राजसमंद. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न हुई परिस्थितियों से हर व्यवसाय को भारी क्षति पहुंचाई है. इस महामारी ने हर व्यवसाय की गति पर ग्रहण लगा दिया है. आज हम बात कर रहे हैं विश्व प्रसिद्ध राजसमंद के मार्बल उद्योग की. इस महामारी के कारण पड़े प्रभाव से ये व्यवसाय शुरू होने के बाद भी रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है.
मार्बल व्यापारियों को हो रहा करोड़ों का घाटा
कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से लंबे समय तक यह कारोबार बंद पड़ा रहा. जिससे मार्बल मंडियों के कारोबार में करोड़ों रुपए का घाटा हुआ. इसके बाद प्रशासन की ओर से मार्बल व्यवसाय को कार्य शुरू करने की अनुमति दी गई, लेकिन इस महामारी का दंश अभी तक इस व्यवसाय पर दिखाई दे रहा है. यही कारण है कि प्रति रोज 300 से अधिक वाहन इस व्यवसाय के काम में आते थे, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में अब 50 से कम वाहन प्रति रोज काम में आ रहे हैं. वहीं, एक कारोबारी ने बताया कि वर्तमान में 25% काम ही मार्बल व्यवसाय में हो रहा है. इसमें भी खास बात ये है कि अब एक शिफ्ट में ही काम किया जाता है.
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लॉकडाउन के कारण मार्बल व्यापार हुआ affected
ईटीवी भारत की टीम ने भी ये जानने की कोशिश की कि राजसमंद की लाइफ लाइन कहे जाने वाले उद्योग मार्बल व्यवसाय से इस महामारी की परछाइयां हटी या नहीं. इसे जानने के लिए हमारी टीम ने जिले के विभिन्न मार्बल व्यवसायियों से बातचीत की तो सामने आया कि लॉकडाउन के कारण इस व्यवसाय को भारी क्षति पहुंची है. इस व्यवसाय में लॉकडाउन से पहले जिस संख्या में लेबर काम किया करते थे अब 50% से भी कम संख्या में लेबर काम कर रहे हैं.
मार्बल व्यवसाय पर पड़ रही दोहरी मार
इस दौरान हमारी मुलाकात सबसे पहले मार्बल गैंगसा एसोसिएशन अध्यक्ष रवि शर्मा से हुई. उन्होंने बताया कि एक तो लॉकडाउन की वजह से, दूसरा इस व्यवसाय पर जीएसटी की दोहरी मार के कारण इस व्यवसाय को उभारने में बड़ी दिक्कत आ रही है. उन्होंने बताया कि यहां का ज्यादातर पत्थर गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में जाता है, लेकिन महाराष्ट्र और गुजरात में अब ये कारोबार नाममात्र के बराबर हो रहा है. उन्होंने सरकार से इस व्यवसाय को लेकर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मदद करने की अपील की है. मार्बल व्यवसाई अशोक राका से ने बताया कि अभी बाहर से व्यवसाई इस महामारी के डर के कारण कम संख्या में पहुंच रहे हैं. उन्होंने सरकार से मांग कि है कि जीएसटी की दरों में कटौती की जाए. इसके साथ ही हमें देखने को मिला कि श्रमिकों की ओर से सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का प्रयोग करते हुए ही काम किया जा रहा है.
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वहीं, कुछ जगह सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती हुई भी दिखाई दी. श्रमिकों के लिए व्यवसायियों की ओर से महामारी को देखते हुए शिफ्ट के दौरान तीन से चार बार साबुन से हाथ धोने की व्यवस्था भी की गई है. कुल मिलाकर देखें तो पहले के मुकाबले 25 फीसदी मार्केट चल रहा है. पहले करोड़ों रुपए का सालाना टर्नओवर होता था उसके मुकाबले अब 25% प्रतिशत ही रह गया है.
मार्बल व्यापार पड़ा है बंद
गौरतलब है कि दुनिया भर में सफेद मार्बल के नाम से विख्यात मार्बल का व्यवसाय लॉकडाउन के कारण पूरी तरह बंद पड़ा रहा, लेकिन शुरू होने के बाद भी इन व्यवसायियों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही है. खास करके इस व्यवसाय में काम करने वाले लेबर भी कुछ संख्या में बाहर के राज्यों से भी आते हैं. जो वर्तमान में अपने राज्य लौट चुके हैं.
देश दुनिया में राजसमंद का मार्बल व्यवसाय जाना जाता है. यहां का मार्बल भारत और दुनिया में निर्यात होता है, लेकिन पिछले कुछ समय से राजसमंद मार्बल उद्योग भयंकर मंदी के दौर से गुजर रहा है. अब देखना होगा कि केंद्र और राज्य सरकार इस मार्बल व्यवसाय को उभारने में इन व्यवसायियों की क्या कुछ मदद करती है.