ETV Bharat / state

श्रीनाथजी को लगाया गया अन्नकूट का भोग...लूट ले गए आदिवासी समुदाय के लोग - Annakoot offered to Shrinathji

राजसमंद में पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की प्रधान पीठ नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में अन्नकूट महोत्सव 350 वर्ष पुरानी परंपरा के अनुसार धूमधाम से मनाया गया. अन्नकूट के अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी और लालन को छप्पन भोग लगाया गया, जिसे श्रीजी सन्मुख से आदिवासी समुदाय के लोग लूट कर ले गए.

Annakoot offered to Shrinathji, Annakoot
श्रीनाथजी को लगाया गया अन्नकूट का भोग
author img

By

Published : Nov 6, 2021, 10:14 AM IST

नाथद्वारा (राजसमंद). श्री नाथद्वारा मंदिर में शुक्रवार को प्रतिवर्ष की भांति अन्नकूट महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. अन्नकूट के अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी व लालन को छप्पन भोग का भोग धराया गया और इसके साथ ही श्रीनाथजी के सामने पके हुए 100 क्विंटल चावल का भोग लगाया गया. इस चावल व अन्य भोग सामग्रियों को आदिवासी समाज के लोग लूट कर ले गए. करीब 350 सालों से यह परंपरा निभाई जा रही है.

श्रीनाथजी को लगाया गया अन्नकूट का भोग

औषधि के रूप में चावल का उपयोग

आदिवासी लोगों ने बताया कि इस चावल का उपयोग अपने सगे संबंधियों में बांटने और औषधि के रूप में करते हैं. इस चावल को वे अपने घर में रखते हैं और उनकी मान्यता है कि इससे घर में धनधान्य बना रहता है और किसी प्रकार के कष्ट नहीं आते हैं.

देर रात निभाई गई परंपरा

रात साढ़े ग्यारह बजे के करीब अन्नकूट लूट की परंपरा निभाई गई, जिसमें आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से आए आदिवासी समाज के लोगो ने "धी.. धी.." की आवाज करते हुए अन्नकूट के चावल को लूटा.

पढ़ें- 350 वर्ष पुरानी परंपरा अनुसार श्रीनाथजी में धूमधाम से मनाया दीपोत्सव, आदिवासी लूटेंगे अन्नकूट

दर्शनार्थियों ने किया दर्शन

दर्शनार्थियों ने बताया कि श्रीजी का दरबार अलौकिक परम्पराओं से भरा हुआ है. यहां आकर अन्नकूट व गोवर्धन पूजा के दर्शन कर अभिभूत हो जाते हैं. कोरोना के बाद व्यवस्थाओं में किए गए बदलाव भी काफी अच्छे हैं, जिससे आराम से सभी को दर्शन हो रहे हैं.

nathdwara shrinathji temple, Annakoot offered to Shrinathji
आदिवासियों ने लूटा भोग

पिछले वर्ष कोरोना के कारण इस परंपरा को केवल सांकेतिक रूप में मनाया गया था. लेकिन इस वर्ष कुछ बदलावों के साथ धूमधाम से मने अन्नकूट उत्सव का सैकड़ों लोगों ने आनंद लिया. वहीं, मंदिर प्रशासन की ओर से इस वर्ष सभी दर्शनार्थियों और नगर के लोगों को भी अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया गया.

पढ़ें- अन्नकूट पर अनूठी परंपरा : सांपला गांव में भगवान की सवारी के नीचे से नहीं निकली गाय...अकाल की आशंका, पुजारियों को हस्तबंधन का दंड

क्या है अन्नकूट

भिन्न प्रकार यानी अलग-अलग तरह की सब्जियों और अन्न के समूह को अन्नकूट कहा जाता है. अपने सामर्थ्य के मुताबिक इस दिन लोग अलग-अलग प्रकार की सब्जियों को मिलाकर एक विशेष प्रकार की मिक्स सब्जी तैयार करते हैं और इसे भगवान श्रीकृष्ण को चढ़ाते हैं. इसके अलावा तरह-तरह के अन्न के पकवान बनाए और श्रीकृष्ण को चढ़ाए जाते हैं.

गोवर्धन पूजा का प्रभु श्रीनाथजी के मंदिर में विशेष महत्व

दीपावली में गोवर्धन पूजा का प्रभु श्रीनाथजी के मंदिर में विशेष महत्व है. नाथद्वारा में दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव और गोवर्धन पूजा का उत्सव मनाया जाता है. इस दौरान गौ क्रीड़ा के दौरान ग्वाल बाल गायों को रिझाते हैं. गौमाता भी ग्वाल बाल को अपने पुत्र समान समझकर उनके साथ खेलती हैं. सैकड़ों लोगों की भीड़ के बीच होने वाले इस खेल में किसी दर्शक को आज तक चोट नहीं लगी है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि गौ माता सभी लोगों को पुत्र समान समझकर वात्सल्य स्वरूप उनके साथ खेलती हैं लेकिन उन्हें चोट नहीं पहुंचाती है.

nathdwara shrinathji temple, Annakoot offered to Shrinathji
भोग लूट कर ले जाते लोग

यह है आदिवासी समुदाय की मान्यता

आदिवासी समुदाय की मान्यता है कि प्रभु श्रीनाथजी के यह चावल साल भर घर में रखने से उनके घर धन-धान्य बना रहता है. वहीं किसी भी बीमारी में इन चावलों का उपयोग आदिवासी समुदाय के ये लोग औषधि के रूप में करते हैं. हर वर्ष इसी भांति अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है. करीब 350 सालों से चली आ रही है यह परंपरा इस वर्ष भी हर्षोल्लास से मनाई जाएगी.

नाथद्वारा (राजसमंद). श्री नाथद्वारा मंदिर में शुक्रवार को प्रतिवर्ष की भांति अन्नकूट महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. अन्नकूट के अवसर पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी व लालन को छप्पन भोग का भोग धराया गया और इसके साथ ही श्रीनाथजी के सामने पके हुए 100 क्विंटल चावल का भोग लगाया गया. इस चावल व अन्य भोग सामग्रियों को आदिवासी समाज के लोग लूट कर ले गए. करीब 350 सालों से यह परंपरा निभाई जा रही है.

श्रीनाथजी को लगाया गया अन्नकूट का भोग

औषधि के रूप में चावल का उपयोग

आदिवासी लोगों ने बताया कि इस चावल का उपयोग अपने सगे संबंधियों में बांटने और औषधि के रूप में करते हैं. इस चावल को वे अपने घर में रखते हैं और उनकी मान्यता है कि इससे घर में धनधान्य बना रहता है और किसी प्रकार के कष्ट नहीं आते हैं.

देर रात निभाई गई परंपरा

रात साढ़े ग्यारह बजे के करीब अन्नकूट लूट की परंपरा निभाई गई, जिसमें आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से आए आदिवासी समाज के लोगो ने "धी.. धी.." की आवाज करते हुए अन्नकूट के चावल को लूटा.

पढ़ें- 350 वर्ष पुरानी परंपरा अनुसार श्रीनाथजी में धूमधाम से मनाया दीपोत्सव, आदिवासी लूटेंगे अन्नकूट

दर्शनार्थियों ने किया दर्शन

दर्शनार्थियों ने बताया कि श्रीजी का दरबार अलौकिक परम्पराओं से भरा हुआ है. यहां आकर अन्नकूट व गोवर्धन पूजा के दर्शन कर अभिभूत हो जाते हैं. कोरोना के बाद व्यवस्थाओं में किए गए बदलाव भी काफी अच्छे हैं, जिससे आराम से सभी को दर्शन हो रहे हैं.

nathdwara shrinathji temple, Annakoot offered to Shrinathji
आदिवासियों ने लूटा भोग

पिछले वर्ष कोरोना के कारण इस परंपरा को केवल सांकेतिक रूप में मनाया गया था. लेकिन इस वर्ष कुछ बदलावों के साथ धूमधाम से मने अन्नकूट उत्सव का सैकड़ों लोगों ने आनंद लिया. वहीं, मंदिर प्रशासन की ओर से इस वर्ष सभी दर्शनार्थियों और नगर के लोगों को भी अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया गया.

पढ़ें- अन्नकूट पर अनूठी परंपरा : सांपला गांव में भगवान की सवारी के नीचे से नहीं निकली गाय...अकाल की आशंका, पुजारियों को हस्तबंधन का दंड

क्या है अन्नकूट

भिन्न प्रकार यानी अलग-अलग तरह की सब्जियों और अन्न के समूह को अन्नकूट कहा जाता है. अपने सामर्थ्य के मुताबिक इस दिन लोग अलग-अलग प्रकार की सब्जियों को मिलाकर एक विशेष प्रकार की मिक्स सब्जी तैयार करते हैं और इसे भगवान श्रीकृष्ण को चढ़ाते हैं. इसके अलावा तरह-तरह के अन्न के पकवान बनाए और श्रीकृष्ण को चढ़ाए जाते हैं.

गोवर्धन पूजा का प्रभु श्रीनाथजी के मंदिर में विशेष महत्व

दीपावली में गोवर्धन पूजा का प्रभु श्रीनाथजी के मंदिर में विशेष महत्व है. नाथद्वारा में दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्सव और गोवर्धन पूजा का उत्सव मनाया जाता है. इस दौरान गौ क्रीड़ा के दौरान ग्वाल बाल गायों को रिझाते हैं. गौमाता भी ग्वाल बाल को अपने पुत्र समान समझकर उनके साथ खेलती हैं. सैकड़ों लोगों की भीड़ के बीच होने वाले इस खेल में किसी दर्शक को आज तक चोट नहीं लगी है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि गौ माता सभी लोगों को पुत्र समान समझकर वात्सल्य स्वरूप उनके साथ खेलती हैं लेकिन उन्हें चोट नहीं पहुंचाती है.

nathdwara shrinathji temple, Annakoot offered to Shrinathji
भोग लूट कर ले जाते लोग

यह है आदिवासी समुदाय की मान्यता

आदिवासी समुदाय की मान्यता है कि प्रभु श्रीनाथजी के यह चावल साल भर घर में रखने से उनके घर धन-धान्य बना रहता है. वहीं किसी भी बीमारी में इन चावलों का उपयोग आदिवासी समुदाय के ये लोग औषधि के रूप में करते हैं. हर वर्ष इसी भांति अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है. करीब 350 सालों से चली आ रही है यह परंपरा इस वर्ष भी हर्षोल्लास से मनाई जाएगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.