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राजसमंद में पाटोत्सव पर प्रभु के सम्मुख उड़ाई गई राल - पाटोत्सव पर उड़ाई गई राल

राजसमंद जिला मुख्यालय पर स्थित द्वारकाधीश मंदिर में श्रीनाथजी के पाट उत्सव के मौके पर प्रभु द्वारिकाधीश के सम्मुख राल उड़ाई गई. साथ ही प्रभु के सामने रसिया का गान भी किया गया.

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राजसमंद में पाटोत्सव पर प्रभु के सम्मुख उड़ाई गई राल
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Published : Mar 6, 2021, 12:32 PM IST

राजसमंद. शुक्रवार रात को राजसमंद जिला मुख्यालय पर स्थित पुष्टिमार्गीय संप्रदाय की तृतीय पीठ द्वारिकाधीश मंदिर में पाट उत्सव के मौके पर प्रभु श्री के सम्मुख राल उड़ाई गई. वहीं बृजवासी महाल बालों ने प्रभु के सम्मुख रसिया का गान भी किया.

राजसमंद में पाटोत्सव पर प्रभु के सम्मुख उड़ाई गई राल

इससे पूर्व घर में गोस्वामी परिवार के वेदांत कुमार ने प्रभु श्री को श्री मस्तक पर केसरी कुले, केसरी चाकदार बागा वैसी सूतन वैसे मौजाजी श्वेत थाड़े वस्त्र और सोने के आभूषण धराएं. शयन के दर्शन में प्रभु के सम्मुख वेदांत बाबा ने लाल गुलाल उड़ाई. हालांकि कोरोना वायरस के चलते इन दिनों राल के दर्शनों में श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित रखा गया है.

यह भी पढ़ें- 'एक पिता अपनी पुत्री को दुनिया की हर खुशी देना चाहता है, फिर वह कैसे निर्ममता से उसकी हत्या कर सकता है'

बता दें कि श्रीनाथजी मंदिर में पाट उत्सव भगवान श्रीनाथजी के मंदिर में विराजमान के उपलक्ष में मनाया जाता है. वहीं मान्यता अनुसार पाट उत्सव से दिन पाट के जितने बड़े हो जाते हैं, जो होली के दिन तक चलता ही रहेगा. माना जाता है कि होली की राल जितना ऊपर उठेगी उतना दिन बड़ा होगा.

राजसमंद. शुक्रवार रात को राजसमंद जिला मुख्यालय पर स्थित पुष्टिमार्गीय संप्रदाय की तृतीय पीठ द्वारिकाधीश मंदिर में पाट उत्सव के मौके पर प्रभु श्री के सम्मुख राल उड़ाई गई. वहीं बृजवासी महाल बालों ने प्रभु के सम्मुख रसिया का गान भी किया.

राजसमंद में पाटोत्सव पर प्रभु के सम्मुख उड़ाई गई राल

इससे पूर्व घर में गोस्वामी परिवार के वेदांत कुमार ने प्रभु श्री को श्री मस्तक पर केसरी कुले, केसरी चाकदार बागा वैसी सूतन वैसे मौजाजी श्वेत थाड़े वस्त्र और सोने के आभूषण धराएं. शयन के दर्शन में प्रभु के सम्मुख वेदांत बाबा ने लाल गुलाल उड़ाई. हालांकि कोरोना वायरस के चलते इन दिनों राल के दर्शनों में श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित रखा गया है.

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बता दें कि श्रीनाथजी मंदिर में पाट उत्सव भगवान श्रीनाथजी के मंदिर में विराजमान के उपलक्ष में मनाया जाता है. वहीं मान्यता अनुसार पाट उत्सव से दिन पाट के जितने बड़े हो जाते हैं, जो होली के दिन तक चलता ही रहेगा. माना जाता है कि होली की राल जितना ऊपर उठेगी उतना दिन बड़ा होगा.

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