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नेशनल अवार्ड पाने वाले थानाधिकारी के खिलाफ कोर्ट ने दिए अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश, गंभीर है वजह

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Published : Aug 27, 2020, 5:37 PM IST

सीकर की पॉक्सो न्यायालय ने थानाधिकारी पवन चौबे पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज केस में जांच अधिकारी पवन कुमार ने उचित एवं निष्पक्ष अनुसंधान नहीं किया. पवन चौबे को नेशनल अवार्ड भी मिल चुका है.

disciplinary action against police officer,  POCSO Act
नेशनल अवार्ड पाने वाले थानाधिकारी के खिलाफ कोर्ट ने अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए

सीकर. पॉक्सो न्यायालय सीकर ने थानाधिकारी पवन चौबे पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज केस में जांच अधिकारी पवन कुमार ने उचित एवं निष्पक्ष अनुसंधान नहीं किया. पवन चौबे को नेशनल अवार्ड भी मिल चुका है. कोर्ट के इस फैसले की कॉपी जयपुर रेंज के आईजी और सीकर एसपी को भेज दी गई है.

कोर्ट के इस फैसले की कॉपी जयपुर रेंज के आईजी और सीकर एसपी को भेज दी गई है

क्या है पूरा मामला?

एडवोकेट राजेंद्र कुमार हुड्डा ने बताया कि 2016 में खंडेला थाने में नाबालिग बालिका से दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ था. इस मामले की जांच खंडेला के तत्कालीन थानाधिकारी पवन कुमार कर रहे थे. करीब 3 साल तक कोर्ट में चले इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को बरी कर दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि इस मामले में जांच अधिकारी पवन कुमार ने उचित एवं निष्पक्ष अनुसंधान नहीं किया. थानाधिकारी ने पॉक्सो अधिनियम जैसे गंभीर प्रकृति के अपराध में भी लचर अनुसंधान किया है.

पढ़ें: अलवरः खेतड़ी पुलिस पर फायरिंग का मामला, मुख्य आरोपी गिरफ्तार

कोर्ट ने कहा कि परिवादी और अभियुक्त दोनों पक्षों का यह अधिकार है कि निष्पक्ष अनुसंधान की अपेक्षा करें. लेकिन इस प्रकरण में अनुसंधान अधिकारी ने अनुसंधान के नाम पर केवल मात्र औपचारिकताएं पूरी की हैं. जो उनकी घोर लापरवाही का द्योतक है. कोर्ट के इस फैसले की कॉपी जयपुर रेंज के आईजी और सीकर एसपी को भेजी है और थानाधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए कहा गया है.

सीकर. पॉक्सो न्यायालय सीकर ने थानाधिकारी पवन चौबे पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज केस में जांच अधिकारी पवन कुमार ने उचित एवं निष्पक्ष अनुसंधान नहीं किया. पवन चौबे को नेशनल अवार्ड भी मिल चुका है. कोर्ट के इस फैसले की कॉपी जयपुर रेंज के आईजी और सीकर एसपी को भेज दी गई है.

कोर्ट के इस फैसले की कॉपी जयपुर रेंज के आईजी और सीकर एसपी को भेज दी गई है

क्या है पूरा मामला?

एडवोकेट राजेंद्र कुमार हुड्डा ने बताया कि 2016 में खंडेला थाने में नाबालिग बालिका से दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ था. इस मामले की जांच खंडेला के तत्कालीन थानाधिकारी पवन कुमार कर रहे थे. करीब 3 साल तक कोर्ट में चले इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को बरी कर दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि इस मामले में जांच अधिकारी पवन कुमार ने उचित एवं निष्पक्ष अनुसंधान नहीं किया. थानाधिकारी ने पॉक्सो अधिनियम जैसे गंभीर प्रकृति के अपराध में भी लचर अनुसंधान किया है.

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कोर्ट ने कहा कि परिवादी और अभियुक्त दोनों पक्षों का यह अधिकार है कि निष्पक्ष अनुसंधान की अपेक्षा करें. लेकिन इस प्रकरण में अनुसंधान अधिकारी ने अनुसंधान के नाम पर केवल मात्र औपचारिकताएं पूरी की हैं. जो उनकी घोर लापरवाही का द्योतक है. कोर्ट के इस फैसले की कॉपी जयपुर रेंज के आईजी और सीकर एसपी को भेजी है और थानाधिकारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए कहा गया है.

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