पाली. जिले में मानसून की देरी के बाद भी पानी की कमी लगभग पूरा हो गया है. पाली में पिछले 10 दिनों से अलग-अलग हिस्सों में हो रही बारिश के चलते अब पाली के सभी बांधों में पानी की आवक शुरू हो चुकी है. पाली के 53 बांधों में से 7 बांधों पर चादर चलने लगी है. पाली के सबसे बड़े पेयजल स्त्रोत जवाई बांध की बात करें तो उसका गेज भी 41.75 फीट पहुंच चुका है.
गुरुवार रात को नाना बेड़ा नदी उफान पर चलने लगी है. वहीं पाली का सबसे सुंदर बांध लाटाडा बांध भी ओवरफ्लो होकर उस पर चादर चलने लगी है. पाली जिले में अब तक 476.68 एमएम बारिश हो चुकी है. पाली में अब औसत बारिश में सिर्फ 7 प्रतिशत की कमी रही है. पाली में अभी भी विभिन्न हिस्सों में बारिश का दौर तेजी से जारी है.
गुरुवार देर रात तक पाली जिला मुख्यालय पर स्थापित कंट्रोल रूम से मिले आंकड़ों की बात करें तो खिंवाड़ा में 41 एमएम, बाली में 20 एमएम, देसूरी में 30 एमएम, मारवाड़ जंक्शन में 22 एमएम, सोजत में 27 एमएम, रायपुर में 30एमएम, जैतारण में 22 एमएम, रानी में 26 एमएम बारिश हुई है. पाली के विभिन्न बांधों की बात करें तो साली की ढाणी बांध, शैली की नाल, सादड़ी, चावरिया एनीकट, लाटाडा बांध, रणकपुर बांध ओवरफ्लो होकर बह रहे हैं.
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बाली में भी बांध ओवरफ्लो
पाली जिले के बाली के देसूरी ब्लॉक में शुक्रवार सुबह 8 बजे सभी बांधों के जलस्तर में एक से दो फीट तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि क्षेत्र में रणकपुर और सेली की नाल पहले ही ओवरफ्लो हो चुके हैं. वहीं राजपुरा बांध भी लबालब होने जा रहा हैं. जलसंसाधन विभाग के सहायक अभियंता गोविंद चौथवाल द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार काणा बांध में 19 फीट, मुठाणा बांध में 8.60 फीट, घोडाधड़ा बांध में 7.50 फीट, राजपुरा बांध में 20.70 फीट, जूणा मालारी बांध में 12.20 फीट, हरिओम सागर बांध में 28 फीट और केसूली बांध में 7.40 फीट जल स्तर हो चुका हैं.
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इसी तरह से पिछले 24 घंटों में रणकपुर बांध पर 50 मिलीमीटर, काणा बांध पर 15 मिलीमीटर और मुठाणा बांध पर पर 40 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई हैं, जबकि देसूरी तहसील कार्यालय पर 28 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई हैं. यहां अब तक कुल 596 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जा चुकी है.
वहीं सादड़ी का पीएचईडी बांध नलवाणीया, सादड़ी नगरपालिका को सुपर्द बाजरवाला बांध, ग्राम पंचायत को सुपर्द माण्डीगढ़ पहले ही ओवरफ्लो हो चुके हैं, जबकि मगरतलाव ग्राम पंचायत के कोलर बांध की ओवरफ्लो दीवार पिछले साल क्षतिग्रस्त होने से बांध में हो रही पानी की आवक नदी में बह रही हैं.