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कोरोना से जंग में प्रतापगढ़ की 'विजय' - प्रतापगढ़ कोरोना

प्रतापगढ़ राज्य का एकमात्र और देश के उन 25 जिलों में शुमार है, जहां कोरोना मरीज सही हुए हैं और कोरोनावायरस को आगे फैलने भी नहीं दिया है. देश के 15 राज्यों की सूची में प्रतापगढ़ राजस्थान का एकमात्र जिला है. जहां विगत 14 दिनों में कोरोना के पॉजिटिव का एक भी मामला सामने नहीं आया.

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कोरोना मु्क्त होने की ओर प्रतापगढ़
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Published : Apr 16, 2020, 7:17 PM IST

प्रतापगढ़. बेहतर प्रबंधन, टीमवर्क और जन सहयोग के चलते प्रतापगढ़ कोरोनावायरस पर जीत हासिल करने की ओर है. कोविड-19 से लड़ने में प्रतापगढ़ मॉडल के रूप में उभर कर सामने आया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इसकी तारीफ की है. प्रतापगढ़ राज्य का एकमात्र और देश के उन 25 जिलों में शुमार है, जहां कोरोना मरीज सही हुए हैं और कोरोनावायरस को आगे फैलने भी नहीं दिया है.

कोरोना मु्क्त होने की ओर प्रतापगढ़

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने नई दिल्ली में अपनी नियमित प्रेस ब्रीफिंग में प्रतापगढ़ की इस उपलब्धि का उल्लेख किया है. उन्होंने कहा है कि कोविड-19 के नियंत्रण और रोकथाम में बेहतर प्रबंधन के मामले में प्रतापगढ़ जिला देश के चुनिंदा जिलों में शुमार है. देश के 15 राज्यों की सूची में प्रतापगढ़ राजस्थान का एकमात्र जिला है. जहां विगत 14 दिनों में कोरोना के पॉजिटिव का एक भी मामला सामने नहीं आया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि राज्य के 25 जिलों सहित प्रतापगढ़ में जिला प्रशासन की ओर से बेहतर रोकथाम की रणनीति के तहत काम हुआ है. इससे यह जिले कोरोना मुक्त होने की ओर है.

पढ़ेंः पांच के पंच से COVID-19 पस्त, अजमेर कोरोना वायरस से मुक्त

प्रशासन ने चार चरणों मे किया का

कोरोना वायरस से लड़ने और इसकी रोकथाम के लिए प्रशासन ने चार चरण की रणनीति बनाई स्क्रीनिंग, तुरंत जांच, इलाज और आइसोलेशन. कोरोना का पहला रोगी 20 मार्च को सामने आया. अगले दिन उसकी पत्नी भी कोरोना पॉजिटिव पाई गई. दोनों को बिना देर किए इलाज करवाने उदयपुर के लिए रैफर किया. उनके घर के आसपास के 1 किलोमीटर दायरे को सील कर स्क्रीनिंग करवाई गई. उसके बाद ट्रैवल हिस्ट्री खंगाल कर संपर्कों का पता लगाकर उनकी भी स्क्रीनिंग कराई गई. उन सबको होम आइसोलेशन किया और उन पर निरंतर निगरानी रखी गई.

पढ़ेंः नागौरः अब पुराने अस्पताल भवन में मिल रही मेडिकल OPD सुविधा, पहले दिन पहुंचे 150 मरीज

इसके बाद तुरंत क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाए गए. जो लोग होम आइसोलेशन में नहीं रह सके उन्हें क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया. जिला अस्पताल को कोरोनावायरस समर्पित अस्पताल बनाया गया. वहीं रणनीति के तहत जिले की सीमाओं को पूरी तरह से सील किया गया ताकि कोई नया कोरोना रोगी जिले में नहीं आ पाए. लोगों को घरों में रहने के लिए तैयार किया गया साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग करवाई गई. अंतिम चरण में डोर टू डोर सर्वे करवाया गया ताकि यह सुनिश्चित करवाया जा सके कि कोई कोरोना पीड़ित इलाज से छूट ना गया हो.

सभी विभागों ने आपस में रखा समन्वय

सीएमएचओ डॉ. वीके जैन ने बताया कि जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, खाद्य सुरक्षा विभाग, शिक्षा विभाग के शिक्षक, नगर परिषद और जिला के ग्रामीण पंचायत प्रशासन के साथ बेहतर समन्वय से ही यह उपलब्धि हासिल हुई है. इसमें ग्राउंड स्तर पर काम करने वाले डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, नर्स, एएनएम, आशा सहयोगिनी, आयुषकर्मी, सफाई और पुलिस जैसे तमाम उन लोगों का काम सराहनीय रहा है.

प्रतापगढ़. बेहतर प्रबंधन, टीमवर्क और जन सहयोग के चलते प्रतापगढ़ कोरोनावायरस पर जीत हासिल करने की ओर है. कोविड-19 से लड़ने में प्रतापगढ़ मॉडल के रूप में उभर कर सामने आया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इसकी तारीफ की है. प्रतापगढ़ राज्य का एकमात्र और देश के उन 25 जिलों में शुमार है, जहां कोरोना मरीज सही हुए हैं और कोरोनावायरस को आगे फैलने भी नहीं दिया है.

कोरोना मु्क्त होने की ओर प्रतापगढ़

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने नई दिल्ली में अपनी नियमित प्रेस ब्रीफिंग में प्रतापगढ़ की इस उपलब्धि का उल्लेख किया है. उन्होंने कहा है कि कोविड-19 के नियंत्रण और रोकथाम में बेहतर प्रबंधन के मामले में प्रतापगढ़ जिला देश के चुनिंदा जिलों में शुमार है. देश के 15 राज्यों की सूची में प्रतापगढ़ राजस्थान का एकमात्र जिला है. जहां विगत 14 दिनों में कोरोना के पॉजिटिव का एक भी मामला सामने नहीं आया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि राज्य के 25 जिलों सहित प्रतापगढ़ में जिला प्रशासन की ओर से बेहतर रोकथाम की रणनीति के तहत काम हुआ है. इससे यह जिले कोरोना मुक्त होने की ओर है.

पढ़ेंः पांच के पंच से COVID-19 पस्त, अजमेर कोरोना वायरस से मुक्त

प्रशासन ने चार चरणों मे किया का

कोरोना वायरस से लड़ने और इसकी रोकथाम के लिए प्रशासन ने चार चरण की रणनीति बनाई स्क्रीनिंग, तुरंत जांच, इलाज और आइसोलेशन. कोरोना का पहला रोगी 20 मार्च को सामने आया. अगले दिन उसकी पत्नी भी कोरोना पॉजिटिव पाई गई. दोनों को बिना देर किए इलाज करवाने उदयपुर के लिए रैफर किया. उनके घर के आसपास के 1 किलोमीटर दायरे को सील कर स्क्रीनिंग करवाई गई. उसके बाद ट्रैवल हिस्ट्री खंगाल कर संपर्कों का पता लगाकर उनकी भी स्क्रीनिंग कराई गई. उन सबको होम आइसोलेशन किया और उन पर निरंतर निगरानी रखी गई.

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इसके बाद तुरंत क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाए गए. जो लोग होम आइसोलेशन में नहीं रह सके उन्हें क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया. जिला अस्पताल को कोरोनावायरस समर्पित अस्पताल बनाया गया. वहीं रणनीति के तहत जिले की सीमाओं को पूरी तरह से सील किया गया ताकि कोई नया कोरोना रोगी जिले में नहीं आ पाए. लोगों को घरों में रहने के लिए तैयार किया गया साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग करवाई गई. अंतिम चरण में डोर टू डोर सर्वे करवाया गया ताकि यह सुनिश्चित करवाया जा सके कि कोई कोरोना पीड़ित इलाज से छूट ना गया हो.

सभी विभागों ने आपस में रखा समन्वय

सीएमएचओ डॉ. वीके जैन ने बताया कि जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, खाद्य सुरक्षा विभाग, शिक्षा विभाग के शिक्षक, नगर परिषद और जिला के ग्रामीण पंचायत प्रशासन के साथ बेहतर समन्वय से ही यह उपलब्धि हासिल हुई है. इसमें ग्राउंड स्तर पर काम करने वाले डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, नर्स, एएनएम, आशा सहयोगिनी, आयुषकर्मी, सफाई और पुलिस जैसे तमाम उन लोगों का काम सराहनीय रहा है.

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