प्रतापगढ़. संस्कृति और लोककला को दर्शाते शहर से 10 किलोमीटर दूर स्थित (Ram with mustache in Devgarh temple) देवगढ़ के मंदिरों में अनोखी कलाकृति देखने को मिलती है. कभी प्रतापगढ़ रियासत की राजधानी रहे देवगढ़ में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां विराजित पुरातात्विक प्रतिमा और कलाकृति देखते ही लुभा लेती हैं. यही वजह है कि देवगढ़ नगरी को देवताओं की नगरी भी कहा जाता है.
देवताओं की नगरी में स्थित मंदिरों में बेशकीमती मूर्तियां विराजित हैं. लेकिन पुरातात्विक विभाग की लापरवाहियों के कारण ये नगरी दिनों-दिन उजाड़ होती जा रही हैं. यहां बने प्राचीन मंदिर रख-रखाव के अभाव में दम तोड़ रहे हैं. यहां के कई मंदिरों से तो सुरक्षा के अभाव में मूर्तियां तक गायब हो चुकी हैं. बता दें कि देवगढ़ में छोटे-बड़े मिलाकर करीब 52 मंदिर बने हुए हैं. इन मंदिरों में बनी कलाकृतियां यहां आने वाले पर्यटकों का मन मोह लेती है. लेकिन पर्यटन के बेहतर इंतजाम नहीं होने के कारण अब यहां पर्यटक भी कम ही आते हैं. मंदिर के पुजारियों ने भी देवस्थान विभाग को कई बार मंदिरों की सुरक्षा के लिए लिखा, लेकिन विभाग की ओर से भी कोई खास इंतजाम नहीं किए गए.
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देवगढ़ के मंदिरों की खास पहचान: यहां के अनोखे मंदिरों की वजह से प्रतापगढ़ (Unique temples of Pratapgarh) में देवगढ़ एक अलग पहचान रखता है. देवगढ़ में स्थित राम मंदिर एक ऐसा अनूठा मंदिर है, जहां भगवान राम की दाढ़ी मूंछों वाली प्रतिमा विराजित है. देवस्थान विभाग के अधीन इस मंदिर में माता सीता के साथ दाढ़ी मूछों वाले राम की प्रतिमा विराजित है. कहा जाता है कि काले पत्थर से बनी भगवान राम की ये प्राचीन प्रतिमा दुर्लभ और बेशकीमती है. बता दें कि सैकड़ाें साल पुराने इस मंदिर में विराजित प्रतिमा भी काफी पुरानी है. मंदिर में सुरक्षा के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं होने के कारण पुरातात्विक और अति प्राचीन मंदिर खतरे में है.
भगवान विष्णु के अवतारों की कलाकृतिसां देवगढ़ में भगवान राम के मंदिर से कुछ दूरी पर है. भगवान केशवरायजी का भी अति प्राचीन और दुर्लभ मंदिर यहीं पर बना हुआ है. इस मंदिर में भगवान राधा-कृष्ण की प्राचीन और काले पत्थर से बनी अति दुर्लभ प्रतिमा विराजित है. बताया जाता है कि ये प्रतिमा अति प्राचीन और सैकड़ों साल पुरानी है. मूर्ति के साथ-साथ मंदिर की जो नक्काशी है, वो भी अति प्राचीन हैं. इस मंदिर में भगवान कृष्ण के गोपियों के साथ रास के अलावा भगवान विष्णु के 10 अवतारों की भी कलाकृतियां दीवारों पर बनी हुई हैं.
महल से जुड़ा है बावड़ी का रास्ता: मंदिर के साथ राजाओं की नगरी होने और एक धनाढ्य नगर होने के कारण देवगढ़ में कई बावड़ियां भी बनी हुई हैं. मंदिरों के साथ-साथ यहां की बावड़ियों की भी नक्काशी अनोखे तरीके से की गई है. बावड़ी में सीढ़ियों से उतरने के बाद अंदर दोनों तरफ गुफाएं बनी हुई हैं. कहा जाता है कि देवगढ़ में बने महल के अंदर से इन बावड़ियों का सीधा रास्ता है. महल से रानियां अपनी दासियों के साथ बावड़ियों में स्नान करने के लिए आती थीं.
देवगढ़ में प्रवेश करते ही मंदिर, बावड़ी और छतरियों की सुंदरता देखते ही बनती है. देवगढ़ के मंदिरों पर भगवान राम के वनवास की अवधि के हर प्रसंग को चित्रों के माध्यम से दीवारों पर उकेरा गया है. हालांकि रख-रखाव के अभाव में इस मंदिर में बनीं इन कई नक्काशियाें को भी नुकसान पहुंचा है. इससे मंदिर की सुंदरता भी प्रभावित हो रही है. मंदिरों पर सुंदर नक्काशी के जरिए भगवान विष्णु के दसों अवतारों मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि अवतार की नक्काशी दीवार पर बनी है. लेकिन इनके संरक्षण पर ध्यान देने की जरुरत है.