राजसमंद. कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान तंबाकू, गुटके और शराब की दुकानें बंद रहने से इन उत्पादों की कालाबाजारी में बढ़ोतरी हुई और गुपचुप तरीके से इसे सप्लाई किए जाने लगा. वहीं, लॉकडाउन के दौरान गुटका तंबाकू की दुकानें नहीं खुलने से एक सकारात्मक प्रभाव भी निकल कर सामने आया है.
जानकार बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले, जो लोग तंबाकू और गुटके का अधिक इस्तेमाल करते थे. उन्होंने अपनी तलब को शांत करने के लिए अन्य खाद्य पदार्थ का उपयोग करना शुरू किया. जिससे उन्हें तंबाकू और गुटके के सेवन से छुटकारा मिलता हुआ नजर आ रहा है.
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तंबाकू का सेवन करने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि लॉकडाउन के पहले वे दिन भर में करीब 4 से 5 पैकेट तंबाकू का सेवन किया करता था. लेकिन लॉकडाउन लागू होने के बाद बाजार में तंबाकू नहीं मिल पा रहा था. ऐसे में खाना खाने के बाद उन्होंने सौंफ और इलायची का उपयोग शुरू किया. जिससे अब उन्हें तंबाकू की लत से छुटकारा मिलता हुआ दिखाई दे रहा है.
वहीं, एक दूसरे शख्स ने बताया कि लॉकडाउन के पहले रोजाना वो 10 से 12 पैकेट तंबाकू का उपयोग करता था. लेकिन अब तलब लगने पर वो च्विंगम या सौंफ खा लेते हैं. पीएमओ डॉ. ललित पुरोहित ने बताया कि लॉकडाउन के कारण पान गुटखा नहीं मिलने से जो लोग इसका अधिक मात्रा में सेवन करते थे, उनमें गिरावट आई है.
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क्योंकि जो व्यक्ति हर रोज 5 से 10 पैकेट गुटके का सेवन करते थे. वह अब एक या दो पर आ गए हैं. कुछ लोगों को तंबाकू नहीं मिलने के कारण अब उनकी आदत धीरे-धीरे छूटने लगी है. उन्होंने बताया कि यह अच्छा समय है इस आदत को छोड़ने का. उन्होंने बताया कि इसमें दिक्कत जरूर आ रही होगी. लेकिन तंबाकू का प्रयोग करने वाला व्यक्ति इसकी जगह सौंफ या कोई अन्य चीजें खा सकता है.
पीएमओ डॉ. ललित पुरोहित ने बताया कि तंबाकू और गुटके का सेवन करने वाले लोगों को इसे छोड़ने में तकलीफ होती है. तंबाकू का प्रयोग जो जिस मात्रा में करता है, इसे छोड़ने में उसे उतनी तकलीफ होती है. जिसका मेडिकल ट्रीटमेंट किया जा सकता है. इस वक्त पान मसाला और तंबाकू नहीं मिलने से काफी लोगों ने इसके सेवन को छोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि इन दुकानों को ज्यादा समय तक बंद रखना चाहिए, जिससे लोगों में और सुधार हो सके.