सवाईमाधोपुर. सीआई फूल मोहम्मद हत्याकांड मामले में आज दोषमुक्त बताए गए लोगों पर सजा को लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी. कोर्ट की तरफ से इस मामले में 30 आरोपियों को दोषी माना गया था. गौरतलब है कि फूल मोहम्मद हत्याकांड की जांच करते हुए सीबीआई ने 89 लोगों को आरोपी माना था. 16 नवंबर को कोर्ट ने इस मामले में 49 आरोपियों को बरी कर दिया था, जिसके बाद आज 30 दोषियों को सजा मिलेगी. इस मामले में 5 आरोपियों की मौत पहले ही हो चुकी है, वहीं दो बाल अपचारी हैं, जिन पर ट्रायल जारी है. साथ ही 3 फरार हैं. यह पूरी घटना 17 मार्च 2011 की है, इसमें 11 साल 8 महीने की लंबी सुनवाई के बाद फैसला आएगा.
यह था सूरवाल कांड का सच- सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय के सूरवाल गांव में 26 फरवरी 2011 को देर रात एक वृद्धा दाखा देवी के कुछ अपराधी तत्वों ने पैर काटकर चांदी के कड़े चोरी कर लिए थे, जिसमें दाखा देवी की मौत हो गई थी. इस पर आक्रोशित सूरवाल गांव के ग्रामीणों और अन्य आसपास के लोगों ने इस घटना का काफी विरोध जताया था। घटना के बाद 14 मार्च को जिला कलेक्ट्रेट के सामने ग्रामीणों और स्थानीय नेताओं की ओर से प्रदर्शन किया गया.
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आग लगाकर टंकी से लगाई थी छलांग- इसमें राजेश मीणा बाडोलास निवासी और बनवारी लाल मीणा खंडार क्षेत्र निवासी ने दाखा देवी के हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर भारी जन आंदोलन किया. दोनों ने दाखा देवी को अपनी मां मानते हुए अपना सर मुंडवा लिया था, जिसके बाद 17 मार्च को यह दोनों बनवारी और राजेश मीणा सूरवाल गांव में वीर सावरकर जलाशय के नाम पर बनी पानी की टंकी के ऊपर चढ़ गए और अपराधियों को गिरफ्तार करने की मांग की. इस पर करीब शाम 5:00 बजे राजेश मीणा ने अपने शरीर पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली और वह टंकी से छलांग लगाते हुए नीचे गिर गया. इस घटना में राजेश की मौत हो गई. उसका साथी बनवारी घटनाक्रम के दौरान मौका पाकर फरार हो गया, जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया.
गाड़ी में जिंदा जल गए थे फूल मोहम्मद- इस बीच पूरे घटनाक्रम के दौरान गुस्साए ग्रामीणों ने मौके पर मौजूद पुलिस बल पर भारी पथराव किया, जिसमें मान टाउन थाना प्रभारी तत्कालीन सीआई फूल मोहम्मद पथराव घायल हो गए. जख्मी हालत में गाड़ी में बैठे फूल मोहम्मद पर इस दौरान लगातार पथराव चलता रहा. इसके बाद कुछ लोगों ने फूल मोहम्मद की पुलिस जीप में आग लगा दी, जिससे फूल मोहम्मद गाड़ी में ही जिंदा जल गए.
सीबीआई ने की मामले की जांच- इस घटनाक्रम की जांच सीआईडी सीबी को सौंपी गई. जिसकी जांच से असंतुष्ट लोगों ने सीबीआई से मामले की जांच कराने की मांग की. इस पर सीबीआई ने सूरवाल कांड की जांच की और मामले में 89 लोगों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया गया. 11 साल 8 महीने की ट्रायल चलने के बाद मामले में दोषी माने गए दो बाल अपचारी, जिनका ट्रायल जारी है समेत 30 लोगों को सजा सुनाई गई. वहीं 49 लोगों को इस मामले में दोषमुक्त माना गया. मामले में तत्कालीन सीओ सिटी महेंद्र सिंह कालबेलिया को भी 302 का अपराधी मानते हुए दोषी माना गया, वहीं तत्कालीन सब इंस्पेक्टर सुमेर सिंह गुर्जर जो कि मानटाउन थाने में घटना के दौरान कार्यरत थे को एडीजे पल्लवी शर्मा ने दोषमुक्त करार दिया, इस मामले की सुनवाई के दौरान 5 लोगों की मौत भी हो गई थी. मामले में 3 लोग अभी फरार हैं.
डीएसपी समेत 30 दोषी- कोर्ट ने डीएसपी महेंद्र सिंह, राधेश्याम पुत्र ब्रजमोहन माली, परमानंद पुत्र रामनिवास, बबलू पुत्र रामनारायण, पृथ्वीराज, रामचरण, चिरंजीलाल, शेर सिंह, हरजी, रमेश मीणा पुत्र प्रहलाद, कालू पुत्र कोरिया, बजरंगा खटीक,मुरारी मीणा, चतुर्भुज मीणा, बनवारी पुत्र जगन्नाथ, रामकरण पुत्र हजारी, हंसराज उर्फ हंसा पुत्र रामकुमार, शंकर माली पुत्र कन्हैया, बनवारी लाल मीणा,धर्मेंद्र मीणा पुत्र सुरेश कुमार मीणा, योगेंद्र नाथ, बृजेश हनुमान पुत्र कन्हैया, रामजीलाल माखन सिंह, रामभरोसी मीणा, मोहन माली, मुकेश माली और श्यामलाल को दोषी माना है.