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रेड अलर्ट : राजसमंद 'रियलिटी चैक' में पुलिस तो मुस्तैद, लेकिन वाहन चालक बेखौफ...5 साल में हो चुकी है 1,335 लोगों की मौत - राजसमंद में सड़क हादसे

देश में सड़क हादसे लगातार बढ़ते जा रहे हैं. नियमों की अनदेखी के चलते होने वाले हादसों में आम व्यक्ति मौत के आगोश में समा रहा है. इन्हीं हादसों के मद्देनजर केन्द्र सरकार नया संधोधित मोटर व्हीकल एक्ट लेकर आई है. लेकिन इस स्पेशल स्टोरी में हम एक्ट पर बात नहीं करेंगे. हमने रियलिटी चैक की उन चौराहों की, उन ट्रैफिक रेड अलर्ट की जहां ट्रैफिक नियमों की अनदेखी लोग तो कर ही रहे हैं साथ ही पुलिस कितनी सतर्क है, ये भी दिखाएंगे.

Red Alert Reality Check, राजसमंद में रियलिटी चैक
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Published : Sep 16, 2019, 10:54 PM IST

राजसमंद. ईटीवी भारत की टीम ने भी राजसमंद जिला मुख्यालय के सभी प्रमुख चौराहों का रियलिटी चैक किया. सबसे पहले हमारी टीम शहर के मुख्य जल चक्की तिराहे पर पहुंची. ये शहर का एकमात्र ट्रैफिक लाइट वाला पॉइंट है. मौके पर लोग बत्ती का पालना करते हुए तो दिखाई दिए. लेकिन हेलमेट बहुत ही कम लोगों ने पहन रखा था. जल चक्की तिराहे पर लगी यह बत्ती अधिकांश समय खराब ही दिखाई देती है. ऐसे में वहां तैनात पुलिसकर्मी मैन्युल तरीके से ही यातायात संभालते हैं.

ट्रैफिक पुलिस मुस्तैद लेकिन लोग बेखौफ

इसके बाद शहर के टीवीएस चौराहे पर हमने पाया कि वहां किसी भी प्रकार के ट्रैफिक पुलिस व्यवस्था नहीं दिखी. लोग मनमाने ढंग से अपने गंतव्य की ओर जाते दिखे. जिला मुख्यालय के प्रमुख चौराहों मुखर्जी चौराहा, विवेकानंद चौराहा, गौ माता चौराहा, फव्वारा चौक, जेके मोड़ चौराहा, इन सभी चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस के जवान तैनात दिखाई दिए. लेकिन रूल तोड़ने वालों की भी कमी नहीं दिखी. पुलिस वालों ने हमारे सामने ही हेलमेट नहीं पहनने वालों और ट्रिपल राइडिंग वालों का चालान काटा.

रेड अलर्ट : राजसमंद में 35 'डेथ पॉइंट', 5 साल में 1335 की मौत

यहां हमने एक बात नोट की, वाहन चलाते समय लोग छोटी-छोटी बातों की ओर ध्यान नहीं दे रहे. ये पता होने के बावजूद कि जरा सी अनदेखी उनको भारी पड़ सकती है. शहर के कुछ मुख्य चौराहों पर हमने देखा कि पुलिस के सामने ही लोग बिना हेलमेट के छुपकर निकल रहे थे. ये नजारा हमने एक पेट्रोल पंप के पास देखा. इन्ही अनदेखियों के चलते ही राजसमंद जिले में सड़क हदासों से सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. शहर की मुख्य सड़कों पर आवार पशुओं का जमावड़ा भी रियलटी चैक में नजर आया.

पढ़ेंः बेरोजगारी के कारण ही रेप और डकैती की घटनाएं बढ़ रही हैं: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

चालान काटने के आंकड़े

अब आंकड़ों से समझते हैं, राजसमंद जिले में अधिकतर चालान तेज गति वाहन चलाने वालों के काटे गए. जिसमें करीब 2018 अगस्त तक 1977 चालान तेज गती से वाहन चलाने वाले, 1015 बिना हेलमेट वाले, 215 बिना सीट बेल्ट लगाने वाले, नशे में वाहन चलाने वालों के 339 चालान बनाए गए. इसके अलावा अन्य नियमों को तोड़ने के मद में अबतक कुल 17 हजार 508 चालान काटे गए.

साल 2019 की बात करें तो अगस्त माह तक सबसे ज्यादा चालान 2822 तेज गति वाहन चलाने वालों के बनाए गए. बिना हेलमेट के 1014 चालान, बिना सीट बेल्ट वालों के 528 चालान, नशे में वाहन चलाने वालों के 862 चालान बनाए गए. अगस्त माह तक अन्य नियमों के उल्लंघन के अबतक 20355 चालान बनाए चा चुके हैं. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिले में ओवर स्पीड और बिना हेलमेट के सबसे ज्यादा चालान काटे गए हैं.

पढ़ेंः EXCLUSIVE: परों से नहीं हौसले से उड़ेंगे चित्रसेन, करेंगे माउंट किलिमंजारो की कठिन चढ़ाई

राजसमंद के 'डेथ पॉइंट'

अब बात करते हैं जिलेभर में के 'डेथ पॉइंट' की. वो पॉइंट जहां आए दिन हादसे होते रहते हैं. जिलेभर में ऐसी 35 जगहें चिन्हित की गई हैं. इनमें जेके सर्किल, कांकरोली, देसूरी की नाल पंजाब मोड़, लाल मादड़ी, मोही फाटक, खंडेल गांव खंडेल चौराहा प्रमुख हैं.

हादसों के आंकड़े
राजसमंद जिले में पिछले 5 सालों के सड़क हादसों पर नजर डाले तों 2013 में 532 सड़क दुर्घटनाएं हुई. जिसमें 228 लोगों की अकाल मौत हुई. जबकि 854 लोग घायल हो गए. वहीं 2014 में 507 दुर्घटनाएं घटित हुई, जिसमें मरने वालों की संख्या 203 जबकि 758 घायलों की रही. 2015 में 407 सड़क दुर्घटनाएं घटित हुई, जिसमें 189 लोगों की मृत्यु हो गई जबकि 508 लोग घायल हो गए.

पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्टः जब प्रस्ताव हुए फेल तो जुगाड़ से किया गया रेस्क्यू...तीन दिन से बाढ़ में फंसे थे स्कूली बच्चों समेत 254 लोग

2016 में 504 सड़क हादसे हुए जिसमें 271 लोगों की मौत और 661 लोग घायल हुए. वहीं 2017 में 489 सड़क हादसों में 238 लोगों की जान गई और 590 लोग घायल हुए. साल 2018 कुल 544 दुर्घटनाओं में 258 लोगों की मौत हुई, जबकि 733 लोग घायल हुए. वहीं 2019 अगस्त तक जिले में 367 दुर्घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिनमें 176 लोग अभी तक मारे जा चुके हैं. और 407 लोग घायल.

सबक लेना जरूरी

इतने सड़क हादसों के बावजूद भी लोग सबक नहीं ले रहे. ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं कर रहे. कानून की सख्ती के बावजूद हादसों में कमी नहीं आई है. जिससे साफ होता है कि आम लोगों को जागरूक होना पड़ेगा. उनको समझना होगा कि जरा सी चूक आपकी जान ले सकती है. ईटीवी भारत अपनी इस मुहिम के जरिए आपसे अपील करता है. कि ट्रैफिक नियमों का पालन जरुर करें. ये आपकी सुरक्षा का नहीं, आपके अपनों की सुरक्षा का सवाल है. ब्यूरो रिपोर्ट राजसमंद

राजसमंद. ईटीवी भारत की टीम ने भी राजसमंद जिला मुख्यालय के सभी प्रमुख चौराहों का रियलिटी चैक किया. सबसे पहले हमारी टीम शहर के मुख्य जल चक्की तिराहे पर पहुंची. ये शहर का एकमात्र ट्रैफिक लाइट वाला पॉइंट है. मौके पर लोग बत्ती का पालना करते हुए तो दिखाई दिए. लेकिन हेलमेट बहुत ही कम लोगों ने पहन रखा था. जल चक्की तिराहे पर लगी यह बत्ती अधिकांश समय खराब ही दिखाई देती है. ऐसे में वहां तैनात पुलिसकर्मी मैन्युल तरीके से ही यातायात संभालते हैं.

ट्रैफिक पुलिस मुस्तैद लेकिन लोग बेखौफ

इसके बाद शहर के टीवीएस चौराहे पर हमने पाया कि वहां किसी भी प्रकार के ट्रैफिक पुलिस व्यवस्था नहीं दिखी. लोग मनमाने ढंग से अपने गंतव्य की ओर जाते दिखे. जिला मुख्यालय के प्रमुख चौराहों मुखर्जी चौराहा, विवेकानंद चौराहा, गौ माता चौराहा, फव्वारा चौक, जेके मोड़ चौराहा, इन सभी चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस के जवान तैनात दिखाई दिए. लेकिन रूल तोड़ने वालों की भी कमी नहीं दिखी. पुलिस वालों ने हमारे सामने ही हेलमेट नहीं पहनने वालों और ट्रिपल राइडिंग वालों का चालान काटा.

रेड अलर्ट : राजसमंद में 35 'डेथ पॉइंट', 5 साल में 1335 की मौत

यहां हमने एक बात नोट की, वाहन चलाते समय लोग छोटी-छोटी बातों की ओर ध्यान नहीं दे रहे. ये पता होने के बावजूद कि जरा सी अनदेखी उनको भारी पड़ सकती है. शहर के कुछ मुख्य चौराहों पर हमने देखा कि पुलिस के सामने ही लोग बिना हेलमेट के छुपकर निकल रहे थे. ये नजारा हमने एक पेट्रोल पंप के पास देखा. इन्ही अनदेखियों के चलते ही राजसमंद जिले में सड़क हदासों से सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. शहर की मुख्य सड़कों पर आवार पशुओं का जमावड़ा भी रियलटी चैक में नजर आया.

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चालान काटने के आंकड़े

अब आंकड़ों से समझते हैं, राजसमंद जिले में अधिकतर चालान तेज गति वाहन चलाने वालों के काटे गए. जिसमें करीब 2018 अगस्त तक 1977 चालान तेज गती से वाहन चलाने वाले, 1015 बिना हेलमेट वाले, 215 बिना सीट बेल्ट लगाने वाले, नशे में वाहन चलाने वालों के 339 चालान बनाए गए. इसके अलावा अन्य नियमों को तोड़ने के मद में अबतक कुल 17 हजार 508 चालान काटे गए.

साल 2019 की बात करें तो अगस्त माह तक सबसे ज्यादा चालान 2822 तेज गति वाहन चलाने वालों के बनाए गए. बिना हेलमेट के 1014 चालान, बिना सीट बेल्ट वालों के 528 चालान, नशे में वाहन चलाने वालों के 862 चालान बनाए गए. अगस्त माह तक अन्य नियमों के उल्लंघन के अबतक 20355 चालान बनाए चा चुके हैं. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिले में ओवर स्पीड और बिना हेलमेट के सबसे ज्यादा चालान काटे गए हैं.

पढ़ेंः EXCLUSIVE: परों से नहीं हौसले से उड़ेंगे चित्रसेन, करेंगे माउंट किलिमंजारो की कठिन चढ़ाई

राजसमंद के 'डेथ पॉइंट'

अब बात करते हैं जिलेभर में के 'डेथ पॉइंट' की. वो पॉइंट जहां आए दिन हादसे होते रहते हैं. जिलेभर में ऐसी 35 जगहें चिन्हित की गई हैं. इनमें जेके सर्किल, कांकरोली, देसूरी की नाल पंजाब मोड़, लाल मादड़ी, मोही फाटक, खंडेल गांव खंडेल चौराहा प्रमुख हैं.

हादसों के आंकड़े
राजसमंद जिले में पिछले 5 सालों के सड़क हादसों पर नजर डाले तों 2013 में 532 सड़क दुर्घटनाएं हुई. जिसमें 228 लोगों की अकाल मौत हुई. जबकि 854 लोग घायल हो गए. वहीं 2014 में 507 दुर्घटनाएं घटित हुई, जिसमें मरने वालों की संख्या 203 जबकि 758 घायलों की रही. 2015 में 407 सड़क दुर्घटनाएं घटित हुई, जिसमें 189 लोगों की मृत्यु हो गई जबकि 508 लोग घायल हो गए.

पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्टः जब प्रस्ताव हुए फेल तो जुगाड़ से किया गया रेस्क्यू...तीन दिन से बाढ़ में फंसे थे स्कूली बच्चों समेत 254 लोग

2016 में 504 सड़क हादसे हुए जिसमें 271 लोगों की मौत और 661 लोग घायल हुए. वहीं 2017 में 489 सड़क हादसों में 238 लोगों की जान गई और 590 लोग घायल हुए. साल 2018 कुल 544 दुर्घटनाओं में 258 लोगों की मौत हुई, जबकि 733 लोग घायल हुए. वहीं 2019 अगस्त तक जिले में 367 दुर्घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिनमें 176 लोग अभी तक मारे जा चुके हैं. और 407 लोग घायल.

सबक लेना जरूरी

इतने सड़क हादसों के बावजूद भी लोग सबक नहीं ले रहे. ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं कर रहे. कानून की सख्ती के बावजूद हादसों में कमी नहीं आई है. जिससे साफ होता है कि आम लोगों को जागरूक होना पड़ेगा. उनको समझना होगा कि जरा सी चूक आपकी जान ले सकती है. ईटीवी भारत अपनी इस मुहिम के जरिए आपसे अपील करता है. कि ट्रैफिक नियमों का पालन जरुर करें. ये आपकी सुरक्षा का नहीं, आपके अपनों की सुरक्षा का सवाल है. ब्यूरो रिपोर्ट राजसमंद

Intro:राजसमंद- जहां एक और लगातार बढ़ते हादसों के ग्राफ में आए दिन बढ़ोतरी हो रही है.जिससे जहां एक और आम व्यक्ति हादसों में मौत के आगोश में समाहित हो रहा है. वही ईटीवी भारत की टीम ने भी आज राजस्थान के राजसमंद जिला मुख्यालय के सभी प्रमुख चौराहों का रियलिटी टेस्ट किया. जानने की कोशिश की वास्तव में क्या स्थिति है. इन प्रमुख चौराहों की ईटीवी भारत की टीम शहर के मुख्य जल चक्की तिराहे पर पहुंची.जहां एकमात्र शहर की बत्ती लगा पॉइंट है. जहां लोग बत्ती के पालना करते हुए दिखाई दिए.लेकिन जल चक्की तिराहे पर लगी यह बत्ती अधिकांश समय खराब ही दिखाई देती है.


Body: वहीं इसके अलावा शहर के टीवीएस चौराहे पर भी ईटीवी भारत की टीम पहुंची वहां पर भी किसी प्रकार के ट्रैफिक पुलिस की व्यवस्था नहीं दिखाई दी. अगर जिला मुख्यालय के प्रमुख चौराहों की बात की जाए. मुखर्जी चौराहा, विवेकानंद चौराया, गौ माता चौराहा, फवारा चौक, जेके मोड़ चौराया, इन सभी चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस के जवान तैनात दिखाई दिए. वहीं सभी चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस द्वारा चालान बनाए जा रहे हैं.जिसमें हेलमेट नहीं पहनने वालों पर बाइक पर ट्रिपल राइडिंग गाड़ी पर नाम अन्य लिखवाए इन सभी को चालान बनाया जा रहा है.
लेकिन इसके बावजूद भी आम व्यक्ति अभी तक भी वाहन चलाते समय इन छोटी-छोटी बातों की ओर ध्यान नहीं दे रहा. जिस कारण आए दिन हादसे होते रहते हैं.
अगर पिछले वर्ष भर के बनाए गए चालान पर नजर डालें तो राजसमंद जिले में अधिकतर चालान तेज गति के बनाए गए. जिसमें करीब 2018 के अगस्त तक 1977 चालान बनाए गए. वही बिना हेलमेट के 1015 इनके अलावा शील्ड बेल के 215 नशे मैं वाहन चलाने वालों के 339 चालान बनाए गए. वहीं इनके अलावा कुल मिलाकर 17508 चालान 2018 में रूल तोड़ने वालों के खिलाफ अगस्त तक बनाए गए थे. लेकिन उसके बावजूद भी इसका असर नहीं देखने को मिला बात अगर 2019 की करें तो 2019 अगस्त तक सबसे ज्यादा चालान तेज गति के बनाए गए. जिसमें 2822 चालान बनाए गए.इसके अलावा बिना हेलमेट के 1014 चालान बनाए गए.सीट बेल्ट नहीं पहनने वालों के खिलाफ 528 साल मनाएंगे. वही नशा कर कर वाहन चलाने वालों के 862 चालान बनाए गए. इनके अलावा अन्य चलाना को मिला लिया जाए तो कुल मिलाकर 184355 चालान बनाए गए. वही नजर डालकर देखा जाए.तो दो हजार अट्ठारह उन्नीस में सबसे ज्यादा चालान तेज गति से वाहन चलाने वाले और इसके बाद बिना हेलमेट पहनने वालों का बनाया गया. वही जिले भर के डेथ पॉइंट के बात करें तो जिलेभर में 35 जगह चिन्हित किए गए ब्लैक स्पोर्ट्स है.


Conclusion:वहीं अगर बात करें पिछले 5 सालों के हादसों पर नजर डाले तो 2013 में 532 दुर्घटनाएं हुई. जिसमें 228 लोगों की मौत हो गई. जबकि 854 लोग घायल हो गए. वहीं अगर 2014 पर नजर डाली जाए. तो राजसमंद जिले में 507 दुर्घटनाएं घटित हुई. जिसमें 203 लोगों की मौत हो गई.जबकि 758 घायल. वही 2015 पर नजर डाले तो 2015 में 407 दुर्घटनाएं घटित हुई. जिसमें 189 लोगों की मृत्यु हो गई.वहीं 508 लोग घायल हो गए. 2016 में 504 लोगों की दुर्घटनाएं घटित हुई.जिसमें 271 लोगों की मौत हो गई. जबकि 661 लोग घायल हो गए. वहीं 2017 में 489 लोग दुर्घटना से गठित हुए. वही 238 लोगों की मृत्यु हुई. जबकि 590 लोग घायल हुए. 2018 की बात करें.तो राजसमंद जिले में 544 दुर्घटनाएं घटित हुई. जिनमें 258 लोगों की मौत हुई. जबकि 733 लोग घायल हुए.वही 2019 की बात करें तो 2019 अगस्त तक राजसमंद जिले में 367 दुर्घटनाएं घटित हुई. जिसमें 176 लोगों की मौत हुई.जबकि 407 लोग घायल हुए. लेकिन इसके बावजूद भी आम लोग ट्राफिक नियमों का पालन नहीं कर रहे. जिसको लेकर जहां एक और केंद्र सरकार ने वर्तमान में नया मोटर व्हीकल एक्ट में 10% जुर्माना राशि में बढ़ोतरी की है. वर्तमान में राजस्थान में लागू नहीं किया गया है. लेकिन इसके बावजूद भी सड़क हादसों में कोई कमी नहीं आ रही. वही राजसमंद जिला मुख्यालय के सभी सड़क मार्गों की एक प्रमुख दुर्घटनाओं का कारण यह भी है. यहां आवारा पशु सड़कों पर झुंड बनाकर घूमते हैं. जिसमें टू व्हीलर फोर व्हीलर चालकों को परेशानी होती है.और आए दिन हादसे घटित होते हैं. वही ईटीवी भारत भी आपसे अपील करता है. कि आप भी ट्रैफिक नियमों का पालन करें.क्योंकि आपकी जिंदगी आपके अलावा आपके परिवार के लिए भी कीमती है.छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप अपने जीवन को सुरक्षित बना सकते हैं.
बाइट- एएसआई नर्मदा शंकर
बाइट- ट्रैफिक पुलिस लक्ष्मण सिंह
बाइट- आम आदमी दो
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