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बुरी खबर: नहीं रहा Tiger T57, 20 दिन से बीमार था 'सिंहस्थ' - नूर के लिए भिड़े थे सिंहस्थ और रॉकी

वन्यजीव प्रेमियों के लिए ये दुखद खबर है. 12 साल के बाघ टी 57 ने मंगलवार को अंतिम सांस ली (T57 passes away). काफी दिनों से इसकी मूवमेंट अस्थिर पाई गई थी इसलिए इसे विगत 20 दिनों से ट्रैंकुलाइज कर उपचार किया जा रहा था. चिकित्सकों के अनुसार मल्टीपल ट्युमर की वजह से टी57 को बचाया नहीं जा सका.

बाघ टी 57 'सिंहस्थ' की मौत
बाघ टी 57 'सिंहस्थ' की मौत
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Published : Jan 11, 2023, 7:25 AM IST

नहीं रहा Tiger

सवाई माधोपुर. मंगलवार को रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बाघ टी 57 'सिंहस्थ' की मौत हो गई (T57 passes away). पिछले 20 दिनों से उसका इलाज किया जा रहा था. उसे बचाने की पूरी कोशिश की गई लेकिन मल्टीपल ट्युमर्स की वजह से बचाया नहीं जा सका (Ranthambore Tiger reserve). बाद में टाइगर के शव को वन विभाग के राजबाग नाका चौकी पर लाया गया जहां पर अधिकारियों और पुलिस प्रशासन के बीच मेडिकल टीम ने पोस्टमार्टम किया. इसके बाद बाघ का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

ट्युमर्स से गई जान- टी57 का इलाज कर रहे पशु चिकित्सकों के मुताबिक बाघ के लीवर में तीन किलो का टयूमर था, उसके स्प्लिन पर भी आधा-आधा किलो के दो ट्यूमर मिले थे. ट्युमर्स को जांच के लिए देहरादून भेजा जाएगा. पोस्टमार्टम के दौरान वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी चन्द्र प्रकाश मीना, चिकित्सक राजीव गर्ग, उपखंड अधिकारी कपिल शर्मा मौजूद थे.

डीएफओ ने सुनाई दुखद खबर- बाघ टी-57 की मौत के बाद वन्यजीव प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई है. रणथम्भौर के डीएफओ संग्राम सिंह ने ये समाचार सुनाया. उन्होंने बताया कि बाघ टी-57 पिछले 20 दिन से बीमार था. वन विभाग ने 20 दिसम्बर को बाघ को ट्रेंकुलाइज किया गया था. जिसके बाद बाघ का उपचार किया गया था.

20 दिन पहले पैर में घाव के साथ मिला था बाघ- 20 दिसंबर को बाघ टी-57 बीट अल्लापुर नाका गुढ़ा में वनक्षेत्र विंध्याकरा खाड़ में लेटा हुआ पाया गया था. जिसके बाद पशु चिकित्साधिकारी ने बाघ को Observe किया. जांच में वो बहुत कमजोर और भूखा दिखा. पाया गया कि उसके आगे के पैर में घाव भी था.

पढ़ें- Ranthambore Tiger Reserve: रणथम्भौर की 'नूर' ने तो सबको चौंका दिया! जानते हैं कैसे?

21 दिसंबर से इलाज शुरू- बाघ की स्थिति देख अंदाजा लगाया गया कि उसे आंतरिक घाव हो सकता है. इन्हीं सब बातों पर ध्यान देते हुए उसके इलाज की प्रक्रिया तुरंत शुरू की गई. बाघ को ट्रेंकुलाइज कर इलाज के लिए रेस्क्यू पिंजरे में रखा गया. दो दिन निगरानी में रखने के बाद बाघ को विचरण क्षेत्र में छोड़ा गया. 3 जनवरी काे ही शाम 7:30 बजे बाघ के विचरण क्षेत्र में बाघ टी-123 का मूवमेंट पाया गया. जिसके बाद टी-57 की सुरक्षा को लेकर एहतियात बरती गई. इस सबके बावजूद बाघ की तबीयत में सुधार नहीं हो पाया.

Ranthambore Tiger reserve
नूर के लिए भिड़े थे सिंहस्थ और रॉकी

पढे़ं- Ranthambore National Park : शावक की मौत, दीवार पर बैठकर घंटों तक निहारती रही मादा लेपर्ड...

सिंहस्थ और रॉकी की फाइट- 2019 में टी57 तब सुर्खियों में आया था जब t58 'रॉकी' से भिड़ते हुए क्लिक हुआ था. दोनों को बाघिन शर्मिली ने जन्म दिया था. ये टेरिटोरियल फाइट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी. फाइट कुंडी क्षेत्र के जोन 6 में हुई थी. वनाधिकारियों ने बताया था कि फाइट से पहले बाघिन नूर भी देखी गई थी इसलिए अंदाजा लगाया गया ये फाइट नूर के लिए ही की गई थी.

नहीं रहा Tiger

सवाई माधोपुर. मंगलवार को रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बाघ टी 57 'सिंहस्थ' की मौत हो गई (T57 passes away). पिछले 20 दिनों से उसका इलाज किया जा रहा था. उसे बचाने की पूरी कोशिश की गई लेकिन मल्टीपल ट्युमर्स की वजह से बचाया नहीं जा सका (Ranthambore Tiger reserve). बाद में टाइगर के शव को वन विभाग के राजबाग नाका चौकी पर लाया गया जहां पर अधिकारियों और पुलिस प्रशासन के बीच मेडिकल टीम ने पोस्टमार्टम किया. इसके बाद बाघ का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

ट्युमर्स से गई जान- टी57 का इलाज कर रहे पशु चिकित्सकों के मुताबिक बाघ के लीवर में तीन किलो का टयूमर था, उसके स्प्लिन पर भी आधा-आधा किलो के दो ट्यूमर मिले थे. ट्युमर्स को जांच के लिए देहरादून भेजा जाएगा. पोस्टमार्टम के दौरान वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी चन्द्र प्रकाश मीना, चिकित्सक राजीव गर्ग, उपखंड अधिकारी कपिल शर्मा मौजूद थे.

डीएफओ ने सुनाई दुखद खबर- बाघ टी-57 की मौत के बाद वन्यजीव प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई है. रणथम्भौर के डीएफओ संग्राम सिंह ने ये समाचार सुनाया. उन्होंने बताया कि बाघ टी-57 पिछले 20 दिन से बीमार था. वन विभाग ने 20 दिसम्बर को बाघ को ट्रेंकुलाइज किया गया था. जिसके बाद बाघ का उपचार किया गया था.

20 दिन पहले पैर में घाव के साथ मिला था बाघ- 20 दिसंबर को बाघ टी-57 बीट अल्लापुर नाका गुढ़ा में वनक्षेत्र विंध्याकरा खाड़ में लेटा हुआ पाया गया था. जिसके बाद पशु चिकित्साधिकारी ने बाघ को Observe किया. जांच में वो बहुत कमजोर और भूखा दिखा. पाया गया कि उसके आगे के पैर में घाव भी था.

पढ़ें- Ranthambore Tiger Reserve: रणथम्भौर की 'नूर' ने तो सबको चौंका दिया! जानते हैं कैसे?

21 दिसंबर से इलाज शुरू- बाघ की स्थिति देख अंदाजा लगाया गया कि उसे आंतरिक घाव हो सकता है. इन्हीं सब बातों पर ध्यान देते हुए उसके इलाज की प्रक्रिया तुरंत शुरू की गई. बाघ को ट्रेंकुलाइज कर इलाज के लिए रेस्क्यू पिंजरे में रखा गया. दो दिन निगरानी में रखने के बाद बाघ को विचरण क्षेत्र में छोड़ा गया. 3 जनवरी काे ही शाम 7:30 बजे बाघ के विचरण क्षेत्र में बाघ टी-123 का मूवमेंट पाया गया. जिसके बाद टी-57 की सुरक्षा को लेकर एहतियात बरती गई. इस सबके बावजूद बाघ की तबीयत में सुधार नहीं हो पाया.

Ranthambore Tiger reserve
नूर के लिए भिड़े थे सिंहस्थ और रॉकी

पढे़ं- Ranthambore National Park : शावक की मौत, दीवार पर बैठकर घंटों तक निहारती रही मादा लेपर्ड...

सिंहस्थ और रॉकी की फाइट- 2019 में टी57 तब सुर्खियों में आया था जब t58 'रॉकी' से भिड़ते हुए क्लिक हुआ था. दोनों को बाघिन शर्मिली ने जन्म दिया था. ये टेरिटोरियल फाइट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी. फाइट कुंडी क्षेत्र के जोन 6 में हुई थी. वनाधिकारियों ने बताया था कि फाइट से पहले बाघिन नूर भी देखी गई थी इसलिए अंदाजा लगाया गया ये फाइट नूर के लिए ही की गई थी.

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