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अलविदा 2019: राजसमंद में सियासत का मिजाज कुछ यूं रहा इस साल

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Published : Dec 30, 2019, 7:00 PM IST

राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो साल 2019 राजसमंद जिले के लिए खास रहा है. एक ओर जहां राजघराने की राजकुमारी दीया कुमारी ने लोकतंत्र के गलियारों से होकर संसद तक का सफर तय किया तो वहीं दूसरी ओर विधानसभा चुनावों में बीजेपी के प्रत्याशी को हराकर विधानसभा तक पहुंचने वाले कांग्रेस के कद्दावर नेता सीपी जोशी को राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष के रुप में चुना गया.

Politics in Rajsamand, Rajsamand in year 2019
राजसमंद में सियासत का मिजाज कुछ यूं रहा

राजसमंद. जिले में साल 2019 के दौरान ऐसे कई राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिले हैं. जिसमें पहले स्थान पर विधानसभा चुनावों का रोमांच रहा. विधानसभा चुनावों के नतीजों ने दोनों दल भाजपा और कांग्रेस की झोली में बगैर कोई भेदभाव के 2-2 सीटें उनकी झोली में डाल दीं.

राजसमंद में सियासत का मिजाज कुछ यूं रहा

विधानसभा चुनाव में ऐसा रहा परिणाम
साल 2019 के शुरूआत में जहां राजस्थान विधानसभा चुनाव पूरे प्रदेश में अपने पूरे शबाब पर थे. इसी भी सबकी निगाहें टिकी हुई थी. मेवाड़ के बीचो बीच बसे राजसमंद जिले पर. जहां चार विधानसभाओं पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की ही साख दांव पर थी. दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने यहां चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी.

पढ़ें- हाल-ए-2019: सियासी रस्साकशी, शह-मात का खूब चला खेल

नाथद्वारा से विजयी सीपी जोशी
नाथद्वारा विधानसभा की यहां से कांग्रेस पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी जोशी को टिकट देकर मैदान में उतारा. 10 साल के वनवास के बाद डॉ. सीपी जोशी फिर से मैदान में थे. इसी बीच कांग्रेस के महेश प्रताप सिंह ने भाजपा का दामन थामा और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई और उन्हें टिकट देकर सीपी जोशी के सामने मैदान में उतार दिया. इस बीच एक बात गौर करने वाली है कि ये वही महेश प्रताप सिंह है, जो सीपी जोशी के खास लोगों में शुमार थे. महेश प्रताप सिंह का नाम भाजपा में आने के बाद भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने इसका विरोध भी किया, लेकिन उन नेताओं का विरोध जरा भी भी टिक नहीं पाया. नतीजों में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी जोशी ने नाथद्वारा विधानसभा से जीत दर्ज की और अपने प्रतिद्वंदी को करीब 16940 वोटों से शिकस्त दी. इसके बाद फिर राजस्थान में एक बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की और सत्ता पर काबिज हुई इस बीच सबकी निगाहें डॉ सीपी जोशी पट्टी की हुई थी कि उन्होंने इस बार कौन सा पद दिया जाता है. कई चर्चाओं के बाद उन्हें राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के लिए कांग्रेस पार्टी ने उनका नाम आगे किया और वे राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष बने.

राजसमंद विधानसभा सीट से फिर किरण माहेश्वरी
यह सीट भी अपने आप में दिलचस्प कही जा सकती है. क्योंकि यहां से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार में कैबिनेट मंत्री रही किरण माहेश्वरी को भाजपा ने मैदान में उतारा. दो बार लगातार चुनाव जीत चुकी किरण माहेश्वरी इस बार तीसरी बार मैदान में थी. कांग्रेस ने इनके सामने पूर्व जिला प्रमुख नारायण सिंह भाटी को टिकट देकर मैदान में उतारा, लेकिन भाटी किरण माहेश्वरी के सामने टिक नहीं पाए और किरण माहेश्वरी ने करीब 24623 वोटों से जीत दर्ज कर तीसरी बार लगातार विधानसभा पहुंचे.

पढ़ें- अलविदा 2019: सत्ता में रहने के बावजूद विपक्ष की तरह सड़कों पर ही उतरी रही कांग्रेस

कुंभलगढ़ विधानसभा सीट पर सुरेंद्र सिंह राठौड़ जीते
इस सीट पर भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़ पर विश्वास जताते हुए उन्हें मैदान में उतारा. तो कांग्रेस ने उनके सामने पूर्व विधायक गणेश सिंह परमार को मैदान में उतारा, लेकिन वे सुरेंद्र सिंह के सामने टिक नहीं पाए और सुरेंद्र सिंह जीत दर्ज की

भीम विधानसभा सीट पर सुदर्शन सिंह जीते
यहां से कांग्रेस पार्टी ने युवा नेता और राजस्थान सरकार में पूर्व गृह मंत्री रहे लक्ष्मण सिंह रावत के पुत्र सुरदर्शन सिंह को मैदान में उतारा, उनके सामने भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक हरि सिंह रावत को मैदान में उतारा, लेकिन हरिसिंह इस बार सफल नहीं हो पाए सुरदर्शन सिंह के सामने और सुदर्शन सिंह ने जीत दर्ज करते हुए पहली बार विधानसभा पहुंचे.

पढ़ें- अलविदा 2019ः कांग्रेस सत्ता-संगठन के बीच साल भर रही खींचतान

लोकसभा आम चुनाव 2019 का देशभर में शंखनाद हुआ
इस बीच सबकी निगाहें राजसमंद लोकसभा सीट पर टिकी हुई थी, क्योंकि यहां से वर्तमान सांसद हरिओम सिंह राठौड़ का स्वास्थ्य खराब होने के चलते उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. अब भाजपा पर सबकी निगाहें टिकी हुई थी कि वह किसे अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारेगी. इसी बीच एक नाम चर्चा का विषय बना जयपुर राजघराने से ताल्लुक रखने वाली दीया कुमारी का, लेकिन इस सीट पर भाजपा के कई दावेदार होने के चलते राजस्थान के सभी लोकसभा सीट घोषित होने के बाद में इस सीट आखिरकार भाजपा ने दीया कुमारी को ही अपना उम्मीदवार बनाया, तो कांग्रेस ने भी उनके सामने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता देवकीनंदन गुर्जर पर दांव लगाया. लेकिन यह दाव दीया कुमारी के सामने सफल नहीं हो पाया और 5 लाख 51 से भी अधिक मतों से दीया कुमारी ने कांग्रेस के प्रत्याशी को हराकर पहली बार लोकसभा पहुंची.

राजसमंद. जिले में साल 2019 के दौरान ऐसे कई राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिले हैं. जिसमें पहले स्थान पर विधानसभा चुनावों का रोमांच रहा. विधानसभा चुनावों के नतीजों ने दोनों दल भाजपा और कांग्रेस की झोली में बगैर कोई भेदभाव के 2-2 सीटें उनकी झोली में डाल दीं.

राजसमंद में सियासत का मिजाज कुछ यूं रहा

विधानसभा चुनाव में ऐसा रहा परिणाम
साल 2019 के शुरूआत में जहां राजस्थान विधानसभा चुनाव पूरे प्रदेश में अपने पूरे शबाब पर थे. इसी भी सबकी निगाहें टिकी हुई थी. मेवाड़ के बीचो बीच बसे राजसमंद जिले पर. जहां चार विधानसभाओं पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की ही साख दांव पर थी. दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने यहां चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी.

पढ़ें- हाल-ए-2019: सियासी रस्साकशी, शह-मात का खूब चला खेल

नाथद्वारा से विजयी सीपी जोशी
नाथद्वारा विधानसभा की यहां से कांग्रेस पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी जोशी को टिकट देकर मैदान में उतारा. 10 साल के वनवास के बाद डॉ. सीपी जोशी फिर से मैदान में थे. इसी बीच कांग्रेस के महेश प्रताप सिंह ने भाजपा का दामन थामा और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई और उन्हें टिकट देकर सीपी जोशी के सामने मैदान में उतार दिया. इस बीच एक बात गौर करने वाली है कि ये वही महेश प्रताप सिंह है, जो सीपी जोशी के खास लोगों में शुमार थे. महेश प्रताप सिंह का नाम भाजपा में आने के बाद भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने इसका विरोध भी किया, लेकिन उन नेताओं का विरोध जरा भी भी टिक नहीं पाया. नतीजों में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी जोशी ने नाथद्वारा विधानसभा से जीत दर्ज की और अपने प्रतिद्वंदी को करीब 16940 वोटों से शिकस्त दी. इसके बाद फिर राजस्थान में एक बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की और सत्ता पर काबिज हुई इस बीच सबकी निगाहें डॉ सीपी जोशी पट्टी की हुई थी कि उन्होंने इस बार कौन सा पद दिया जाता है. कई चर्चाओं के बाद उन्हें राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के लिए कांग्रेस पार्टी ने उनका नाम आगे किया और वे राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष बने.

राजसमंद विधानसभा सीट से फिर किरण माहेश्वरी
यह सीट भी अपने आप में दिलचस्प कही जा सकती है. क्योंकि यहां से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार में कैबिनेट मंत्री रही किरण माहेश्वरी को भाजपा ने मैदान में उतारा. दो बार लगातार चुनाव जीत चुकी किरण माहेश्वरी इस बार तीसरी बार मैदान में थी. कांग्रेस ने इनके सामने पूर्व जिला प्रमुख नारायण सिंह भाटी को टिकट देकर मैदान में उतारा, लेकिन भाटी किरण माहेश्वरी के सामने टिक नहीं पाए और किरण माहेश्वरी ने करीब 24623 वोटों से जीत दर्ज कर तीसरी बार लगातार विधानसभा पहुंचे.

पढ़ें- अलविदा 2019: सत्ता में रहने के बावजूद विपक्ष की तरह सड़कों पर ही उतरी रही कांग्रेस

कुंभलगढ़ विधानसभा सीट पर सुरेंद्र सिंह राठौड़ जीते
इस सीट पर भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़ पर विश्वास जताते हुए उन्हें मैदान में उतारा. तो कांग्रेस ने उनके सामने पूर्व विधायक गणेश सिंह परमार को मैदान में उतारा, लेकिन वे सुरेंद्र सिंह के सामने टिक नहीं पाए और सुरेंद्र सिंह जीत दर्ज की

भीम विधानसभा सीट पर सुदर्शन सिंह जीते
यहां से कांग्रेस पार्टी ने युवा नेता और राजस्थान सरकार में पूर्व गृह मंत्री रहे लक्ष्मण सिंह रावत के पुत्र सुरदर्शन सिंह को मैदान में उतारा, उनके सामने भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक हरि सिंह रावत को मैदान में उतारा, लेकिन हरिसिंह इस बार सफल नहीं हो पाए सुरदर्शन सिंह के सामने और सुदर्शन सिंह ने जीत दर्ज करते हुए पहली बार विधानसभा पहुंचे.

पढ़ें- अलविदा 2019ः कांग्रेस सत्ता-संगठन के बीच साल भर रही खींचतान

लोकसभा आम चुनाव 2019 का देशभर में शंखनाद हुआ
इस बीच सबकी निगाहें राजसमंद लोकसभा सीट पर टिकी हुई थी, क्योंकि यहां से वर्तमान सांसद हरिओम सिंह राठौड़ का स्वास्थ्य खराब होने के चलते उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. अब भाजपा पर सबकी निगाहें टिकी हुई थी कि वह किसे अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारेगी. इसी बीच एक नाम चर्चा का विषय बना जयपुर राजघराने से ताल्लुक रखने वाली दीया कुमारी का, लेकिन इस सीट पर भाजपा के कई दावेदार होने के चलते राजस्थान के सभी लोकसभा सीट घोषित होने के बाद में इस सीट आखिरकार भाजपा ने दीया कुमारी को ही अपना उम्मीदवार बनाया, तो कांग्रेस ने भी उनके सामने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता देवकीनंदन गुर्जर पर दांव लगाया. लेकिन यह दाव दीया कुमारी के सामने सफल नहीं हो पाया और 5 लाख 51 से भी अधिक मतों से दीया कुमारी ने कांग्रेस के प्रत्याशी को हराकर पहली बार लोकसभा पहुंची.

Intro:राजसमंद- साल 2019 का यह वर्ष अब समाप्ति की ओर है. इस वर्ष में सियासत में भी कई उठापटक के दौर देखे गए. ईटीवी भारत उन सभी पहलुओं को अपने दर्शकों को बता रहा है.जो इस साल में सियासत में घटित हुए है. इसी बीच आपको मेवाड़ के मध्य में स्थित राजसमंद जिले में लिए चलते हैं. जहां वर्ष 2019 में हुई राजनीतिक हलचल से आपको रूबरू करवा रहे हैं.
पहला राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस प्रकार रहा राजनीतिक सफर
साल 2019 के प्रारंभ में जहां राजस्थान विधानसभा चुनाव पूरे प्रदेश में अपने पूरे शबाब पर थे. इसी भी सबकी निगाहें टिकी हुई थी. मेवाड़ के बीचो बीच बसे राजसमंद जिले पर जहां चार विधानसभाओं पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की ही साख दांव पर थी. दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने यहां चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी.
बात करें
नाथद्वारा विधानसभा की यहां से कांग्रेस पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी जोशी को टिकट देकर मैदान में उतारा 10 साल के वनवास के बाद डॉ सीपी जोशी फिर से मैदान में थे. इसी बीच कांग्रेस के महेश प्रताप सिंह ने भाजपा का दामन थामा और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई.और उन्हें टिकट देकर डॉ सीपी जोशी के सामने मैदान में उतार दिया. इस बीच एक बात गौर करने वाली है. कि यह वही महेश प्रताप सिंह है. डॉ सीपी जोशी के खास लोगों में शुमार थे. महेश प्रताप सिंह का नाम भाजपा में आने के बाद भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने इसका विरोध भी किया. लेकिन उन नेताओं का विरोध तनिक भर भी टिक नहीं पाया. फिर चुनाव संपन्न हुए और परिणाम पर सबकी निगाहें टिकी हुई थी.कि इस बार के परिणाम क्या कुछ निकल कर आएगा.और सामने आया तो कांग्रेस पार्टी के पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी जोशी ने नाथद्वारा विधानसभा से जीत दर्ज की और अपने प्रतिद्वंदी को करीब 16940 वोटों से शिकस्त दी. इसके बाद फिर राजस्थान में एक बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की और सत्ता पर काबिज हुई इस बीच सबकी निगाहें डॉ सीपी जोशी पट्टी की हुई थी कि उन्होंने इस बार कौन सा पद दिया जाता है. कई चर्चाओं के बाद उन्हें राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के लिए कांग्रेस पार्टी ने उनका नाम आगे किया और वे राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष बने.

इसके बाद आपको राजसमंद विधानसभा सीट चुनाव के बारे में बताते हैं.
यह सीट भी अपने आप में दिलचस्प कही जा सकती है.क्योंकि यहां से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार में कैबिनेट मंत्री रही.किरण माहेश्वरी को भाजपा ने मैदान में उतारा. दो बार लगातार चुनाव जीत चुकी किरण माहेश्वरी इस बार तीसरी बार मैदान में थी. कांग्रेस ने इनके सामने पूर्व जिला प्रमुख नारायण सिंह भाटी को टिकट देकर मैदान में उतारा.लेकिन भाटी किरण माहेश्वरी के सामने टिक नहीं पाए और किरण माहेश्वरी ने करीब 24623 वोटों से जीत दर्ज कर तीसरी बार लगातार विधानसभा पहुंचे.

बात करते हैं कुंभलगढ़ विधानसभा सीट की
इस सीट पर भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़ पर विश्वास जताते हुए उन्हें मैदान में उतारा. तो कांग्रेस ने उनके सामने पूर्व विधायक गणेश सिंह परमार को मैदान में उतारा लेकिन वे सुरेंद्र सिंह के सामने टिक नहीं पाए और सुरेंद्र सिंह जीत दर्ज की
अलावा बात करें तो भीम विधानसभा सीट की
यहां से कांग्रेस पार्टी ने युवा नेता और राजस्थान सरकार में पूर्व गृह मंत्री रहे लक्ष्मण सिंह रावत के पुत्र सुरदर्शन सिंह को मैदान में उतारा उनके सामने भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक हरि सिंह रावत को मैदान में उतारा.लेकिन हरिसिंह इस बार सफल नहीं हो पाए सुरदर्शन सिंह के सामने और सुरदर्शन सिंह ने जीत दर्ज करते हुए पहली बार विधानसभा पहुंचे.



Body:लोकसभा आम चुनाव 2019 का देशभर में शंखनाद हुआ
इस बीच सबकी निगाहें राजसमंद लोकसभा सीट पर टिकी हुई थी.क्योंकि यहां से वर्तमान सांसद हरिओम सिंह राठौड़ का स्वास्थ्य खराब होने के चलते उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था.अब भाजपा पर सबकी निगाहें टिकी हुई थी. कि वह किसे अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारेगी.इसी बीच एक नाम चर्चा का विषय बना जयपुर राजघराने राजकुमारी दीया कुमारी का लेकिन इस सीट पर भाजपा के कई दावेदार होने के चलते राजस्थान के सभी लोकसभा सीट घोषित होने के बाद में इस सीट आखिरकार भाजपा ने दीया कुमारी को ही अपना उम्मीदवार बनाया तो कांग्रेस ने भी उनके सामने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता देवकीनंदन गुर्जर पर दांव लगाया. लेकिन यह दाव दीया कुमारी के सामने सफल नहीं हो पाया और 5 लाख 51 से भी अधिक मतों से दीया कुमारी ने कांग्रेस के प्रत्याशी को हराकर पहली बार लोकसभा पहुंची.


Conclusion:इन दोनों चुनाव के बाद तीसरा राजसमंद जिले में चुनाव आया नगर पालिका का जहां इस बार आमेट और नाथद्वारा नगर पालिका में चुनाव हुए आइए देखते हैं इन दोनों ही नगर पालिका में क्या कुछ नतीजे रहे

आमेट नगर पालिका- 45 साल से भाजपा यहां अपना बोर्ड लगातार बनाते आ रही है. लेकिन इस बार भाजपा की आंतरिक गुटबाजी ने और कांग्रेस की रणनीति की सोचने भाजपा को शिकस्त देने का काम किया जिसका प्रमुख कारण यह रहा कि कांग्रेस ने चुनाव से ठीक पहले पूर्व चेयरमैन रहे कैलाश मेवाड़ा को टिकट देकर मैदान में उतारा पूरे चुनाव की बागडोर कैलाश के हाथों सोपी. यही कारण रहा कि 45 साल बाद कॉन्ग्रेस आमेट नगर पालिका की सत्ता पर काबिज हुई चुनाव नतीजों पर गौर करें तो करीब 25 वार्डों में से 17 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की जबकि 8 वार्डो पर ही भाजपा को जीत मिल पाई. वहीं कांग्रेस के कैलाश मेवाड़ा चेयरमैन बने.

नाथद्वारा नगर पालिका चुनाव- नाथद्वारा नगर पालिका चुनाव पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने जमकर चुनाव प्रचार किया. लेकिन भाजपा को इस बार करारी शिकस्त मिली 40 वार्डों वाली नाथद्वारा नगर पालिका में कांग्रेस को 29 वार्डों में जीत मिली.जबकि भाजपा को 10 वार्डों में जीत मिल पाई जबकि एक निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली कुल मिलाकर देखा जाए तो भाजपा की गुटबाजी नहीं उसे हार का मुंह देखना पड़ा
और कांग्रेस के मनीष राठी चेयरमैन बने.
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