सवाई माधोपुर. रणथंभोर नेशनल पार्क के खंडार वन क्षेत्र में मंगलवार को एक बुजुर्ग व्यक्ति का शव मिला. शव की सूचना मिलने के बाद वन विभाग के अधिकारी घटनास्थल पहुंचे और मामले की जांच की. वनकर्मियों से मिली जानकारी के अनुसार रविवार को रामदयाल माली और गोकुल माली रणथम्भोर के खंडार रेंज के जंगल में गए. दोनों युवकों ने जंगल में ही रात का खाना भी बनाकर खाया. जिसके बाद सोमवार को पूरे दिन दोनों लोगों ने जंगल में जड़ी-बूटी इकट्ठा की.
सोमवार को अंधेरा होने के बाद दोनों लोगों ने यहां खाना बनाया और खाना खाने के बाद दोनों लोग बेरदा वन क्षेत्र में सो गए. मंगलवार सुबह जब गोकुल की नींद खुली तो उसे रामदयाल गायब मिला, जिस पर उसने रामदयाल को आस-पास खोजा तो रामदयाल के फटे कपड़े उसे कुछ दूरी पर मिले. जिसके बाद उसे अनहोनी का अंदेशा हुआ, जिसकी सूचना उसने वन विभाग को दी. जानकारी मिलने पर वन विभाग की टीम ने तलाशी अभियान चलाया.
पढ़ें : रणथंभौर में क्षत-विक्षत हालत में लेपर्ड शावक का मिला शव, पोस्टमार्टम के बाद हुआ अंतिम संस्कार
इस दौरान वन विभाग ने तीन टीमें गठित की और तीनों टीमों को बेरदा वन क्षेत्र में रामदयाल का क्षत-विक्षत शव मिला. जिसके बाद इस घटना की सूचना पुलिस को दी गई. यहां से रामदयाल के शव को खंडारा सीएचसी लाया गया. रणथम्भोर टाइगर रिजर्व प्रथम के DFO मोहित गुप्ता के अनुसार रविवार शाम को दो लोग खंडार के रास्ते अवैध रूप से जंगल में घुस गए थे. इन लोगों ने यहां नाइट स्टे किया.
सोमवार को वन विभाग के कर्मचारियों को गश्त के दौरान गोकुल माली पकड़ा गया. पूछताछ के दौरान गोकुल ने बताया कि उसका एक साथी रामदयाल जंगल में गायब है. जिस पर वन विभाग की टीम सर्च ऑपरेशन चलाया. इस दौरान रामदयाल पुत्र रामनारायण (60) माली का शव मिला. वहीं, वन विभाग की टीम ने गोकुल पुत्र किशन माली को हिरासत में लेकर शव को पोस्टमार्टम के लिए खंडार लाया. जहां पर पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया गया.
जानकारी के मुताबिक खंडारा से बेरदा वन क्षेत्र तक जाने के लिए रणथम्भोर की दो रेंजों से गुजरना पड़ता है. इस दौरान रणथम्भोर की खंडार रेंज, कुंडेरा रेंज पड़ती है. इन्हीं रेंज में गिलाई सागर और अणतपुरा नाका भी पड़ता है. इन नाकों के क्षेत्र में चार वन चौकी आती है. वहीं, अब वन विभाग की ट्रैकिंग पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि दो दिन तक वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों को अवैध घुसपैठ का पता ही नहीं लग सका. जबकि रणथम्भोर में अवैध शिकार के कई मामले सामने आ चुके हैं. वन विभाग ट्रैकिंग को देखकर रणथम्भोर प्रशासन के अवैध शिकार पर रोकथाम लगाने के दावे सिर्फ खोखले साबित होते दिखाई दे रहे हैं.