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पाली में कई बस्तियों में अभी भी पड़ा है बारिश का पानी, लोग आ रहे गंभीर बीमारियों की चपेट में

पाली में गत समय मानसून की दस्तक के साथ झमाझम बारिश हुई थी. इसके चलते जिले की कई बस्तियों में बाढ़ जैसे हालात बन गए थे. अब बारिश का दौर थमने के बाद भी जिले के कई बस्तियों में जलजमाव है और बस्तियां तालाब का रूपधारण किए हुए है. इसके कारण क्षेत्र में जल में पैदा होने वाले जीव और मच्छरों ने अपना घर बना लिया है. जिसके कारण क्षेत्र के लोग मलेरिया और डेंगू जैसे बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. इसके कारण प्रशासन को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Oct 15, 2019, 4:04 PM IST

पाली. जिलेभर में मानसून की बारिश का दौर अब खत्म हो चुका है, लेकिन इस बारिश के पानी का संकट अभी पाली शहर में खत्म नहीं हो पाया है. डेढ़ माह पहले पाली में अच्छी बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे. इसके बाद पाली की कई बस्तियां पूरी तरह से पानी में डूब गई थी. डेढ़ माह बाद भी पाली के कई बस्तियां ऐसी हैं, जहां आज भी बारिश के पानी के वहीं हालात है, जो बाढ़ के समय थे.

पाली में जल जमाव के बाद क्षेत्र के लोग मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे

पिछले डेढ़ माह से कई बस्तियों के बीच तालाब की तरह बरसाती पानी इकट्ठा हो गया है. हालांकि, प्रशासन की ओर से जलमग्न बस्तियों से पानी निकालने का काम तेज गति से किया जा रहा है, लेकिन अच्छी बारिश और पानी की आवक के कारण फिलहाल पानी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा. ऐसे में इन बस्तियों में पानी में पैदा होने वाले मच्छर और गंदगी से रोगों के बढ़ने का खतरा भी बढ़ गया है. इसे लेकर प्रशासन भी खासा परेशान नजर आ रहा है. इसी कड़ी में जिला कलेक्टर दिनेश चंद्र जैन बस्तियों में घूम कर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश देते नजर आए.

यह भी पढ़ें- चूरू: जमीन हड़प लिए जाने से परेशान किसान ने की खुदकुशी, मामला दर्ज

गौरतलब है कि पाली में मानसून की दस्तक की 45 दिन बाद 15 अगस्त से बारिश का दौर शुरू हुआ था. इससे शहर में झमाझम बारिश के चलते पाली की कई बस्तियों में बाढ़ के हालात बन गए थे. बताया जा रहा है कि लगभग 14 से ज्यादा मोहल्ले और बस्तियों में बाढ़ के पानी से जलमग्न कि स्थिति हो गई थी. हालांकि कि 5 दिन बाद पाली में स्थिति सामान्य हो गई थी और बाढ़ का पानी भी उतर गया था, लेकिन जलमग्न बस्तियों में कई जगह ऐसी थी जो ढलान भरी होने के कारण वहां पर पिछले डेढ़ माह से बरसाती पानी इकट्ठा हो रखा है.

यह भी पढ़ें- निकाय प्रमुख के चुनाव को लेकर कैबिनेट की बैठक में लिया जा सकता है अंतिम फैसला

नगर परिषद की ओर से इन बस्तियों में मड पंप लगाकर इस पानी को निकालने के लिए पिछले डेढ़ माह से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इन प्रयासों के बावजूद भी बस्तियों से पानी खाली नहीं हो रहा है. ऐसे में मच्छर जनित रोगों का खतरा भी यहां खासा बढ़ चुका है. चिकित्सा विभाग क्षेत्रों में मच्छरों की बढ़ी हुई डेंसिटी से भी खासा परेशान है. इससे डेंगू और मलेरिया की सबसे ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं. प्रशासन की ओर से प्रतिदिन इन क्षेत्रों में मेडिकल टीमों से घर-घर सर्वे करवाया जा रहा है.

पाली. जिलेभर में मानसून की बारिश का दौर अब खत्म हो चुका है, लेकिन इस बारिश के पानी का संकट अभी पाली शहर में खत्म नहीं हो पाया है. डेढ़ माह पहले पाली में अच्छी बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए थे. इसके बाद पाली की कई बस्तियां पूरी तरह से पानी में डूब गई थी. डेढ़ माह बाद भी पाली के कई बस्तियां ऐसी हैं, जहां आज भी बारिश के पानी के वहीं हालात है, जो बाढ़ के समय थे.

पाली में जल जमाव के बाद क्षेत्र के लोग मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे

पिछले डेढ़ माह से कई बस्तियों के बीच तालाब की तरह बरसाती पानी इकट्ठा हो गया है. हालांकि, प्रशासन की ओर से जलमग्न बस्तियों से पानी निकालने का काम तेज गति से किया जा रहा है, लेकिन अच्छी बारिश और पानी की आवक के कारण फिलहाल पानी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा. ऐसे में इन बस्तियों में पानी में पैदा होने वाले मच्छर और गंदगी से रोगों के बढ़ने का खतरा भी बढ़ गया है. इसे लेकर प्रशासन भी खासा परेशान नजर आ रहा है. इसी कड़ी में जिला कलेक्टर दिनेश चंद्र जैन बस्तियों में घूम कर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश देते नजर आए.

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गौरतलब है कि पाली में मानसून की दस्तक की 45 दिन बाद 15 अगस्त से बारिश का दौर शुरू हुआ था. इससे शहर में झमाझम बारिश के चलते पाली की कई बस्तियों में बाढ़ के हालात बन गए थे. बताया जा रहा है कि लगभग 14 से ज्यादा मोहल्ले और बस्तियों में बाढ़ के पानी से जलमग्न कि स्थिति हो गई थी. हालांकि कि 5 दिन बाद पाली में स्थिति सामान्य हो गई थी और बाढ़ का पानी भी उतर गया था, लेकिन जलमग्न बस्तियों में कई जगह ऐसी थी जो ढलान भरी होने के कारण वहां पर पिछले डेढ़ माह से बरसाती पानी इकट्ठा हो रखा है.

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नगर परिषद की ओर से इन बस्तियों में मड पंप लगाकर इस पानी को निकालने के लिए पिछले डेढ़ माह से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इन प्रयासों के बावजूद भी बस्तियों से पानी खाली नहीं हो रहा है. ऐसे में मच्छर जनित रोगों का खतरा भी यहां खासा बढ़ चुका है. चिकित्सा विभाग क्षेत्रों में मच्छरों की बढ़ी हुई डेंसिटी से भी खासा परेशान है. इससे डेंगू और मलेरिया की सबसे ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं. प्रशासन की ओर से प्रतिदिन इन क्षेत्रों में मेडिकल टीमों से घर-घर सर्वे करवाया जा रहा है.

Intro:पाली. पाली शहर सहित जिले भर में मानसून की बारिश का दौर अब खत्म हो चुका है। लेकिन इस बारिश के पानी का संकट अभी पाली शहर में खत्म नहीं हो पाया है। डेढ़ माह पहले पाली में अच्छी बारिश के कारण बाढ़ के हालात पैदा हो गए थे। इन हालातों के बाद में पाली की कई बस्तियां पूरी तरह से पानी में डूब गई थी। डेढ़ माह बाद भी पाली के कई बस्तियां ऐसी हैं, जहां आज भी बारिश के पानी के वही हालात सामने आ रहे हैं। पिछले डेढ़ माह से कई बस्तियों के बीच तालाब की स्थिति में बरसाती पानी इकट्ठा हो रखा है। हालांकि प्रशासन की ओर से जलमग्न बस्तियों से पानी निकालने का काम तेज गति से किया जा रहा है। लेकिन अच्छी बारिश और पानी की आवक के कारण फिलहाल पानी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। ऐसे में इन बस्तियों में पानी में पैदा होने वाले मच्छर व गंदगी से रोगों के बढ़ने का खतरा भी फैल चुका है। इस बात को लेकर प्रशासन भी खासा परेशान नजर आ रहा है। जिला कलेक्टर दिनेश चंद्र ग्रहण बस्तियों में घूम कर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश देते नजर आ रहे हैं।


Body: गौरतलब है कि पाली में मानसून की दस्तक की 45 दिन बाद 15 अगस्त से बारिश का दौर शुरू हुआ था। इस बारिश के दौर के बाद में पाली शहर में झमाझम बारिश ने पाली की कई बस्तियों में बाढ़ के हालात पैदा कर दिए थे। पाली की लगभग 14 से ज्यादा मोहल्ले व बस्तिया थी जो बाढ़ के पानी में जलमग्न हो गई थी। हालांकि की 5 दिन बाद पाली में स्थिति सामान्य हो गई। बाढ़ का पानी भी उतर गया। लेकिन जलमग्न बस्तियों में कई जगह ऐसी थी जो ढलान भरी होने के कारण वहां पर पिछले डेढ़ माह से बरसाती पानी इकट्ठा हो रखा है। नगर परिषद की ओर से इन बस्तियों में मड पंप लगाकर इस पानी को निकालने के लिए पिछले डेढ़ माह से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों के बावजूद भी बस्तियों से पानी खाली नहीं हो रहा। ऐसे में मच्छर जनित रोगों का खतरा भी यहां खासा बढ़ चुका है। चिकित्सा विभाग क्षेत्रों में मच्छरों की बढ़ी हुई डेंसिटी से भी खासा परेशान है। इन सितारों से डेंगू व मलेरिया की सबसे ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं प्रशासन की ओर से प्रतिदिन इन क्षेत्रों में मेडिकल टीमों द्वारा घर-घर सर्वे करवाया जा रहा है।


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