सीकर. फाल्गुन का महीना हो और शेखावाटी के चंग धमाल की बात नहीं हो, ऐसा हो नहीं सकता. होली के त्योहार से पहले फाल्गुन के महीने में चलने वाला शेखावाटी का चंग धमाल दुनिया भर में प्रसिद्ध है. यहां के कलाकार और होली के रसिया अपनी अलग पहचान रखते हैं.
वैसे तो फाल्गुन का महीना शुरू होते ही कई जगह होली के कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं. लेकिन शिवरात्रि के बाद विशेष तौर पर शेखावाटी चंग धमाल परवान चढ़ता है. शिवरात्रि के बाद जगह-जगह हर गली मोहल्ले में चंग धमाल चलता है और देर रात तक लोग फाल्गुन की मस्ती में मस्त रहते हैं. शेखावाटी इलाके में हर गांव और कस्बे में होली के चंग ढप देर रात तक बजाए जाते हैं. चंग के साथ-साथ बांसुरी की सुरीली ध्वनि भी मन को मोह लेती है.
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शेखावाटी इलाके में हर गांव, हर मोहल्ले में बांसुरी के कलाकार मिल जाते है. फाल्गुन के महीने में चारों तरफ से बांसुरी की धुन सुनाई देती है. शुक्रवार को शिवरात्रि के बाद से ही इलाके में चंद ढप के कार्यक्रम शुरू हो गए हैं. वहीं इस परंपरा को लेकर कलाकारों ने बताया, कि ये परंपरा सदियों से ऐसे ही चल रही है. कलाकारों का कहना है, कि जब वे बच्चे थे, तब से वह इस परंपरा को इसी रूप में देखते आ रहे हैं.
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होली के 2 दिन पहले शुरू होगा गींदड़ नृत्य
शेखावाटी इलाके में चंग और धमाल का कार्यक्रम होली के 2 दिन पहले तक चलता है. होली के 2 दिन पहले यहां हर जगह गींदड़ नृत्य शुरू हो जाता है. इस नृत्य की भी दुनिया भर में विशेष पहचान है. होली से 2 दिन पहले और होली के दिन यानि 3 दिन यह कार्यक्रम हर गांव गली और मोहल्ले में चलते हैं.