पाली. जिले में एक हादसे में मारे गया एक युवक की जेब से मिले आधार कार्ड को पहचानकर गलत शिनाख्तगी के कारण एक युवक के परिजनों ने अपना बेटा मानकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया था. उसके बारहवें की रस्म भी अदा कर दी गई थी. लेकिन वो बेटा कुछ ही दिन वापस उनके घर पहुंचा तो परिजन और ग्रामीण एकबारगी हैरान रह गए. लेकिन बेटे के सकुशल घर लौटने को लेकर उनकी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा. दरअसल, ये मामला पाली और अजमेर जिले की सीमा पर आने वाले गांव भिलातो का बाड़िया, रतनपुरा, ब्यावर का है.
बता दें कि एक परिवार के इकलौते पुत्र के मौत की खबर जोधपुर पुलिस ने उन्हें दी. पुलिस ने मृतक की जेब से मिले आधार कार्ड के आधार पर शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को शव सुपुर्द कर दिया था. शव क्षत-विक्षत होने के कारण परिजन भी उसकी ठीक से पहचान नहीं कर पाए थे. जिसके बाद परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार कर उसका बारहवां भी कर दिया था. तभी अचानक बारहवें के बाद चौथे दिन उस परिवार का बेटा घर लौट आया. गांव लौटते ही पूरा गांव आश्चर्यचकित रह गया. यह घटना की इस समय पाली और अजमेर दोनों जिलों में चर्चा का विषय बनी हुई है.
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दरअसल, 17 सितम्बर को जोधपुर के मंडोर के मगराज जी कांटा का स्थित रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आने से एक युवक की मौत हो गई थी. युवक के पेंट की जेब से एक आधार कार्ड मिला था. जो भिलातों का बडिया, रतनपुरा, ब्यावर निवासी प्रकाशसिंह पुत्र नारायणसिंह रावत का था. इस पर पुलिस ने मृतक के परिजनों को सूचना दी. इसके बाद उन्हें बुला शव उनके सुपुर्द कर दिया था. परिजन भी मृतक का शव लेकर घर आ गए और अंतिम संस्कार सहित सभी सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुसार सभी बारहवें तक की सभी क्रियाओं का निर्वहन किया.
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इसी बीच गांव के रहने वाले कालूराम का सामना जोधपुर में उसी प्रकाश से हो गया, जिसे मृत मान उसका अंतिम संस्कार तक कर दिया गया था. वह उसे देख कर अचंभित हो गया. तुरंत उसने प्रकाश के पिता और भाई को इसकी सूचना दी. सूचना मिलने पर वे जोधपुर पहुंचे और प्रकाश को जीवित देख वे अपने आंसूओं को रोक नहीं पाए. प्रकाश ने बताया कि उसका आधार कार्ड 2 माह पूर्व गुम हो गया था. शायद वह आधार कार्ड उस युवक को मिल गया हो. इसी के चलते गलतफहमी के कारण पुलिस ने शव प्रकाश का समझ उसके परिजनों को सुपुर्द कर दिया था.