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द्वारकाधीश मंदिर में प्रभु को छप्पन भोग लगाया गया और भील समाज ने लूटा अंकुर - Dwarkadhish temple in Rajsamand

राजसमंद में अन्नकूट लूट की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस परंपरा के तहत अन्नकूट दर्शन से पूर्व द्वारकाधीश प्रभु को छप्पन भोग लगाया जाता है. कांकरोली स्थित प्रभु द्वारकाधीश मंदिर में अन्नकूट लूट कार्यक्रम आयोजित किया गया.

राजसमंद, Annakoot loot
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Published : Oct 29, 2019, 4:09 PM IST

राजसमंद. जिला मुख्यालय के कांकरोली स्थित प्रभु द्वारकाधीश मंदिर में देर रात आदिवासी भील समाज द्वारा अन्नकूट लूटा गया. अन्नकूट दर्शन से पूर्व द्वारकाधीश प्रभु को छप्पन भोग लगाया गया. इस दर्शन का लाभ लेने हजारों की संख्या में महाराष्ट्र, गुजरात सहित स्थानीय श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी.

कांकरोली स्थित प्रभु द्वारकाधीश मंदिर में अन्नकूट लूट कार्यक्रम

15 क्विंटल चावल से बने अन्नकूट भोग को सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार भील समाज ने लूटा. वहीं, चावल के लगे ढेर पर गुंजा रखा गया. इसके अलावा भाजी, अंकुरि, थुल्ली, मीठी सेव आदि के कुण्डवरे और मटके भर कर रखे गए, जिसे सर्वप्रथम स्थानीय ब्रज वासियों द्वारा लूटा गया. बता दें कि अन्नकूट लूट में सबसे पहले मंदिर में कार्य करने वाले लोग छप्पनभोग की प्रसादी को लूटते है. इसके बाद आदिवासी समुदाय के लोगों के लिए मंदिर के द्वार खोले जाते हैं. सोमवार को स्थानीय ब्रजवासियों ने लूट की शुरुआत की, जिसके बाद अन्नकूट लूट का कार्यक्रम शुरू हुआ.

लेकिन अन्नकूट लूट के दौरान भील समाज के एक गुट ने लूटने से मना कर दिया, जिसके चलते काफी देर तक सालों से चली आ रही परंपरा पर कुछ देर के लिए विराम लग गया. इसके बाद मंदिर और पुलिस प्रशासन द्वारा समझाइश कर कार्यक्रम को सुचारू किया गया.

पढ़ें: झालावाड़ में गैंस सिलेंडर लीकेज मामला: 1 हफ्ते पहले आग लगने के दौरान 4 बच्चों सहित 6 लोग हुए थे घायल, 2 की मौत

बता दें कि सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार राजसमंद के बल्लभ संप्रदाय के दो प्रमुख मंदिरों नाथद्वारा के श्रीनाथजी और कांकरोली के द्वारकाधीश मंदिर में भील समाज द्वारा अन्नकूट लूट की परंपरा है. इस परंपरा को देखने के लिए और इसमें शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में वैष्णव जन इन दोनों ही मंदिरों में पहुंचते हैं और इस अलौकिक पर्व में शामिल होते हैं.

राजसमंद. जिला मुख्यालय के कांकरोली स्थित प्रभु द्वारकाधीश मंदिर में देर रात आदिवासी भील समाज द्वारा अन्नकूट लूटा गया. अन्नकूट दर्शन से पूर्व द्वारकाधीश प्रभु को छप्पन भोग लगाया गया. इस दर्शन का लाभ लेने हजारों की संख्या में महाराष्ट्र, गुजरात सहित स्थानीय श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी.

कांकरोली स्थित प्रभु द्वारकाधीश मंदिर में अन्नकूट लूट कार्यक्रम

15 क्विंटल चावल से बने अन्नकूट भोग को सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार भील समाज ने लूटा. वहीं, चावल के लगे ढेर पर गुंजा रखा गया. इसके अलावा भाजी, अंकुरि, थुल्ली, मीठी सेव आदि के कुण्डवरे और मटके भर कर रखे गए, जिसे सर्वप्रथम स्थानीय ब्रज वासियों द्वारा लूटा गया. बता दें कि अन्नकूट लूट में सबसे पहले मंदिर में कार्य करने वाले लोग छप्पनभोग की प्रसादी को लूटते है. इसके बाद आदिवासी समुदाय के लोगों के लिए मंदिर के द्वार खोले जाते हैं. सोमवार को स्थानीय ब्रजवासियों ने लूट की शुरुआत की, जिसके बाद अन्नकूट लूट का कार्यक्रम शुरू हुआ.

लेकिन अन्नकूट लूट के दौरान भील समाज के एक गुट ने लूटने से मना कर दिया, जिसके चलते काफी देर तक सालों से चली आ रही परंपरा पर कुछ देर के लिए विराम लग गया. इसके बाद मंदिर और पुलिस प्रशासन द्वारा समझाइश कर कार्यक्रम को सुचारू किया गया.

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बता दें कि सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार राजसमंद के बल्लभ संप्रदाय के दो प्रमुख मंदिरों नाथद्वारा के श्रीनाथजी और कांकरोली के द्वारकाधीश मंदिर में भील समाज द्वारा अन्नकूट लूट की परंपरा है. इस परंपरा को देखने के लिए और इसमें शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में वैष्णव जन इन दोनों ही मंदिरों में पहुंचते हैं और इस अलौकिक पर्व में शामिल होते हैं.

Intro:राजसमंद - जिला मुख्यालय के कांकरोली स्थित प्रभु द्वारकाधीश मंदिर में देर रात आदिवासी भील समाज द्वारा अन्नकूट लूटा गया। अन्नकूट दर्शन से पूर्व द्वारकाधीश प्रभु को छप्पन भोग धराया गया। इस दर्शन का लाभ लेने हजारोंं की संख्या में महाराष्ट्र, गुजरात सहित स्थानीय श्रद्धालुओं ने इस दर्शन का लाभ लिया । 15 क्विंटल चावल से बने अन्नकूट भोग को वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार भील समाज ने लूटा। वही चावल के लगे ढेर पर गुंजा रखा गया इसके अलावा भाजी , अंकुरि, थुल्ली , मीठी सेव आदि के कुण्डवरे ओर मटके भर कर रखे गए जिसे सर्वप्रथम स्थानीय ब्रज वासियों द्वारा लूटा गया । दरअसल अन्नकूट लूट में सबसे पहले मंदिर में कार्य करने वाले लोग छप्पनभोग की प्रशादी को लूटते है उसके बाद आदिवासी समुदाय के लोगो के लिये मंदिर के द्वार खोल दिए जाते हैं ।
कल भी स्थानीय ब्रजवासियों ने लूट की शुरुआत की जिसके बाद अन्नकूट लूट का कार्यक्रम शुरू हुआ लेकिन अन्नकूट लूट के दौरान भील समाज के एक गुट ने लूटने से मना कर दिया जिसके चलते काफी देर तक वर्षों से चली आ रही परंपरा पर कुछ देर के लिए विराम लग गया। जिसके बाद मंदिर प्रशासन व पुलिस प्रशासन द्वारा समझाइश कर कार्यक्रम को सुचारू किया गया । वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार राजसमंद के वल्लभ संप्रदाय के दो प्रमुख मंदिरों नाथद्वारा के श्रीनाथजी  और कांकरोली के द्वारकाधीश मंदिर में भील समाज द्वारा अन्नकूट लूट की परंपरा है।Body:इस परंपरा को देखने के लिए और इसमें शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में वैष्णव जन इन दोनों ही मंदिरों में पहुंचते हैं और इस अलौकिक पर्व में शामिल होते हैं.Conclusion:
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