पाली. कोरोना महामारी के बीच अस्पतालों में हालात बेकाबू होते दिख रहे हैं. मरीजों को बेड और ऑक्सीजन की भारी कमी से जूझना पड़ रहा है. ऐसे में पाली जिले के सबसे बड़े बांगड़ अस्पताल की ओपीडी से राहत भरी तस्वीरें सामने आईं हैं. संक्रमण काल में जहां ओपीडी में मरीजों की कतार लग रही है वहीं यहां अस्पताल की ओपीडी खाली नजर आ रही है. यह कमाल है बांगड़ अस्पताल के परफेक्ट मैनेजमेंट का. दरअसल अब अस्पताल में पहले मरीज के प्राथमिक उपचार पर ध्यान दिया जा रहा है. अब मरीज को ओपीडी में ही बैठाकर ऑक्सीजन देने की सुविधा शुरू कर दी जिससे उसे तुरंत उपचार मिलना शुरू हो गया.
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खास बात यह है कि बांगड़ अस्पताल की ओर से बनाए गए मास्टर प्लान में कोरोना ओपीडी का मैनेजमेंट कुछ इस तरह किया गया है कि बिना भीड़ के मरीजों को देखा जा रहा है. इस मैनेजमेंट का सबसे ज्यादा फायदा कोरोना संक्रमित मरीजों को हो रहा है. 10 दिन पहले तक बांगड़ अस्पताल में आने वाले मरीजों को न समय पर ऑक्सीजन मिल पा रही थी और न उपचार. कई मरीज ऐसे थे जिन्हें उपचार के अभाव में अपनी जान भी गंवानी पड़ी थी. लेकिन अब परिस्थितियां पूरी तरह से बदल चुकी है. अब अस्पताल आने वाले मरीज को कुछ ही मिनटों में ओपीडी में उपचार दिया जा रहा है. भारत के कई बड़े अस्पतालों की तरह ही यहां की व्यवस्था हो चुकी है.
बेड की संख्या बढ़ाई
अधिकारियों ने बताया कि पाली में कोरोना संक्रमण अभी खत्म नहीं हुआ है. प्रतिदिन काफी संख्या में मरीज सामने आ रहे हैं. शुरुआती समय में बांगड़ अस्पताल के कुछ ही बेड मरीजों के लिए उपलब्ध थे. धीरे-धीरे कर प्रशासन ने रूपरेखा बनाते हुए मरीजों के लिए बेड की संख्या बढ़ाई. लेकिन उसके बाद भी यह नाकाफी रहा. इधर, ओपीडी में बढ़ रहे लगातार मरीजों के कारण अस्पताल की पूरी व्यवस्थाएं बिगड़ गई थी. प्रतिदिन अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लग रहा था. ऐसे में अस्पताल में आने वाले मरीजों के लिए एक नया प्लान तैयार किया गया.
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डीआईजी स्टांप व जिला कोविड-19 प्रभारी को जिम्मेदारी
जिला कलेक्टर अंशदीप ने इस प्लान को बनाने के बाद इसकी कमान डीआईजी स्टांप व जिला कोविड-19 प्रभारी सावन कुमार को सौंपी. उसके बाद धीरे-धीरे व्यवस्थाओं में बदलाव आने लगा. सबसे पहले अस्पताल में आने वाले मरीजों को प्राथमिक चिकित्सा देने पर ध्यान दिया गया. यहां स्टाफ व ऑक्सीजन की सुविधा बढ़ाई गई और एक समय में 25 मरीजों को ओपीडी में बैठाकर ऑक्सीजन देने जितनी सुविधा तैयार कर दी गई. जिसके चलते अस्पताल में आने वाले गंभीर मरीजों को तुरंत ही ऑक्सीजन मिलने के बाद समय पर उपचार मिलना शुरू हो गया.
अस्पताल में खत्म की गई ऑक्सीजन सिलेंडर की सुविधा
जिला कोविड-19 सावन कुमार ने बताया कि शुरुआत में अस्पताल में मरीजों के लिए बेड बढ़ाए गए थे. जिन बेड को बढ़ाया गया वहां पाइप लाइन के जरिए ऑक्सीजन के पॉइंट नहीं थे. ऐसे में उन मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर पर रखा गया. लेकिन जब सिलेंडर खत्म होता तो परिजन और स्टाफ अस्पताल में इधर-उधर दौड़ते नजर आते थे. उससे अव्यवस्था भी होती और मरीज के परिजनों को भी दिक्कत होती थी. ऐसे में नए प्लान के तहत इन सभी बेड से सिलेंडर व्यवस्था को खत्म कर दिया गया और इन सभी बढ़े बेड पर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर लगा दिए गए. अब मरीजों के परिजनों को भी ऑक्सीजन के लिए भटकना नहीं पड़ता.
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10 मिनट के दरमियानी गंभीर मरीज को मिल जाता है उपचार
अधिकारियों ने बताया कि पहले ओपीडी में बढ़ रही भीड़ के कारण किसी भी मरीज को सही तरह से उपचार नहीं मिल पा रहा था. यहां चार ऑक्सीजन के सिलेंडर ही लगाए हुए थे. लेकिन अब इस ओपीडी में 25 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर लगा दिए गए हैं. कोई भी गंभीर मरीज जब इस ओपीडी के बाहर आता है तो तुरंत प्रभाव से बाहर खड़ा मेडिकल स्टाफ उसे अंदर लाकर ऑक्सीजन मशीन के पास ले जाता है. तीन डॉक्टरों की टीम तुरंत उसका मुआयना करती है और उसका ऑक्सीजन लेवल देखकर प्राथमिक उपचार शुरू कर देती है. वहीं इस दौरान दूसरी टीम अस्पताल में खाली बेड की जानकारी जुटाकर तुरंत मरीज को बेड उपलब्ध करवाती है.
अस्पताल के अलावा अन्य भवनों में बढ़ाए गए बेड
अधिकारियों ने बताया कि कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए पहले बांगड़ अस्पताल में 286 बेड रिजर्व किए गए थे. लेकिन यह बेड भी मरीजों की बढ़ती संख्या के आगे कम पड़ने लगे. इसके बाद कई सामाजिक संस्थाओं से मदद लेकर उनके भवनों में करीब डेढ़ सौ से ज्यादा बेड बढ़ाए गए. इसके कारण अब किसी भी मरीज को बेड नहीं मिलने की समस्या नहीं आ रही.