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विश्व प्रकृति दिवस पर पिपलांत्री में हुई संगोष्ठी, श्याम सुंदर पालीवाल ने की पिपलांत्री मॉडल को जन-जन तक पहुंचाने की अपील

विश्व प्रकृति दिवस पर पिपलांत्री में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता श्याम सुंदर पालीवाल (Shyam Sundar Paliwal) ने की. इस मौके पर श्याम सुंदर पालीवाल ने प्रकृति संरक्षण की अपील की है.

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पिपलांत्री में हुई संगोष्ठी
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Published : Oct 3, 2021, 7:39 PM IST

देवगढ़ (राजसमंद). विश्व प्रकृति दिवस पर पिपलांत्री में पदमश्री सम्मानित श्याम सुंदर पालीवाल अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी में जयपुर-बांसवाड़ा-कुंभलगढ़-रेलमगरा में राजसमंद से पधारे प्रकृति प्रेमियों ने भाग लिया.

इस अवसर पर श्याम सुंदर पालीवाल ने सरपंच और वार्ड पंचों के दल सहित प्रकृति प्रेमियों से विचार व्यक्त किया. जिसमें उन्होंने कहा कि पर्यटन, देश और राज्यों के विकास सूचकांक की दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण प्रकल्प है. वैश्विक महामारी कोरोना की प्रथम और दूसरी घातक लहर के कहर ने पर्यटन उद्योग को भारी आघात पहुंचाया है. आज विश्व प्रकृति दिवस पर संकल्प लेने की जरूरत है कि हम प्रकृति के संरक्षण के लिए हरसंभव स्वयं उदाहरण बने और प्रकृति रक्षक की भूमिका निभाएं. पिपलांत्री मॉडल को जन-जन तक पहुंचाएं.

यह भी पढ़ें. धौलपुर : जिला कांग्रेस में खींचतान..जितेंद्र सिंह ने लिया फीडबैक, विधायक रोहित बोहरा ने 'अपनों' पर साधा निशाना

मेवाड़ अंचल के राजसमंद उदयपुर व सिरोही जिला क्षेत्रों में जिला में उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर और सिरोही क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से उद्गम होकर कृषि जल और पेयजल आपूर्ति कर रही है.

देवगढ़ (राजसमंद). विश्व प्रकृति दिवस पर पिपलांत्री में पदमश्री सम्मानित श्याम सुंदर पालीवाल अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी में जयपुर-बांसवाड़ा-कुंभलगढ़-रेलमगरा में राजसमंद से पधारे प्रकृति प्रेमियों ने भाग लिया.

इस अवसर पर श्याम सुंदर पालीवाल ने सरपंच और वार्ड पंचों के दल सहित प्रकृति प्रेमियों से विचार व्यक्त किया. जिसमें उन्होंने कहा कि पर्यटन, देश और राज्यों के विकास सूचकांक की दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण प्रकल्प है. वैश्विक महामारी कोरोना की प्रथम और दूसरी घातक लहर के कहर ने पर्यटन उद्योग को भारी आघात पहुंचाया है. आज विश्व प्रकृति दिवस पर संकल्प लेने की जरूरत है कि हम प्रकृति के संरक्षण के लिए हरसंभव स्वयं उदाहरण बने और प्रकृति रक्षक की भूमिका निभाएं. पिपलांत्री मॉडल को जन-जन तक पहुंचाएं.

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