राजसमंद. जिले में साल 2019 के दौरान ऐसे कई राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिले हैं. जिसमें पहले स्थान पर विधानसभा चुनावों का रोमांच रहा. विधानसभा चुनावों के नतीजों ने दोनों दल भाजपा और कांग्रेस की झोली में बगैर कोई भेदभाव के 2-2 सीटें उनकी झोली में डाल दीं.
विधानसभा चुनाव में ऐसा रहा परिणाम
साल 2019 के शुरूआत में जहां राजस्थान विधानसभा चुनाव पूरे प्रदेश में अपने पूरे शबाब पर थे. इसी भी सबकी निगाहें टिकी हुई थी. मेवाड़ के बीचो बीच बसे राजसमंद जिले पर. जहां चार विधानसभाओं पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की ही साख दांव पर थी. दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने यहां चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी.
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नाथद्वारा से विजयी सीपी जोशी
नाथद्वारा विधानसभा की यहां से कांग्रेस पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी जोशी को टिकट देकर मैदान में उतारा. 10 साल के वनवास के बाद डॉ. सीपी जोशी फिर से मैदान में थे. इसी बीच कांग्रेस के महेश प्रताप सिंह ने भाजपा का दामन थामा और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई और उन्हें टिकट देकर सीपी जोशी के सामने मैदान में उतार दिया. इस बीच एक बात गौर करने वाली है कि ये वही महेश प्रताप सिंह है, जो सीपी जोशी के खास लोगों में शुमार थे. महेश प्रताप सिंह का नाम भाजपा में आने के बाद भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं ने इसका विरोध भी किया, लेकिन उन नेताओं का विरोध जरा भी भी टिक नहीं पाया. नतीजों में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी जोशी ने नाथद्वारा विधानसभा से जीत दर्ज की और अपने प्रतिद्वंदी को करीब 16940 वोटों से शिकस्त दी. इसके बाद फिर राजस्थान में एक बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की और सत्ता पर काबिज हुई इस बीच सबकी निगाहें डॉ सीपी जोशी पट्टी की हुई थी कि उन्होंने इस बार कौन सा पद दिया जाता है. कई चर्चाओं के बाद उन्हें राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के लिए कांग्रेस पार्टी ने उनका नाम आगे किया और वे राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष बने.
राजसमंद विधानसभा सीट से फिर किरण माहेश्वरी
यह सीट भी अपने आप में दिलचस्प कही जा सकती है. क्योंकि यहां से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार में कैबिनेट मंत्री रही किरण माहेश्वरी को भाजपा ने मैदान में उतारा. दो बार लगातार चुनाव जीत चुकी किरण माहेश्वरी इस बार तीसरी बार मैदान में थी. कांग्रेस ने इनके सामने पूर्व जिला प्रमुख नारायण सिंह भाटी को टिकट देकर मैदान में उतारा, लेकिन भाटी किरण माहेश्वरी के सामने टिक नहीं पाए और किरण माहेश्वरी ने करीब 24623 वोटों से जीत दर्ज कर तीसरी बार लगातार विधानसभा पहुंचे.
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कुंभलगढ़ विधानसभा सीट पर सुरेंद्र सिंह राठौड़ जीते
इस सीट पर भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़ पर विश्वास जताते हुए उन्हें मैदान में उतारा. तो कांग्रेस ने उनके सामने पूर्व विधायक गणेश सिंह परमार को मैदान में उतारा, लेकिन वे सुरेंद्र सिंह के सामने टिक नहीं पाए और सुरेंद्र सिंह जीत दर्ज की
भीम विधानसभा सीट पर सुदर्शन सिंह जीते
यहां से कांग्रेस पार्टी ने युवा नेता और राजस्थान सरकार में पूर्व गृह मंत्री रहे लक्ष्मण सिंह रावत के पुत्र सुरदर्शन सिंह को मैदान में उतारा, उनके सामने भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक हरि सिंह रावत को मैदान में उतारा, लेकिन हरिसिंह इस बार सफल नहीं हो पाए सुरदर्शन सिंह के सामने और सुदर्शन सिंह ने जीत दर्ज करते हुए पहली बार विधानसभा पहुंचे.
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लोकसभा आम चुनाव 2019 का देशभर में शंखनाद हुआ
इस बीच सबकी निगाहें राजसमंद लोकसभा सीट पर टिकी हुई थी, क्योंकि यहां से वर्तमान सांसद हरिओम सिंह राठौड़ का स्वास्थ्य खराब होने के चलते उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. अब भाजपा पर सबकी निगाहें टिकी हुई थी कि वह किसे अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारेगी. इसी बीच एक नाम चर्चा का विषय बना जयपुर राजघराने से ताल्लुक रखने वाली दीया कुमारी का, लेकिन इस सीट पर भाजपा के कई दावेदार होने के चलते राजस्थान के सभी लोकसभा सीट घोषित होने के बाद में इस सीट आखिरकार भाजपा ने दीया कुमारी को ही अपना उम्मीदवार बनाया, तो कांग्रेस ने भी उनके सामने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता देवकीनंदन गुर्जर पर दांव लगाया. लेकिन यह दाव दीया कुमारी के सामने सफल नहीं हो पाया और 5 लाख 51 से भी अधिक मतों से दीया कुमारी ने कांग्रेस के प्रत्याशी को हराकर पहली बार लोकसभा पहुंची.