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SPECIAL: आर्थिक तंगी के मुहाने पर खड़े शिक्षक, कोरोना से घर चलाना हुआ मुश्किल

देश में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन से अर्थव्यव्सथा पर इसका व्यापक असर देखने को मिला था. इस बीच केंद्र सरकार ने इसको दुरुस्त करने के लिए अनलॉक की प्रक्रिया को शुरू किया. लेकिन अनलॉक की गाइडलाइन में कहीं भी स्कूलों को खोलने का जिक्र नहीं हो पाया है. जिससे इन संस्थाओं से जुड़े हजारों शिक्षकों के सामने परिवार का पेट पालना भी कड़ी चुनौती साबित हो रहा है.

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आर्थिक तंगी के मुहाने पर खड़े शिक्षक
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Published : Oct 27, 2020, 11:33 PM IST

पाली. कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए सरकार की ओर से लॉकडाउन लगाया था. जिसके बाद लोगों की जरूरतों को देखते हुए सरकार द्वारा अनलॉक का निर्णय लिया गया. अनलॉक की प्रक्रिया के बाद कई उद्योग और रोजगार फिर से शुरू गए. लोगों की आम जिंदगी फिर पटरी पर है. लेकिन अभी तक जारी की गई अनलॉक की गाइडलाइन में कहीं भी स्कूलों को खोलने का जिक्र नहीं हो पाया है.

आर्थिक तंगी के मुहाने पर खड़े शिक्षक

पिछले दिनों सरकार की ओर से 30 नवंबर तक स्कूलों को बंद रखने का निर्देश दिया गया. ऐसे में निजी शिक्षण संस्थानों से जुड़े शिक्षकों पर इस बंद की गाज गिर रही है. इन संस्थाओं से जुड़े हजारों शिक्षकों को अप्रैल के बाद से वेतन नहीं मिल पाया है. ऐसे में इन शिक्षकों के सामने परिवार का पेट पालना भी कड़ी चुनौती साबित हो रहा है. कई शिक्षक ऐसे भी थे जिन्होंने अपना पेशा ही बदल दिया है. लेकिन आज भी कई शिक्षक हैं जो दूसरा रोजगार नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में वह अपना वेतन लेने के लिए इधर से उधर भटक रहे हैं.

बता दें कि जिले में छोटे-बड़े 772 निजी शिक्षण संस्थान संचालित हो रहे हैं. इन निजी शिक्षण संस्थानों से एक करीब ढाई हजार से ज्यादा शिक्षक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं. कोरोना संक्रमण के चलते पिछले 7 माह से यह सभी निजी शिक्षण संस्थान पूरी तरह से बंद है. इसके चलते जब से स्कूल बंद हुई उस समय से इन शिक्षकों को किसी भी प्रकार का वेतन नहीं दिया गया. सरकार की ओर से गाइडलाइन में शिक्षकों को वेतन देने का देश दिया गया था. लेकिन इन निर्देशों की पालना निजी शिक्षण संस्थान अभी तक नहीं कर पाए हैं.

पढ़ेंः SPECIAL: पाली की सड़कें खुद ही बयां कर रही बदहाली की कहानी, भारी पड़ रही अफसरों की लापरवाही

इन शिक्षकों की ओर से कई बार अपने शिक्षण संस्थाओं में वेतन की मांग भी की गई लेकिन स्कूल नहीं चलना और विद्यार्थियों की फीस नहीं आना विद्यालय प्रबंधन के सामने सबसे बड़ा बहाना बनाकर भी सामने आया. ऐसे में 7 माह से यह शिक्षक पूरी तरह से बेरोजगार है. रोजगार का साधन भी नहीं होने से इन शिक्षकों को अपने वेतन और परिवार का पेट पालने के लिए इधर से उधर अधिकारियों के सामने गुहार लगानी पड़ रही है.

ऑनलाइन स्कूल में भी नहीं मिल रहा शिक्षकों को रोजगार

निजी शिक्षण संस्थान से जुड़े शिक्षकों ने बताया कि कई स्कूलों की ओर से ऑनलाइन स्कूल शिक्षण पद्धति खोली गई है. लेकिन इसमें भी उन्हें अभी तक रोजगार नहीं मिल पा रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि 6 से 7 स्कूल मिलकर एक ही शिक्षक द्वारा उस अध्याय को ऑनलाइन कर रहे हैं. जिसके कारण एक ही अध्यापक से यह सारा काम हो जाता है और उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा.

पढ़ेंः स्पेशल: फैशन शो में रैंप वॉक पर जलवा बिखेरने वालों पर कोरोना का साया, कहा- सरकार से आस

कई शिक्षकों ने पकड़ा दूसरा रोजगार

निजी शिक्षण संस्था से जुड़े इन शिक्षकों ने बताया कि पिछले 7 माह से या लोग बेरोजगार चल रहे हैं. शिक्षकों की स्थिति आर्थिक स्थिति मजबूत थी और शिक्षक अभी भी शिक्षा क्षेत्र से ही जुड़े हुए हैं. लेकिन कई शिक्षक की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से कमजोर थी. उन शिक्षकों ने अपना पेशा ही बदल दिया है. अब कई शिक्षक अन्य रोजगार में जा रहे हैं. जिनमें सबसे ज्यादा कपड़ा उद्योग में मजदूरी कर रहे हैं.

30 नंवबर तक नहीं खुलेंगे स्कूल

सरकार की ओर से हाल ही में जारी की गई गाइडलाइन में स्कूलों को खोलने से इंकार कर दिया गया है. कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार की ओर से आगामी 30 नवंबर तक स्कूलों की स्थिति वैसे ही रखने का कहा है. ऐसे में आगे भी संक्रमण के संभावनाओं को देखते हुए इन शिक्षकों को इस सीजन में स्कूल खुलने संभव नहीं लग रहे हैं. जिसके चलते यह शिक्षक अपने वेतन के लिए अधिकारियों के सामने गुहार भी करते नजर आ रहे हैं.

जिले में 772 है निजी शिक्षण संस्थान

  • ढाई हजार से ज्यादा शिक्षक जुड़े हैं इन शिक्षण संस्थानों से
  • कोरोना संक्रमण के चलते 7 माह से बंद पड़े हैं स्कूल
  • अप्रैल के बाद नहीं मिला किसी भी निजी शिक्षण संस्थान से जुड़े शिक्षकों को वेतन-
  • सरकार के फैसले ने और बढ़ाई शिक्षकों की चिंता
  • परिवार का पेट पालना भी शिक्षकों के लिए कड़ी चुनौती

पाली. कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए सरकार की ओर से लॉकडाउन लगाया था. जिसके बाद लोगों की जरूरतों को देखते हुए सरकार द्वारा अनलॉक का निर्णय लिया गया. अनलॉक की प्रक्रिया के बाद कई उद्योग और रोजगार फिर से शुरू गए. लोगों की आम जिंदगी फिर पटरी पर है. लेकिन अभी तक जारी की गई अनलॉक की गाइडलाइन में कहीं भी स्कूलों को खोलने का जिक्र नहीं हो पाया है.

आर्थिक तंगी के मुहाने पर खड़े शिक्षक

पिछले दिनों सरकार की ओर से 30 नवंबर तक स्कूलों को बंद रखने का निर्देश दिया गया. ऐसे में निजी शिक्षण संस्थानों से जुड़े शिक्षकों पर इस बंद की गाज गिर रही है. इन संस्थाओं से जुड़े हजारों शिक्षकों को अप्रैल के बाद से वेतन नहीं मिल पाया है. ऐसे में इन शिक्षकों के सामने परिवार का पेट पालना भी कड़ी चुनौती साबित हो रहा है. कई शिक्षक ऐसे भी थे जिन्होंने अपना पेशा ही बदल दिया है. लेकिन आज भी कई शिक्षक हैं जो दूसरा रोजगार नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में वह अपना वेतन लेने के लिए इधर से उधर भटक रहे हैं.

बता दें कि जिले में छोटे-बड़े 772 निजी शिक्षण संस्थान संचालित हो रहे हैं. इन निजी शिक्षण संस्थानों से एक करीब ढाई हजार से ज्यादा शिक्षक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं. कोरोना संक्रमण के चलते पिछले 7 माह से यह सभी निजी शिक्षण संस्थान पूरी तरह से बंद है. इसके चलते जब से स्कूल बंद हुई उस समय से इन शिक्षकों को किसी भी प्रकार का वेतन नहीं दिया गया. सरकार की ओर से गाइडलाइन में शिक्षकों को वेतन देने का देश दिया गया था. लेकिन इन निर्देशों की पालना निजी शिक्षण संस्थान अभी तक नहीं कर पाए हैं.

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इन शिक्षकों की ओर से कई बार अपने शिक्षण संस्थाओं में वेतन की मांग भी की गई लेकिन स्कूल नहीं चलना और विद्यार्थियों की फीस नहीं आना विद्यालय प्रबंधन के सामने सबसे बड़ा बहाना बनाकर भी सामने आया. ऐसे में 7 माह से यह शिक्षक पूरी तरह से बेरोजगार है. रोजगार का साधन भी नहीं होने से इन शिक्षकों को अपने वेतन और परिवार का पेट पालने के लिए इधर से उधर अधिकारियों के सामने गुहार लगानी पड़ रही है.

ऑनलाइन स्कूल में भी नहीं मिल रहा शिक्षकों को रोजगार

निजी शिक्षण संस्थान से जुड़े शिक्षकों ने बताया कि कई स्कूलों की ओर से ऑनलाइन स्कूल शिक्षण पद्धति खोली गई है. लेकिन इसमें भी उन्हें अभी तक रोजगार नहीं मिल पा रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि 6 से 7 स्कूल मिलकर एक ही शिक्षक द्वारा उस अध्याय को ऑनलाइन कर रहे हैं. जिसके कारण एक ही अध्यापक से यह सारा काम हो जाता है और उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा.

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कई शिक्षकों ने पकड़ा दूसरा रोजगार

निजी शिक्षण संस्था से जुड़े इन शिक्षकों ने बताया कि पिछले 7 माह से या लोग बेरोजगार चल रहे हैं. शिक्षकों की स्थिति आर्थिक स्थिति मजबूत थी और शिक्षक अभी भी शिक्षा क्षेत्र से ही जुड़े हुए हैं. लेकिन कई शिक्षक की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से कमजोर थी. उन शिक्षकों ने अपना पेशा ही बदल दिया है. अब कई शिक्षक अन्य रोजगार में जा रहे हैं. जिनमें सबसे ज्यादा कपड़ा उद्योग में मजदूरी कर रहे हैं.

30 नंवबर तक नहीं खुलेंगे स्कूल

सरकार की ओर से हाल ही में जारी की गई गाइडलाइन में स्कूलों को खोलने से इंकार कर दिया गया है. कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार की ओर से आगामी 30 नवंबर तक स्कूलों की स्थिति वैसे ही रखने का कहा है. ऐसे में आगे भी संक्रमण के संभावनाओं को देखते हुए इन शिक्षकों को इस सीजन में स्कूल खुलने संभव नहीं लग रहे हैं. जिसके चलते यह शिक्षक अपने वेतन के लिए अधिकारियों के सामने गुहार भी करते नजर आ रहे हैं.

जिले में 772 है निजी शिक्षण संस्थान

  • ढाई हजार से ज्यादा शिक्षक जुड़े हैं इन शिक्षण संस्थानों से
  • कोरोना संक्रमण के चलते 7 माह से बंद पड़े हैं स्कूल
  • अप्रैल के बाद नहीं मिला किसी भी निजी शिक्षण संस्थान से जुड़े शिक्षकों को वेतन-
  • सरकार के फैसले ने और बढ़ाई शिक्षकों की चिंता
  • परिवार का पेट पालना भी शिक्षकों के लिए कड़ी चुनौती
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