राजसमंद. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर जिला कांग्रेस कमेटी ने भी केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि विधेयकों का विरोध शुरू कर दिया है. सोमवार को कृषि विधेयकों के विरोध में जिलाध्यक्ष देवकी नंदन गुर्जर के आवाहन पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. साथ ही राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.
कांग्रेस कार्यकर्ता हरि सिंह राठौड़ ने कहा कि केंद्र सरकार देश के किसानों और कृषि व्यापार से संबंधित तीन विधेयक संसद में लेकर आई है, जो किसानों कें हितों को दरकिनार करते हुए तैयार किए गए हैं. पहला कृषि उपज वाणिज्यिक और व्यापार विधेयक के माध्यम से केंद्र सरकार वन नेशन वन मार्किट की अवधरणा में किसानों की उपज को कोई भी व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर बेचने की इजाजत देने वाला बताया, जबकि इससे मंडी व्यवस्था खत्म होगी और व्यापारियों की मनमानी बढ़ेगी.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मूल आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता विधेयक में व्यावसायिक खेती को किसान हित में बताया, जबकि यह अध्यादेश केवल मात्र कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने का जरिया मात्र है. वहीं पूर्व जिलाध्यक्ष नारायण सिंह भाटी ने इस विधेयक को किसान विरोधी बताया. कहा कि इन विधेयकों के लागू होने से कॉन्टैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा और कंपनियां किसानों की जमीनों पर आधिकारिक खेती करेंगी. किसान को काम मजदूर के रूप में ही कार्य करना पड़ेगा.
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साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 3 आवश्यक वस्तु अध्यदेशों के माध्यम से अनाज, दलहन, खाद्य, तेल, आलू एवं प्याज को अनिवार्य वस्तुओं की सूची से हटा कर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को मुक्त करने का दावा किया गया है. इन विधेयकों के लागू होने से किसानों द्वारा की गई कृषि उपज को जमा करने की अधिकतम सीमा तय करने और कालाबाजारी को रोकने के लिए बनाए गए असेसमेंट एक्ट 1955 का अस्तित्व समाप्त से हो गया है. जिसका सीधा फायदा पूंजीपतियों को होगा.