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सीकर : दांतारामगढ़ में आंगनबाड़ी कर्मचारियों ने दिया ज्ञापन, की ये मांग

सीकर के दांतारामगढ़ ब्लॉक में सोमवार को आशा सहयोगिनियों की ओर से मुख्यमंत्री के नाम ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी व तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया है. ज्ञापन में आंगनबाड़ी कर्मचारियों ने विभिन्न मांग की बात कही है.

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जिले में आंगनबाड़ी कर्मचारियों ने दिया ज्ञापन
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Published : Oct 12, 2020, 5:30 PM IST

दांतारामगढ़ ‌(सीकर). जिले के दांतारामगढ़ ब्लॉक में सोमवार को आशा सहयोगिनियों ने स्थाई कर्मचारी का दर्जा देने की मांग सहित विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी व तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा. राजस्थान आंगनबाड़ी कर्मचारी महासंघ की जिला महामंत्री अलका किनियां ने बताया कि राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य के लिए कम मानदेय पर हजारों की संख्या में आशा सहयोगिनी काम कर रही हैं.

इसके साथ ही कोविड-19 के दौरान भी बिना किसी संसाधन के तकरीबन 55 हजार आशा सहयोगिनी घर-घर जाकर जानकारी जुटाकर चिकित्सा विभाग को दे रही हैं. उन्होंने बताया कि गहलोत सरकार आने से पहले वादा किया गया था कि सभी संविदा कर्मियों व ठेका कर्मियों को स्थाई किया जाएगा. जिसके बाद आज तक सरकार के कार्यकाल के 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी वादा पूरा नहीं किया गया है.

पढ़ें: जयपुर: परिवहन विभाग में जल्द होगी तबादलों की सूची जारी

आशा सहयोगिनियों की ओर से मांग रखी गई है कि उनको स्थाई कर्मचारी का दर्जा दिया जाए. इसके साथ ही न्यूनतम मासिक वेतन18 हजार किया जाए व उनको एक ही विभाग में रखे जाने सहित विभिन्न मांगे रखी गई. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सरकार की ओर से 27 अक्टूबर तक उनकी मांगे पूरी नहीं की जाती है तो, 28 अक्टूबर से आशा सहयोगिनियों की तरफ से प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा. जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की रहेगी.

दांतारामगढ़ ‌(सीकर). जिले के दांतारामगढ़ ब्लॉक में सोमवार को आशा सहयोगिनियों ने स्थाई कर्मचारी का दर्जा देने की मांग सहित विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी व तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा. राजस्थान आंगनबाड़ी कर्मचारी महासंघ की जिला महामंत्री अलका किनियां ने बताया कि राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य के लिए कम मानदेय पर हजारों की संख्या में आशा सहयोगिनी काम कर रही हैं.

इसके साथ ही कोविड-19 के दौरान भी बिना किसी संसाधन के तकरीबन 55 हजार आशा सहयोगिनी घर-घर जाकर जानकारी जुटाकर चिकित्सा विभाग को दे रही हैं. उन्होंने बताया कि गहलोत सरकार आने से पहले वादा किया गया था कि सभी संविदा कर्मियों व ठेका कर्मियों को स्थाई किया जाएगा. जिसके बाद आज तक सरकार के कार्यकाल के 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी वादा पूरा नहीं किया गया है.

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आशा सहयोगिनियों की ओर से मांग रखी गई है कि उनको स्थाई कर्मचारी का दर्जा दिया जाए. इसके साथ ही न्यूनतम मासिक वेतन18 हजार किया जाए व उनको एक ही विभाग में रखे जाने सहित विभिन्न मांगे रखी गई. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सरकार की ओर से 27 अक्टूबर तक उनकी मांगे पूरी नहीं की जाती है तो, 28 अक्टूबर से आशा सहयोगिनियों की तरफ से प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा. जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की रहेगी.

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