राजसमंद. देशभर में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जा रहा है. ईटीवी भारत आज आपको एक ऐसे शिक्षक की कहानी से रूबरू करवा रहा है, जिन्होंने समाज को बदलने में और बच्चों को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वैसे तो शिक्षक बच्चों को निखार कर उनकी प्रतिभा को देखते हुए उनका मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें अच्छी शिक्षा देकर ऊंचाइयों पर पहुंचा देते हैं.
लेकिन एक शिक्षक अगर अपने मन में ठान लें तो स्कूल की तकदीर और तस्वीर को किस प्रकार बदल सकता है, इसका उदाहरण राजसमंद जिले के लवाणा स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शारीरिक शिक्षक मनोज हाड़ा हैं. शारीरिक शिक्षक मनोज हाड़ा स्कूल में छात्रों की प्रतिभा को देखते हुए स्कूल में भामाशाह के रूप में लाखों रुपए खर्च कर स्कूल की हर छोटी-छोटी आवश्यकताओं को पूरा किया है.
स्कूल अपने आप में आदर्श है...
राजसमंद जिले का लवाणा स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय अपने आप में आदर्श है क्योंकि स्कूल में सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध है. स्कूल में शारीरिक शिक्षक मनोज के साथ स्कूल स्टाफ और गांव वालों की सहयोग से यहां आधुनिक सुविधा युक्त फैसिलिटी छात्र-छात्राओं को दी जाती है. यही वजह है कि स्कूल के दर्जनों खिलाड़ियों का चयन राज्य में राष्ट्रीय स्तर पर खेलकूद प्रतियोगिता में हुआ है.
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ये टीमें राष्ट्रीय स्तर पर अपना लोहा आजमा चुकी हैं...
वर्तमान में स्कूल में हॉकी, फुटबॉल, वॉलीबॉल और बैडमिंटन की टीमें है, जो ना सिर्फ जिलेभर बल्कि प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर अपना लोहा आजमा चुकी हैं. शिक्षक मनोज ने बताया कि स्कूल के मुख्य द्वार पर सौर ऊर्जा प्लांट, बैडमिंटन कोर्ट सहित अन्य सुविधाएं विकसित की. स्कूल में बगीचे से लेकर पंखे, एलईडी, फर्नीचर और कूलर आदि की समुचित व्यवस्था भी की गई है.
शारीरिक शिक्षक मनोज हाड़ा ने बताया कि स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के प्रोत्साहन करने के लिए अपने स्तर पर पूरे खेल में सामग्री खरीदी. फुटबॉल गेम के लिए ग्राउंड तैयार करवाया गया. उन्होंने बताया कि हाल ही में लाखों रुपए की लागत से बैडमिंटन कोर्ट भी बनवाया है. स्कूल में छात्र-छात्राओं के लिए पीने के पानी की स्थाई समाधान करते हुए मोटर पाइप लाइन डलवाई गई.
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हाड़ा ने बताया कि विद्यालय के कमरों का रंग-रोगन सहित सेंसर युक्त शौचालय भी बनवाया गया है. यही वजह है कि अब इस विद्यालय की चर्चा अपने आप पर लोगों की जुबान पर है. खास बात यह है कि आज प्राइवेट स्कूल की तुलना में लोग इस स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाना काफी पसंद कर रहे हैं.
गौरतलब है कि मनोज हाड़ा इससे पहले राष्ट्रीय स्तर तक फुटबॉल खेल चुके हैं. उन्होंने बताया कि जब एक गेम खेलते थे तो कई सुविधाओं का अभाव रहता था. उन अभाव को देखते हुए वर्तमान परिदृश्य में युवाओं को इन समस्याओं से ना गुजरना पड़े, इसके लिए उन्होंने अपनी जेब से पैसे खर्च करते हुए स्कूल में छात्र-छात्राओं के लिए कई सुविधाएं उपलब्ध करवाई.
शिक्षक मनोज हाड़ा क्षेत्र के लिए नजीर
वहीं, स्कूल के लिए अपने प्रयासों से मनोज हाड़ा क्षेत्र में एक नजीर बन चुके हैं. मनोज इस विकास का श्रेय स्कूल स्टाफ और गांववासियों को देते हैं. उनका मानना है कि सबके साथ मिलकर ही विकास हो पाता है. ईटीवी भारत भी इनके जज्बे को सलाम करता है कि बदलते भारत में इन्होंने जो लकीर खींची हैं उसे आने वाले समय में कई लोग प्रभावित होंगे और बदलते समाज को एक दिशा देने का काम करेंगे.