सिरोही. जिले के चारों ओर अरावली पर्वत श्रंखला है. साथ ही, प्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू भी स्थित है, जहां चारों ओर पहाड़ों पर छाई हरितमा पर्यटकों को आकर्षित करती है. माउंट आबू में अरावली पर्वत माला की सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर है. लेकिन, यहां गर्मी में पहाड़ों और जंगलों में हर वर्ष धधकने वाली आग प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. देखें ये खास रिपोर्ट
कई किलोमीटर में फैले जंगल को लेकर वन विभाग के लिए गर्मी का मौसम चुनौती भरा रहता है. माउंट आबू में गर्मी के आगाज के साथ ही पहाड़ों में जगह-जगह आग लगने का सिलसिला शुरू हो जाता है. कई बार लोगों की लापरवाही से, तो कई बार बांस के पेड़ के आपस में टकराने से भी आग लग जाती है. हर साल आग लगने से जंगल को भारी नुकसान है. चार साल पहले जब माउंट आबू के जंगलों में आग लगी थी, तो लपटें शहर के नजदीक तक पहुंच गई थी.
2017 में आग नें मचाया था तांडव...
माउंट आबू के जंगलों में 2017 अप्रैल माह में लगी आग ने जमकर तांडव मचाया था. आग से पूरा जंगल ही उस समय नष्ट हो गया था. प्रशासन एक जगह की आग बुझाते, तो उससे पहले ही कहीं और आग लगने की खबर मिल जाती. वायुसेना के तीन हेलीकॉप्टर लगाकर तीन से चार दिन तक लगातार पानी का छिड़काव जंगलों में किया गया, जिसके बाद आग पर काबू पाया जा सका.
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वन विभाग हर साल करता है तैयारी...
माउंट आबू के जंगलों में गर्मी में लगने वाली आग को लेकर वन विभाग भी सतर्क रहता है. वन विभाग हर साल गर्मी से पूर्व तैयारी करता है, जिसमें आग जल्दी पकड़ने वाले पौधों को निकाला जाता है. साथ ही, स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है, जिससे पहाड़ों में लगने वाली आग को रोका जा सके.
आग लगने से भारी नुकसान...
माउंट आबू के जंगलों में आग लगने से वन संपदा का हर साल भारी मात्रा में नुकसान होता है. माउंट आबू के जंगलों में कई प्रकार की जड़ी बूटियां हैं, जो जलकर खाक हो चुकी है. वहीं, जंगल में रहने वाले जानवरों और पक्षियों के जीवन पर भी संकट खड़ा हो जाता है.
वन विभाग नें चिंहित किए स्थान...
वन विभाग के डीएफओ विजय शंकर पांडे ने कहा कि हर वर्ष लगने वाली आग को कम करने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं. इसके लिए ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है. विभाग की ओर से आग लगने वाले संभावित स्थानों को चिन्हित किया गया है.