पाली. जिलेभर में मानसून की बारिश का दौर अब खत्म हो चुका है, लेकिन इस बारिश के पानी का संकट अभी पाली शहर में खत्म नहीं हो पाया है. डेढ़ माह पहले पाली में अच्छी बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे. इसके बाद पाली की कई बस्तियां पूरी तरह से पानी में डूब गई थी. डेढ़ माह बाद भी पाली के कई बस्तियां ऐसी हैं, जहां आज भी बारिश के पानी के वहीं हालात है, जो बाढ़ के समय थे.
पिछले डेढ़ माह से कई बस्तियों के बीच तालाब की तरह बरसाती पानी इकट्ठा हो गया है. हालांकि, प्रशासन की ओर से जलमग्न बस्तियों से पानी निकालने का काम तेज गति से किया जा रहा है, लेकिन अच्छी बारिश और पानी की आवक के कारण फिलहाल पानी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा. ऐसे में इन बस्तियों में पानी में पैदा होने वाले मच्छर और गंदगी से रोगों के बढ़ने का खतरा भी बढ़ गया है. इसे लेकर प्रशासन भी खासा परेशान नजर आ रहा है. इसी कड़ी में जिला कलेक्टर दिनेश चंद्र जैन बस्तियों में घूम कर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश देते नजर आए.
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गौरतलब है कि पाली में मानसून की दस्तक की 45 दिन बाद 15 अगस्त से बारिश का दौर शुरू हुआ था. इससे शहर में झमाझम बारिश के चलते पाली की कई बस्तियों में बाढ़ के हालात बन गए थे. बताया जा रहा है कि लगभग 14 से ज्यादा मोहल्ले और बस्तियों में बाढ़ के पानी से जलमग्न कि स्थिति हो गई थी. हालांकि कि 5 दिन बाद पाली में स्थिति सामान्य हो गई थी और बाढ़ का पानी भी उतर गया था, लेकिन जलमग्न बस्तियों में कई जगह ऐसी थी जो ढलान भरी होने के कारण वहां पर पिछले डेढ़ माह से बरसाती पानी इकट्ठा हो रखा है.
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नगर परिषद की ओर से इन बस्तियों में मड पंप लगाकर इस पानी को निकालने के लिए पिछले डेढ़ माह से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इन प्रयासों के बावजूद भी बस्तियों से पानी खाली नहीं हो रहा है. ऐसे में मच्छर जनित रोगों का खतरा भी यहां खासा बढ़ चुका है. चिकित्सा विभाग क्षेत्रों में मच्छरों की बढ़ी हुई डेंसिटी से भी खासा परेशान है. इससे डेंगू और मलेरिया की सबसे ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं. प्रशासन की ओर से प्रतिदिन इन क्षेत्रों में मेडिकल टीमों से घर-घर सर्वे करवाया जा रहा है.