राजसमंद. राजसमंद के कांकरोली शहर में पुष्टि संप्रदाय की तृतीय पीठ प्रभु द्वारकाधीश मंदिर में 12 अगस्त को श्री कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाएगा. यहां जन्माष्टमी का दो दिवसीय पर्व मनाया जाता है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी की वजह से सरकार ने मंदिरों को बंद करने का ऐलान किया है.
पिछले 20 मार्च से प्रभु द्वारकाधीश का मंदिर बंद है. इस बार कोरोना का काल जन्माष्टमी पर भी मंडरा रहा है. सरकार ने पूर्ण रूप से मंदिरों को बंद करने का एलान किया था. खास बात यह है कि प्रभु द्वारकाधीश के मंदिर में दो दिवसीय पर्व उसी ठाट बाट से मनाया जाएगा. जैसे पिछले वर्षों से परंपरा अनुसार मनाया जाता रहा है.
द्वारकाधीश मंदिर जनसंपर्क अधिकारी विनीत सनाढ्य ने बताया कि प्रभु द्वारकाधीश के मंदिर में जन्माष्टमी के अवसर पर प्रथम दिवस प्रभु को पंचामृत स्नान करवाया जाता है. पंचामृत दूध, दही, घी, शहद, शक्कर और जल से तैयार होता है. इस मौके पर प्रभु का विशेष शृंगार भी किया जाता है.
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यहां द्वारकेश गार्ड, द्वारकेश मंदिर बैंड की धुन पर प्रभु को सलामी देते हैं. जन्माष्टमी को कमल चौक में नगाड़े बजाए जाते हैं. शाम को प्रभु श्री के जागरण के दर्शन खुलते हैं, जो रात 11:30 बजे तक खुले रहते हैं. प्रभु के जन्म के जयघोष के साथ ही बंदूकों की सलामी दी जाती है. पूरा मंदिर 'हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल' की जयकारों से गूंज उठता है. दर्शनार्थियों का उत्साह देखते ही बनता है.
जन्माष्टमी के मौके पर भारत के कोने-कोने से खास करके गुजरात से सैकड़ों श्रद्धालु द्वारकाधीश मंदिर पहुंचते हैं और प्रभु के दर्शनों का आनंद लेते हैं. वहीं, दूसरे दिन को नंद महोत्सव के रूप में मनाया जाता है. जहां प्रभु श्री द्वारकाधीश को सोने के पालने में विराजित किया जाता है. मंदिर के गोस्वामी परिवार के सदस्य यशोदा मैया की भूमिका में और मंदिर के मुखिया नंद बाबा के भाव से प्रभु श्री को लाड लड़ाते हैं, पालना झुलाते हैं. प्रभु के समक्ष कई तरह के खेल खिलौने चलाए जाते हैं.
पूरा मंदिर दूध और दही से सराबोर हो जाता है. ग्वालों द्वारा दही और दूध की वर्षा की जाती है. हर श्रद्धालु इस अनोखे दही-दूध उत्सव में अपने आप को धन्य महसूस करता है. गोवर्धन चौक में ग्वाल बालों द्वारा दही हांडी का आयोजन किया जाता है. जिसको देखने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहते हैं. लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं होने वाला है.
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इस बार प्रभु का उत्सव तो होगा, प्रभु का जन्म भी होगा, सारी परंपराएं भी ठीक उसी प्रकार से निभाई जाएंगी जैसे सदियों से निभाई जा रही है. लेकिन 3 शताब्दी के इस पूरे कालखंड में पहली बार प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर परिसर में जन्माष्टमी के मौके पर श्रद्धालुओं का प्रवेश निषेध रहेगा. कोरोना के इस संकट में राजस्थान के सारे मंदिर बंद है, उसमें प्रभु श्री द्वारकाधीश का यह मंदिर भी शामिल है.
इस बार जन्माष्टमी के पावन पर्व पर प्रभु द्वारकाधीश मंदिर में सेवा कर्मियों की ही मौजूदगी रहेगी. कोई भी श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाएगा. कोरोना काल की परिस्थितियों में श्रद्धालुओं के लिए यह समय एक बहुत बड़ी परीक्षा का है. क्योंकि पहली बार उन्हें जन्माष्टमी के पर्व पर अपने आराध्य की भक्ति के लिए मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा.