परिचायक हैं. हमने बड़े-बड़े कारखाने, रेल पटरियां बनाईं, उद्योग स्थापित किए लेकिन जब आध्यात्मवाद की बात आती है, तो हम बहुत पीछे चल रहे हैं. भौतिकवाद और आध्यात्मवाद जब एक-दूसरे का सहायक बनता है, तो वह पूर्णता की ओर बढ़ता है. ब्रह्माकुमारीज इन दोनों चिंतन को लेकर आगे बढ़ रही है. एक महान साइंटिस्ट ने कहा था कि साइंस, विज्ञान और आध्यात्मवाद जब एक-दूसरे के पूरक बनते हैं, तो वह इस परमात्मा द्वारा बनाई गई सृष्टि का आनंद लेते हैं. यह बात गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कही.

आबूरोड के ब्रह्माकुमारीज संस्थान स्थित डायमंड हाल में आयोजित कला-संस्कृति प्रभाग के राष्ट्रीय सम्मेलन का राज्यपाल ने दीप प्रज्जवलन कर सम्मेलन का विधिवत उद्घाटन किया. इसमें देशभर से कला और संस्कृति प्रेमी भाग ले रहे हैं. ब्रह्माकुमारी में सकारात्मक परिवर्तन की कला से आनंदमय जीवन विषय पर संबोधित करते हुए राज्यपाल आचार्य ने कहा कि काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार ये मानव के शत्रु हैं. असली विजय अंदर की विजय है. हमारे चिंतन में, वेदों में बाहर की जीत को जीत नहीं माना जाता था. असली जीत हमारे अंदर की जीत है. अंदर के शत्रुओं को जीतने वाला ही विजेता है.

पढ़ें: राज्यपाल ने वनों की सुरक्षा और संरक्षण में जन भागीदारी को बताया जरूरी, बोले-अब सजग रहने की जरूरत

पहले युद्ध मन की भूमि में लड़े जाते हैं: राज्यपाल ने कहा कि यूएनओ के विधान में एक बात लिखी है, जो युद्ध मैदान में लड़े जाते हैं, वह युद्ध पहले मानव मन की भूमि में लड़े जाते हैं. कोई सकारात्मक सोच को लेकर किसी से लड़कर दिखाए. कोई पहले मन को दूषित करेगा, क्रोध की आग, ईर्ष्या में जलाएगा, तब ही दूसरों को दुख दे सकता है. राजयोग से ही मन पूरा नियंत्रण में आएगा. जीवन को सकारात्मकता की दिशा में बढ़ाएंगे तो पवित्रता आएगी, आनंद आएगा. यह चिंतन साधु-संत और ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा लोगों को दिया जा रहा है.

पढ़ें: ब्रह्माकुमारी संस्था की राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक खत्म, इस थीम पर तय हुआ एजेंडा

अध्यात्म हमारे ऋषियों का चिंतन था: राज्यपाल ने कहा कि आज मनुष्य उस पत्थर की तरह हो गया है जो दूसरों की हत्या होने पर भी आंसू नहीं बहाता है. इसका कारण है हम भौतिक रूप से बहुत आगे बढ़े, लेकिन आध्यात्मिक रूप से पिछड़ते चले गए हैं. हमारा मेडिटेशन, ध्यान योग, वेद, दर्शन शास्त्र, रामायण, गीता यह हमारे ऋषियों का चिंतन था. आज नई पीढ़ियां इसे देख भी नहीं पाती हैं. आज ब्रह्माकुमारीज जैसे केंद्र इनके प्रसार में लगे हैं. इनके समस्त विश्व में परम विस्तार की आवश्यकता है.

पढ़ें: राष्ट्रपति का सिरोही दौरा: ब्रह्माकुमारी संस्थान के कार्यक्रम में बोलीं- अशांति के इस दौर में विश्व भारत की ओर देख रहा है

यहां से मैंने सीखा सकारात्मक परिवर्तन लाना: मुंबई से आईं प्रसिद्ध फिल्म एक्ट्रेस मधु शाह ने कहा कि आस्था चैनल पर ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी को सुना और धीरे-धीरे मेरी सोच बदलने लगी. उनकी क्लास से जाना कि हमें डेली लाइफ में कैसे थॉट्स करना है. दीदी को सुनकर मैं ब्रह्माकुमारीज से जुड़ी. राजयोग का कमाल है कि यहां सभी के चेहरे चमकते हुए हैं. मैंने यहां से सीखा है कि हमें अपने कर्म से लोगों को अपने होने का अहसास कराना है. खुद में सकारात्मक परिवर्तन लाना है.

कला-संस्कृति प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्षा राजयोगिनी चंद्रिका दीदी ने उपरोक्त विषय पर कहा कि वास्तव में हम सभी आत्माएं हैं। परम कलाकार परमपिता शिव परमात्मा 87 साल से विश्व परिवर्तन का कार्य करा रहे हैं। यहां 13 लाख से अधिक युवा, बड़े, बच्चे-बुजुर्ग इस कार्य में सहयोगी बने हुए हैं.

Last Updated : Sep 2, 2023, 8:25 PM IST
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