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स्पेशल स्टोरी- कुंभलगढ़ महोत्सव का आगाज, हजारों की संख्या में पहुंचे देसी-विदेशी पावणे - Rajsamand Kumbhalgarh Festival

कुंभलगढ़ महोत्सव का आगाज रविवार को पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन राजसमंद के संयुक्त तत्वाधान में ऐतिहासिक कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ. जिसमें हजारों की संख्या में देश -विदेश के पर्यटक पहुंचे. जहां उन्हें कला और संस्कृति के अद्भुत नजारे देखने को मिला.

पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन,  Rajsamand news
कुंभलगढ़ महोत्सव का हुआ आगाज
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Published : Dec 1, 2019, 9:13 PM IST

राजसमंद. महाराणा प्रताप की जन्मस्थली कुंभलगढ़ की वादियां गीत और संगीत की स्वर लहरियों से गुंजायमान हो उठी. कुंभलगढ़ महोत्सव का आगाज रविवार को पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन राजसमंद के संयुक्त तत्वाधान में ऐतिहासिक कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ. जिसकी शुरुआत शास्त्रीय संगीत एवं कला प्रेमी महाराणा कुंभा को समर्पित कर जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल, उपखंड अधिकारी कुंभलगढ़ परसाराम टाक और पर्यटन विभाग उदयपुर उप निदेशक शिखा सक्सेना ने किया.

कुंभलगढ़ महोत्सव का हुआ आगाज

यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल कुंभलगढ़
यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल कुंभलगढ़ दुर्ग का महोत्सव को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक पहुंचे.जहां उन्हें कला और संस्कृति के अद्भुत नजारे देखने को मिले.वहीं पारंपरिक वेशभूषा से सजे कलाकारों की प्रस्तुतियों ने ऐतिहासिक दुर्ग पर समां बांधा. महोत्सव के प्रथम दिन बारां से आए कलाकार दल ने चकरी नृत्य व सहरिया नृत्य किया. जिसे देख कर देशी और विदेशी पर्यटकों भी मंत्रमुग्ध हो गए.

पढ़ें- अजमेर: 'विश्‍व एड्स दिवस' के पूर्व निकाली गई जागरूकता रैली

कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियों ने जीत दिल
इस महोत्सव में जोधपुर से कलाकार दल नगाड़ा, जयपुर के कच्ची घोड़ी, जैसलमेर के दल की ओर लंगा और चूरू के दल चंग की थाप ने समा बांध दिया. इसके बाद बाड़मेर के कलाकारों की ओर से लाल गैर नृत्य किया. प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियों से देशी और विदेशी पर्यटक अपने आप को रोक नहीं पाए. कलाकारों के साथ स्वयं नृत्य करने लगे. इसके बाद जैसे ही बाड़मेर के घूमर नृत्य की बारी आई सभी दर्शक अपने - अपने स्थानों पर खड़े होकर कलाकारों के साथ थिरकने लगे.

महोत्सव में कई कार्यक्रमों का आयोजन
देश- विदेश से पहुंचे पर्यटकों ने इस पूरे नजारे को अपने कैमरे मे कैद करते दिखाई दिए. गौरतलब है कि 2006 में पहली बार शुरू हुआ कुंभलगढ़ महोत्सव इस बार 11वीं बार मनाया जा रहा है.3 दिन तक चलने वाले इस महोत्सव में कई कार्यक्रमों का आयोजन होगा.कुंभलगढ़ महोत्सव में देश-विदेश से पहुंचने वाले पर्यटकों को दुर्ग में जाने के लिए शुल्क देना पड़ रहा है. जब यह सवाल ईटीवी भारत की टीम ने जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल से किया तो उन्होंने कहा कि एएसआई की प्रावधानों में कुछ बदलाव हुआ है, लेकिन उन्होंने कहा कि एएसआई से बात करके 3 दिन तक चलने वाले इस फेस्टिवल में प्रेरकों के लिए शुल्क मुक्ति की बात की जाएगी.

राजसमंद. महाराणा प्रताप की जन्मस्थली कुंभलगढ़ की वादियां गीत और संगीत की स्वर लहरियों से गुंजायमान हो उठी. कुंभलगढ़ महोत्सव का आगाज रविवार को पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन राजसमंद के संयुक्त तत्वाधान में ऐतिहासिक कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ. जिसकी शुरुआत शास्त्रीय संगीत एवं कला प्रेमी महाराणा कुंभा को समर्पित कर जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल, उपखंड अधिकारी कुंभलगढ़ परसाराम टाक और पर्यटन विभाग उदयपुर उप निदेशक शिखा सक्सेना ने किया.

कुंभलगढ़ महोत्सव का हुआ आगाज

यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल कुंभलगढ़
यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल कुंभलगढ़ दुर्ग का महोत्सव को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक पहुंचे.जहां उन्हें कला और संस्कृति के अद्भुत नजारे देखने को मिले.वहीं पारंपरिक वेशभूषा से सजे कलाकारों की प्रस्तुतियों ने ऐतिहासिक दुर्ग पर समां बांधा. महोत्सव के प्रथम दिन बारां से आए कलाकार दल ने चकरी नृत्य व सहरिया नृत्य किया. जिसे देख कर देशी और विदेशी पर्यटकों भी मंत्रमुग्ध हो गए.

पढ़ें- अजमेर: 'विश्‍व एड्स दिवस' के पूर्व निकाली गई जागरूकता रैली

कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियों ने जीत दिल
इस महोत्सव में जोधपुर से कलाकार दल नगाड़ा, जयपुर के कच्ची घोड़ी, जैसलमेर के दल की ओर लंगा और चूरू के दल चंग की थाप ने समा बांध दिया. इसके बाद बाड़मेर के कलाकारों की ओर से लाल गैर नृत्य किया. प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियों से देशी और विदेशी पर्यटक अपने आप को रोक नहीं पाए. कलाकारों के साथ स्वयं नृत्य करने लगे. इसके बाद जैसे ही बाड़मेर के घूमर नृत्य की बारी आई सभी दर्शक अपने - अपने स्थानों पर खड़े होकर कलाकारों के साथ थिरकने लगे.

महोत्सव में कई कार्यक्रमों का आयोजन
देश- विदेश से पहुंचे पर्यटकों ने इस पूरे नजारे को अपने कैमरे मे कैद करते दिखाई दिए. गौरतलब है कि 2006 में पहली बार शुरू हुआ कुंभलगढ़ महोत्सव इस बार 11वीं बार मनाया जा रहा है.3 दिन तक चलने वाले इस महोत्सव में कई कार्यक्रमों का आयोजन होगा.कुंभलगढ़ महोत्सव में देश-विदेश से पहुंचने वाले पर्यटकों को दुर्ग में जाने के लिए शुल्क देना पड़ रहा है. जब यह सवाल ईटीवी भारत की टीम ने जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल से किया तो उन्होंने कहा कि एएसआई की प्रावधानों में कुछ बदलाव हुआ है, लेकिन उन्होंने कहा कि एएसआई से बात करके 3 दिन तक चलने वाले इस फेस्टिवल में प्रेरकों के लिए शुल्क मुक्ति की बात की जाएगी.

Intro:राजसमंद- महाराणा प्रताप की जन्मस्थली कुंभलगढ़ की वादियां आज गीत और संगीत की स्वर लहरियों से गुंजायमान हो उठी. कुंभलगढ़ महोत्सव का आगाज रविवार को पर्यटन विभाग तथा जिला प्रशासन राजसमंद के संयुक्त तत्वाधान में ऐतिहासिक कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ. शास्त्रीय संगीत एवं कला प्रेमी महाराणा कुंभा को समर्पित कुंभलगढ़ महोत्सव का आगाज जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल उपखंड अधिकारी कुंभलगढ़ परसाराम टाक तथा पर्यटन विभाग उदयपुर उप निदेशक शिखा सक्सेना ने महाराणा कुंभा की छवि के समक्ष दीप प्रज्वलित कर महोत्सव का विधिवत शुभारंभ किया.


Body:यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल कुंभलगढ़ दुर्ग में इस महोत्सव को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक पहुंचे. कला और संस्कृति के अद्भुत नजारे. इस महोत्सव के पहले दिन देखने को मिले. पारंपरिक वेशभूषा से सजे कलाकारों की प्रस्तुतियों ने ऐतिहासिक दुर्ग पर बांधा समां. महोत्सव के प्रथम दिन बारा से आए कलाकार दल ने चकरी नृत्य व सहरिया नृत्य किया.जिसे देख कर देसी तथा विदेशी पर्यटकों को भी मंद मुक्त कर दिया. इसके बाद जोधपुर कलाकार दल द्वारा नगाड़ा, जयपुर के कच्ची घोड़ी,जैसलमेर के दल द्वारा लंगा, चूरू के दल द्वारा चंग की थाप पर पूरे माहौल में समा बांध दिया. इसके बाद बाड़मेर के कलाकारों द्वारा लाल गैर नृत्य किया. जिसे देख प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियों से देसी तथा विदेशी पर्यटक अपने आप को रोक नहीं पाए.और कलाकारों के साथ स्वयं नृत्य करने लगे. इसके बाद जैसे ही बाड़मेर के घूमर नृत्य की बारी आई सभी दर्शक अपने अपने स्थानों पर खड़े होकर कलाकारों के साथ थिरकने लगे.


Conclusion:वही देश विदेश से पहुंचे पर्यटकों ने इस पूरे नजारे को अपने कैमरे मे कैद करते दिखाई दिए. गौरतलब है कि 2006 में पहली बार शुरू हुआ कुंभलगढ़ महोत्सव इस बार 11वीं बार मनाया जा रहा है.3 दिन तक चलने वाले इस महोत्सव में कई कार्यक्रमों का आयोजन होगा.
कुंभलगढ़ महोत्सव में देश विदेश से पहुंचने वाले पर्यटकों को दुर्ग में जाने के लिए शुल्क देना पड़ रहा है. जब यह सवाल ईटीवी भारत की टीम ने जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल से किया तो उन्होंने कहा कि एएसआई की प्रावधानों में कुछ बदलाव हुआ है लेकिन उन्होंने कहा कि एएसआई से बात करके 3 दिन तक चलने वाले इस फेस्टिवल में प्रेरकों के लिए शुल्क मुक्ति की बात की जाएगी.
बाइट- जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल
बाइट- पर्यटन विभाग उदयपुर उप निदेशक शिखा सक्सेना
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